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बलरामपुर में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) के कार्यकर्ताओं ने बुधवार शाम बांग्लादेश सरकार के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया। इस दौरान कार्यकर्ताओं ने मोहम्मद युनुस और “बांग्लादेश मुर्दाबाद” जैसे नारे लगाते हुए बांग्लादेश सरकार का पुतला दहन किया।
एबीवीपी का विरोध प्रदर्शन
Balrampur: बलरामपुर में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) के कार्यकर्ताओं ने बुधवार शाम बांग्लादेश सरकार के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया। इस दौरान कार्यकर्ताओं ने मोहम्मद युनुस और “बांग्लादेश मुर्दाबाद” जैसे नारे लगाते हुए बांग्लादेश सरकार का पुतला दहन किया। प्रदर्शन का मुख्य उद्देश्य बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचार का विरोध करना था और भारत सरकार से सख्त कदम उठाने की मांग करना था।
एबीवीपी कार्यकर्ताओं ने पुतला दहन के दौरान विरोध के स्वर को और जोरदार बनाया। कार्यकर्ता लगातार बांग्लादेश सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते रहे और वहां हिंदू समाज पर हो रहे अत्याचार की निंदा की। प्रदर्शन में शामिल नगर मंत्री कीर्ति उपाध्याय ने बताया कि पिछले एक वर्ष से बांग्लादेश सरकार के इशारे पर वहां के हिंदू समाज के लोगों पर हमले हो रहे हैं।
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कीर्ति उपाध्याय ने कहा कि बांग्लादेश में हिंदुओं को सड़कों पर जिंदा जलाया जा रहा है, महिलाओं के साथ अभद्रता की जा रही है और निर्दोष लोगों को पीटा जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि वहां की सरकार अल्पसंख्यकों की सुरक्षा में विफल है और यह मानवता के खिलाफ गंभीर अपराध है।
एबीवीपी ने भारत सरकार से आग्रह किया कि बांग्लादेश के खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएं। उन्होंने कहा कि दोषियों को कड़ी सजा दी जानी चाहिए और बांग्लादेश सरकार को वहां के अल्पसंख्यकों के खिलाफ हो रहे अत्याचार को रोकने के लिए जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए।
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विरोध प्रदर्शन में नगर मंत्री कीर्ति उपाध्याय के अलावा शिवम दुबे, विशाल, अनुभव, आनंद, अजीत अंबुज भार्गव सहित कई एबीवीपी कार्यकर्ता शामिल थे। सभी ने मिलकर यह संदेश दिया कि अल्पसंख्यकों के खिलाफ हो रहे अत्याचार को नजरअंदाज नहीं किया जाएगा और लोकतांत्रिक ढंग से आवाज उठाई जाएगी।
बलरामपुर में हुए इस विरोध प्रदर्शन ने यह स्पष्ट कर दिया कि भारत के युवा और छात्र संगठन बांग्लादेश में मानवाधिकारों के उल्लंघन के खिलाफ सख्त खड़े हैं। एबीवीपी का संदेश था कि अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करना और दोषियों को दंडित करना अंतरराष्ट्रीय जिम्मेदारी भी है। इस प्रकार का आंदोलन लोगों को जागरूक करने और प्रशासन पर दबाव डालने का एक प्रभावी माध्यम बनता है।