यूपी एसटीएफ की बड़ी कामयाबी: कोचिंग सेंटर की आड़ में चलता था जीएसटी घोटाला, गाजियाबाद से 5 आरोपी दबोचे

नोएडा एसटीएफ ने फर्जी फर्मों के जरिए जीएसटी चोरी करने वाले गिरोह का भंडाफोड़ करते हुए पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया है। आरोपी फर्जी इनवायस और ई-वे बिल के माध्यम से इनपुट टैक्स क्रेडिट लेकर सरकार को करोड़ों रुपये का नुकसान पहुंचा रहे थे।

Post Published By: Mayank Tawer
Updated : 15 December 2025, 7:47 PM IST
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Noida: नोएडा एसटीएफ ने फर्जी फर्मों के जरिए इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) लेकर सरकार को करोड़ों रुपये का राजस्व नुकसान पहुंचाने वाले एक संगठित गिरोह का पर्दाफाश किया है। इस मामले में एसटीएफ ने पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया है। जिनमें से चार गाजियाबाद के रहने वाले हैं। जबकि एक आरोपी को बिहार के वैशाली जिले से गिरफ्तार किया गया है।

आरोपियों की पहचान

गिरफ्तार आरोपियों के नाम बिंदेश्वर प्रसाद, बबलू कुमार, प्रिंस पांडे और दीपांशु शर्मा हैं, जो सभी गाजियाबाद के निवासी हैं। इनकी निशानदेही पर जयकिशन को वैशाली, बिहार से गिरफ्तार किया गया। एसटीएफ के अनुसार यह गिरोह लंबे समय से फर्जी फर्मों का रजिस्ट्रेशन कराकर फर्जी इनवायस और ई-वे बिल के माध्यम से इनपुट टैक्स क्रेडिट का गलत लाभ उठा रहा था।

नोएडा यूनिट ने लिया एक्शन

एसटीएफ अधिकारियों ने बताया कि 12 दिसंबर को उन्हें मुखबिर के माध्यम से सूचना मिली थी कि गाजियाबाद क्षेत्र में एक ऐसा गिरोह सक्रिय है, जो बोगस फर्मों के जरिए बड़े पैमाने पर जीएसटी चोरी कर रहा है। सूचना के आधार पर एसटीएफ की नोएडा इकाई ने कार्रवाई करते हुए गाजियाबाद से चार आरोपियों को हिरासत में लिया और उन्हें पूछताछ के लिए नोएडा लाया गया।

हुआ बड़ा खुलासा

पूछताछ में चौंकाने वाले खुलासे हुए। जांच में सामने आया कि बिंदेश्वर प्रसाद ने वर्ष 2011 में गाजियाबाद में “हिन्दुस्तान कोचिंग सेंटर” के नाम से एक प्रशिक्षण संस्थान खोला था। इस कोचिंग सेंटर में एकाउंटेंसी, टैली और बीजी जैसे सॉफ्टवेयर के साथ-साथ जीएसटी रिटर्न फाइलिंग, ई-वे बिल और इनवायस तैयार करने का प्रशिक्षण दिया जाता था। दीपांशु शर्मा और जयकिशन इसी कोचिंग सेंटर के छात्र थे।

एसटीएफ के अनुसार बिंदेश्वर प्रसाद प्रशिक्षण देने के साथ-साथ शुरुआत से ही बोगस फर्म तैयार कर उनके जरिए फर्जी सेल्स इनवायस बेचने का काम करता था। प्रशिक्षण पूरा होने के बाद वह अपने भरोसेमंद छात्रों को इस अवैध धंधे में शामिल कर लेता था। इसके बाद सभी आरोपी मिलकर फर्जी फर्मों का रजिस्ट्रेशन कराते, फर्जी इनवायस बनाकर जीएसटी पोर्टल पर अपलोड करते और रिटर्न फाइल करते थे।

इतना ही नहीं, गिरोह के पास कई वास्तविक कंपनियों का भी डेटा मौजूद था। वे इन वास्तविक फर्मों के नाम से फर्जी बिल बनाकर रिटर्न दाखिल करते थे। चूंकि इन आरोपियों के पास संबंधित फर्मों के ओटीपी और पासवर्ड उपलब्ध रहते थे, इसलिए उन्हें इस पूरी प्रक्रिया को अंजाम देने में कोई कठिनाई नहीं होती थी। जांच में यह भी सामने आया कि आरोपियों के मोबाइल फोन में 50 से अधिक ई-मेल आईडी लॉगिन थीं। इन्हीं ई-मेल आईडी के जरिए बोगस फर्मों का रजिस्ट्रेशन, इनवायस और ई-वे बिल जारी करना, जीएसटी रिटर्न फाइल करना और बैंकिंग लेनदेन के लिए ओटीपी प्राप्त किया जाता था। एसटीएफ का कहना है कि प्रारंभिक जांच में ही करोड़ों रुपये के राजस्व नुकसान की पुष्टि हो चुकी है। मामले में आगे की जांच जारी है और अन्य लोगों की संलिप्तता की भी संभावना जताई जा रही है।

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  • Noida

Published : 
  • 15 December 2025, 7:47 PM IST