Chandauli: धान के कटोरे के रूप में पहचाने जाने वाले चंदौली जिले में गुरुवार को आयोजित किसान दिवस उस समय विरोध का अखाड़ा बन गया जब बड़ी संख्या में पहुंचे किसानों ने विभागीय अधिकारियों के खिलाफ तीखा मोर्चा खोल दिया। कलेक्ट्रेट सभागार में आयोजित इस कार्यक्रम में किसानों ने खेती से जुड़ी गंभीर समस्याएं रखते हुए खाद, सिंचाई, बिजली और सरकारी योजनाओं में भ्रष्टाचार को लेकर खुलकर अपनी बात रखी।
किसानों ने मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) रालपल्ली जगत साईं के सामने खाद की किल्लत, नहरों की मरम्मत में भ्रष्टाचार और सिंचाई के लिए पानी की मांग पर मुकदमा दर्ज कराने जैसी गंभीर बातें साझा कीं। रतन सिंह नामक किसान ने कहा, ‘खेती का सबसे महत्वपूर्ण समय चल रहा है लेकिन हमें समय से खाद नहीं मिल रही। अगर यही हाल रहा तो खेती छोड़नी पड़ेगी।’
खाद नहीं, पानी नहीं- मुकदमे मिल रहे हैं
किसानों ने आरोप लगाया कि सिंचाई विभाग द्वारा पंप कैनाल की मरम्मत में करोड़ों रुपये का घोटाला हुआ है, बावजूद इसके खेतों तक पानी नहीं पहुंच रहा। सबसे चौंकाने वाली बात ये सामने आई कि जब किसान सिंचाई के लिए पानी की मांग करते हैं, तो उन पर ही मुकदमा दर्ज कर दिया जाता है।
दीनानाथ श्रीवास्तव नामक किसान ने रोष जताते हुए कहा, ‘हमारे ऊपर केस दर्ज किया जा रहा है जबकि हमारा हक मांगना कोई अपराध नहीं। अधिकारी किसानों को डरा-धमकाकर चुप कराना चाहते हैं।’
अधिकारियों पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप
कार्यक्रम में शामिल किसानों ने सीधे तौर पर प्रशासन और विभागीय अधिकारियों पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया। उनका कहना था कि योगी सरकार और प्रधानमंत्री मोदी द्वारा किसानों की आय दोगुनी करने की जो नीति चलाई जा रही है, उसे अफसरशाही पूरी तरह पलीता लगा रही है।
किसानों ने चेतावनी दी कि यदि उन्हें समय से खाद, बिजली और पानी नहीं मिला तो वे खेती छोड़ने को मजबूर हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि अधिकारियों की लापरवाही के कारण गांव-गांव में किसान हताश और परेशान हैं।
सीडीओ ने दिया आश्वासन, होगा समाधान
मुख्य विकास अधिकारी रालपल्ली जगत साईं ने किसानों की समस्याएं गंभीरता से सुनीं और आश्वासन दिया कि जल्द ही सभी मुद्दों का समाधान किया जाएगा। उन्होंने कहा कि किसानों की मांगों को संबंधित विभागों तक पहुंचाया जाएगा और उनके निराकरण की प्राथमिकता तय की जाएगी। हालांकि, किसानों ने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि जल्द ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो वे बड़ा आंदोलन करने को बाध्य होंगे।