

शादीपुर मिलक गांव में सीमा सुरक्षा बल (BSF) के जवान की शहादत को लेकर बड़ा विवाद सामने आया है। परिजनों और ग्रामीणों ने अंतिम संस्कार करने से इंकार कर दिया और धरने पर बैठ गए हैं।
शहीद का शव पहुंचा गांव
Bijonr: बिजनौर जिले के शादीपुर मिलक गांव में सीमा सुरक्षा बल (BSF) के जवान हिमांशु कुमार की शहादत के बाद उनके परिवार और गांववालों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है। जवान की मौत, बीते दिनों पश्चिम बंगाल के मालदा जिले में ड्यूटी के दौरान हुई थी, जब उन्हें लापरवाही के कारण हाईटेंशन करंट लग गया था। अब उनके परिवार के लोग और गांववाले बीएसएफ और प्रशासन से शहीद का दर्जा, आर्थिक सहायता और शहीद स्मारक की मांग कर रहे हैं।
हिमांशु कुमार के बड़े भाई विवेक कुमार ने बताया कि उनके छोटे भाई हिमांशु की शहादत प्रशासन और बीएसएफ की लापरवाही का नतीजा है। उनका कहना था कि 26 तारीख को उन्हें हिमांशु की मौत की सूचना मिली और पार्थिव शरीर 27 तारीख को शाम लगभग 6 बजे गांव पहुंचा। इस समय गांव में शोक की लहर छा गई, लेकिन साथ ही परिवार और ग्रामीणों में प्रशासन के प्रति गुस्सा भी है।
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परिजनों ने आरोप लगाया कि बीएसएफ की ओर से कुछ मांगों को स्वीकार किया गया है, लेकिन राज्य सरकार से अब तक कोई आर्थिक सहायता नहीं मिली है। इसके अलावा, उन्होंने शहीद का दर्जा, उनके छोटे भाई के लिए सरकारी नौकरी और गांव में शहीद स्मारक के निर्माण की मांग की है।
शादीपुर मिलक गांव में हिमांशु कुमार के परिजनों और ग्रामीणों ने शहीद का सम्मान और न्याय की मांग को लेकर धरना शुरू कर दिया है। उनका कहना है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, वे अंतिम संस्कार नहीं करेंगे। इस दौरान गांव में भारी संख्या में ग्रामीण, महिलाएं और पुलिस बल मौजूद हैं।
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विवेक कुमार ने प्रशासन पर आरोप लगाया कि एसडीएम और तहसीलदार जैसे प्रशासनिक अधिकारी घटना के बाद गांव पहुंचे थे, लेकिन वे कोई ठोस आश्वासन या जानकारी दिए बिना वापस लौट गए। उनका आरोप है कि प्रशासन मामले को केवल टाल रहा है और उनकी मांगों को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा।
वर्तमान में, प्रशासनिक अधिकारियों और परिजनों के बीच बातचीत जारी है। ग्रामीण अपनी मांगों पर अड़े हुए हैं। उनका कहना है कि यह सिर्फ एक परिवार का मामला नहीं है, बल्कि पूरे गांव की शहादत और न्याय की लड़ाई है। ग्रामीणों की मुख्य मांग यह है कि हिमांशु कुमार को शहीद का दर्जा दिया जाए और गांव में उनके सम्मान में एक स्मारक का निर्माण किया जाए। साथ ही, राज्य सरकार से उचित आर्थिक सहायता और परिवार के सदस्य को सरकारी नौकरी देने की भी मांग की गई है।