

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), गोरखपुर में चिकित्सा क्षेत्र की एक महत्वपूर्ण उपलब्धि दर्ज की गई है। कार्यकारी निदेशक मेजर जनरल (डॉ.) विभा दत्ता, एसएम (सेवानिवृत्त) के कुशल मार्गदर्शन में संस्थान में पहली बार कॉर्निया प्रत्यारोपण (Penetrating Keratoplasty) की सफल सर्जरी की गई।
गोरखपुर एम्स
Gorakhpur: अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), गोरखपुर में चिकित्सा क्षेत्र की एक महत्वपूर्ण उपलब्धि दर्ज की गई है। कार्यकारी निदेशक मेजर जनरल (डॉ.) विभा दत्ता, एसएम (सेवानिवृत्त) के कुशल मार्गदर्शन में संस्थान में पहली बार कॉर्निया प्रत्यारोपण (Penetrating Keratoplasty) की सफल सर्जरी की गई।
इस सर्जरी से लाभान्वित होने वाली 75 वर्षीय महिला मरीज विगत पांच वर्षों से एक आंख की कॉर्नियल ब्लाइंडनेस से पीड़ित थीं, जो मोतियाबिंद सर्जरी के जटिल परिणामस्वरूप उत्पन्न हुई थी। सर्जरी के बाद अब उन्हें 5 से 7 दिनों में दृष्टि लौटने की संभावना है, जिससे उनके जीवन की गुणवत्ता में उल्लेखनीय सुधार होगा।
इस जटिल प्रक्रिया को नेत्र रोग विशेषज्ञों की एक समर्पित टीम ने अंजाम दिया, जिसमें डॉ. अलका त्रिपाठी, डॉ. नेहा सिंह, डॉ. ऋचा अग्रवाल, डॉ. अमित सिंह तथा रेज़िडेंट डॉक्टर साक्षी, डॉ. निवेदिता, डॉ. शगुन और डॉ. मैत्रेयी शामिल थीं। इस ऑपरेशन में नर्सिंग ऑफिसर प्राची और दिव्या ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
इस प्रत्यारोपण के लिए कॉर्निया वारणसी स्थित लायंस आई बैंक से प्राप्त किया गया, जो कि नेत्रदान के क्षेत्र में एक प्रमुख संस्था है।
भारत में वर्तमान में लगभग 11 लाख लोग कॉर्नियल अंधत्व से ग्रसित हैं और प्रतिवर्ष 25,000 से अधिक नए मामले सामने आते हैं। दुर्भाग्यवश, कॉर्निया प्रत्यारोपण के लिए आवश्यक दान की संख्या अभी भी बहुत कम है। नेत्रदान मृत्यु उपरांत किया जाने वाला एक पूर्णतः स्वैच्छिक, निःस्वार्थ और सामाजिक कल्याणकारी कार्य है। मृत व्यक्ति के परिजन उनकी इच्छा के बिना भी नेत्रदान की अनुमति दे सकते हैं।
एम्स गोरखपुर द्वारा की गई यह पहली कॉर्निया सर्जरी केवल एक चिकित्सा उपलब्धि नहीं, बल्कि समाज में नेत्रदान के प्रति जागरूकता फैलाने की दिशा में एक प्रेरणादायक पहल है। यह सफलता आने वाले समय में अनेक दृष्टिहीनों के जीवन में उजाला लाने की दिशा में एक मजबूत आधार बनेगी।