

गौवंशो को आश्रय देने के लिए पुरे प्रदेश मे गौशालाओ का निर्माण कराया गया। इसी क्रम मे बिजनौर जनपद के थाना अफ़ज़लगढ़ क्षेत्र के ग्राम अगवानपुर में करोड़ों की लागत से निर्मित “बृद्ध गौशाला अगवानपुर” मे गौशाला बनाई गई। मगर इन दिनों गंभीर आरोपों और अव्यवस्थाओं के चलते सुर्खियों में है।
बुद्ध गौशाला
Bijnor: सूबे की योगी सरकार ने निआश्रित गौवंशो को आश्रय देने के लिए पुरे प्रदेश मे गौशालाओ का निर्माण कराया गया। इसी क्रम मे बिजनौर जनपद के थाना अफ़ज़लगढ़ क्षेत्र के ग्राम अगवानपुर में करोड़ों की लागत से निर्मित “बृद्ध गौशाला अगवानपुर” मे गौशाला बनाई गई। मगर इन दिनों गंभीर आरोपों और अव्यवस्थाओं के चलते सुर्खियों में है।
करोड़ों की लागत, लेकिन हालात बद से बदतर
योगी सरकार ने गौवंश संरक्षण और उनके बेहतर पालन-पोषण के लिए प्रदेशभर में गौशालाओं के निर्माण पर करोड़ों रुपये खर्च किए। इन्हीं योजनाओं के तहत ग्राम अगवानपुर में भी एक बड़ी गौशाला बनाई गई। लेकिन हकीकत यह है कि इस गौशाला की स्थिति बद से बदतर हो चुकी है।
लोगों का आरोप
स्थानीय लोगों का आरोप है कि यहां पर गौवंशों की उचित देखभाल नहीं हो रही। पशुओं को समय पर चारा-पानी तक उपलब्ध नहीं हो पाता और कई बार तो बीमार व कमजोर गौवंश बिना इलाज के ही दम तोड़ देते हैं।
592 गौवंशों का अनुदान, लेकिन मौजूद केवल 300
सबसे गंभीर आरोप गौशाला में गौवंशों की संख्या को लेकर है। रिकॉर्ड के अनुसार गौशाला 592 गौवंशों का अनुदान ले रही है, जबकि मौके पर मौजूद गौवंशों की संख्या करीब 300 बताई जा रही है।
यानी कागजों पर संख्या अधिक दिखाई जाती है और उसी आधार पर सरकार से भारी-भरकम अनुदान लिया जा रहा है।
ग्राम प्रधान और पंचायत सचिव पर सवाल
यह गौशाला ग्राम प्रधान कैलाश चंद्र और पंचायत सचिव इरफ़ान अहमद की देखरेख में संचालित है। ग्रामीणों का आरोप है कि दोनों जिम्मेदार अधिकारी केवल फाइलों और कागजों पर सब कुछ सही दिखाने में लगे रहते हैं, जबकि जमीनी हकीकत कुछ और ही है।
प्रशासन की भूमिका भी संदेह के घेरे में
ग्रामीणों ने यह भी आरोप लगाया है कि सक्षम अधिकारी शिकायतों पर गंभीरता से कार्रवाई नहीं करते और केवल लीपापोती करके मामले को दबा देते हैं। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि जब योगी सरकार की करोड़ों रुपये की महत्वाकांक्षी योजनाओं को ही जमीनी स्तर पर भ्रष्टाचार और लापरवाही की भेंट चढ़ाया जा रहा है, तो गौवंशों की असल में रक्षा और देखभाल कैसे होगी?
ग्रामीणों की चिंता
ग्रामीणों का कहना है कि यदि समय रहते इस गौशाला में व्यवस्था नहीं सुधारी गई तो यहां मौजूद गौवंश भी धीरे-धीरे बीमारियों और लापरवाही की वजह से दम तोड़ देंगे।
अब सबकी निगाहें प्रशासन पर
मामला गंभीर है और सवाल यह है कि क्या अब शासन-प्रशासन इस पर कोई कड़ा कदम उठाएगा?
क्या जिम्मेदार अधिकारियों से जवाब तलब होगा?
या फिर करोड़ों की लागत से बनी यह गौशाला भी अन्य योजनाओं की तरह केवल भ्रष्टाचार का अड्डा बनकर रह जाएगी?