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बरेली में पोस्टर विवाद के बाद फैले तनाव ने राजनीतिक हलचल तेज कर दी है। कांग्रेस सांसद इमरान मसूद और सपा विधायक शाहनवाज खान को हाउस अरेस्ट कर लिया गया है। उनके घरों के बाहर भारी पुलिस बल तैनात है।
सांसद इमरान मसूद और सपा विधायक शाहनवाज खान
Saharanpur: बरेली में पोस्टर विवाद के बाद उपजा तनाव अब राजनीतिक मोड़ ले चुका है। इसी को लेकर कांग्रेस सांसद इमरान मसूद और समाजवादी पार्टी के एमएलसी शाहनवाज खान आज बरेली के वरिष्ठ अधिकारियों से मिलने वाले थे, लेकिन इससे पहले ही प्रशासन ने दोनों नेताओं को उनके घर में नजरबंद कर दिया।
प्रशासन ने देर रात से ही दोनों नेताओं के घरों के बाहर भारी पुलिस बल तैनात कर दिया है ताकि वे बरेली न जा सकें। प्रशासन का कहना है कि यह कदम कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए एहतियातन उठाया गया है। वहीं इमरान मसूद ने प्रशासन पर आरोप लगाते हुए कहा कि धर्म देखकर कार्रवाई की जा रही है। हम सिर्फ बातचीत करने जा रहे थे, लेकिन हमें रोका गया। शाहनवाज खान ने भी इसी तरह के आरोप लगाए हैं।
पोस्टर विवाद के बाद प्रशासन अलर्ट मोड पर है। संवेदनशील इलाकों में सुरक्षा बढ़ा दी गई है और अफवाह फैलाने वालों पर नजर रखी जा रही है। स्थिति को देखते हुए, फिलहाल बरेली में धारा 144 लागू है और किसी भी प्रकार के विरोध प्रदर्शन या रैली की अनुमति नहीं दी गई है। राजनीतिक दलों में बढ़ते तनाव के बीच प्रशासन कानून व्यवस्था को लेकर सख्त रुख अपनाए हुए है।
सांसद इमरान मसूद ने बुधवार को अपने आवास पर मीडिया से कहा कि वे और शाहनवाज गांधीवादी विचारधारा के अनुयायी हैं और वे बुधवार सुबह छह बजकर पचास मिनट की ट्रेन से बरेली जाने वाले थे। उनका कहना था कि वहां उन्हें पुलिस उप महानिरीक्षक और अन्य अधिकारियों से मुलाकात करनी थी और वे दोपहर डेढ़ बजे ही लौटने वाले थे, लेकिन अचानक उन्हें नजरबंद कर दिया गया और उनका रास्ता रोक दिया गया।
इमरान मसूद ने आरोप लगाया कि उत्तर प्रदेश सरकार अपनी विफलताओं को छुपाने के लिए विभिन्न हथकंडे अपना रही है। प्रशासन के बारे में कहा जा रहा है कि राजनेताओं के बरेली जाने से असामान्य स्थिति बन सकती है, इस पर मसूद ने पलटकर कहा कि असल में असामान्य स्थिति तो सरकार और पुलिस ने ही बनाई है। उन्होंने यह भी पूछा कि क्या कानून सभी के लिए बराबर है या कुछ वर्गों के लिए अलग किस्म का व्यवहार होता है।
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इमरान मसूद ने देश के अन्य घटनास्थलों का उदाहरण भी देते हुए फतेहपुर और मुजफ्फरनगर का जिक्र किया और कहा कि जहां बड़े पैमाने पर तोड़फोड़ और लूट की घटनाएं हुईं, वहां न तो पर्याप्त कार्रवाई हुई और न ही जांच की गई। उन्होंने यह भी कहा कि केवल पोस्टर दिखाने वाले युवक के खिलाफ कठोर कार्रवाई करना विसंगतिपूर्ण है।
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