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उत्तर प्रदेश में SIR के तहत ड्राफ्ट वोटर लिस्ट जारी करने की तारीख बदल दी गई है। अब 6 जनवरी 2026 को ड्राफ्ट लिस्ट आएगी और 6 फरवरी तक दावे-आपत्तियां ली जाएंगी। चुनाव आयोग के अनुसार, इस प्रक्रिया से वोटर लिस्ट अधिक पारदर्शी और सटीक बनेगी।
प्रतीकात्मक फोटो (सोर्स: इंटरनेट)
Lucknow: उत्तर प्रदेश में स्पेशल इंसेंटिव रिवीजन (SIR) को लेकर एक अहम अपडेट सामने आया है। राज्य में मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण की प्रक्रिया के तहत 31 दिसंबर को ड्राफ्ट वोटर लिस्ट जारी होनी थी, लेकिन अब इसमें संशोधन किया गया है। नई घोषणा के अनुसार, उत्तर प्रदेश में 6 जनवरी 2026 को ड्राफ्ट वोटर लिस्ट प्रकाशित की जाएगी। इस बदलाव के बाद चुनावी तैयारियों और राजनीतिक गतिविधियों में भी हलचल तेज हो गई है।
चुनाव आयोग द्वारा जारी संशोधित कार्यक्रम के अनुसार, 6 जनवरी 2026 को ड्राफ्ट वोटर लिस्ट जारी होगी। 6 जनवरी से 6 फरवरी 2026 तक दावे और आपत्तियां दर्ज की जा सकेंगी। सभी आपत्तियों के निस्तारण के बाद 6 मार्च 2026 को फाइनल वोटर लिस्ट प्रकाशित की जाएगी। इस नई समय-सीमा से साफ है कि आयोग मतदाता सूची को पूरी तरह दुरुस्त करने के लिए पर्याप्त समय देना चाहता है।
चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, 27 अक्टूबर 2025 तक उत्तर प्रदेश में कुल 15.44 करोड़ पंजीकृत मतदाता थे। यह देश के किसी भी राज्य की तुलना में सबसे बड़ी मतदाता संख्या है। इसी विशाल संख्या के कारण वोटर लिस्ट की शुद्धता और पारदर्शिता को लेकर आयोग विशेष सतर्कता बरत रहा है।
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जांच और सत्यापन प्रक्रिया के बाद आयोग ने यह अनुमान लगाया है कि करीब 2.89 करोड़ मतदाताओं के नाम वोटर लिस्ट से हटाए जाएंगे। यह संख्या काफी बड़ी मानी जा रही है और इसी वजह से SIR प्रक्रिया चर्चा के केंद्र में है। आयोग का कहना है कि यह कदम पूरी तरह नियमों और निर्धारित मानकों के तहत उठाया जा रहा है।
चुनाव आयोग करीब 1.11 करोड़ मतदाताओं को नोटिस भेजेगा। इन मतदाताओं से उनके पते और अन्य विवरणों की पुष्टि कराई जाएगी। यदि वे निर्धारित समय में जवाब नहीं देते हैं, तो उनके नाम वोटर लिस्ट से हटाए जा सकते हैं। आयोग का उद्देश्य किसी भी पात्र मतदाता का नाम गलत तरीके से हटाना नहीं है।
हटाए जाने वाले 2.89 करोड़ नामों में से लगभग 1.26 करोड़ मतदाता ऐसे हैं, जो अब उस पते पर नहीं रहते जहां वे पंजीकृत थे। यानी वे दूसरी जगह स्थानांतरित हो चुके हैं, लेकिन उन्होंने अपने पते में संशोधन नहीं कराया। यह समस्या शहरी और अर्ध-शहरी इलाकों में ज्यादा देखने को मिली है।
इसके अलावा करीब 83.73 लाख मतदाता ऐसे पाए गए हैं, जो लंबे समय से अपने पते पर मौजूद नहीं हैं। इन्हें “अब्सेंट वोटर” की श्रेणी में रखा गया है। ऐसे मामलों में आयोग घर-घर सत्यापन के जरिए स्थिति स्पष्ट करने की कोशिश कर रहा है।
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SIR के दौरान यह भी सामने आया कि लगभग 46 लाख मतदाताओं के नाम ऐसे हैं, जिनका निधन हो चुका है, लेकिन उनके नाम अब भी वोटर लिस्ट में दर्ज हैं। आयोग का कहना है कि यह स्थिति लोकतांत्रिक प्रक्रिया के लिए गंभीर है और इसे दुरुस्त करना बेहद जरूरी है।
जांच में करीब 23.70 लाख नाम ऐसे पाए गए हैं, जो एक से अधिक स्थानों पर दर्ज हैं। इसके अलावा 9.57 लाख मतदाताओं के नाम अन्य तकनीकी कारणों से हटाए जा रहे हैं। इन सभी मामलों में दस्तावेजी सत्यापन के बाद ही अंतिम निर्णय लिया जाएगा।
चुनाव आयोग ने 27 अक्टूबर को उत्तर प्रदेश समेत 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में SIR की घोषणा की थी। 4 नवंबर से इस पर काम शुरू हुआ। उत्तर प्रदेश को छोड़कर आयोग अब तक 8 राज्यों और 3 केंद्र शासित प्रदेशों की ड्राफ्ट वोटर लिस्ट जारी कर चुका है और वहां हटाए गए नामों का विस्तृत ब्योरा भी सार्वजनिक किया गया है।