धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के साथ मिली जमानत, जानें क्या है पूरा मामला

हाईकोर्ट ने इलाहाबाद अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) के सहायक प्रोफेसर को अग्रिम जमानत देने के बाद बताया गया है कि व्याख्यान के सभी लोगों को प्रकाशित पुस्तकों को लिया जा चुका है। कक्षा में दिया गया है।

Post Published By: Deepika Tiwari
Updated : 16 August 2025, 1:31 PM IST
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Prayagraj News: हाईकोर्ट ने इलाहाबाद अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) के सहायक प्रोफेसर को अग्रिम जमानत देने के बाद बताया गया है कि व्याख्यान के सभी लोगों को प्रकाशित पुस्तकों को लिया जा चुका है। कक्षा में दिया गया है। प्रथम दृष्टया धर्म की बात करें तो इस आधार बनाने के साथ ही शांति भंग करने को लेकर जानबूझकर प्रयास नहीं किया जाता है। कोर्ट की बात करें तो डाॅ कुमार को लेकर 50,000 रूपये को लेकर दो जमानतदारों को लेकर पेश होने का निर्देश दिया गया है।

 उल्लंघन के साथ ही जमानत रद्द

जानकारी के मुताबिक, शर्तों के तहत देखा जाए तो उन्हें जांच में सहयोग करना होता है। वहीं जरूरत की बात करें तो इसके हिसाब से ही कोर्ट में प्रस्तुत करना अहम होता है। बिना अकादमिक परिषद के साथ ही धार्मिक अर्थ को लेकर ऐसिहासिक संदर्भ नहीं दिया जा रहा है। वहीं शर्त को लेकर उल्लंघन के साथ ही जमानत रद्द किया जाना है।

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एफआईआर दर्ज..

यह मामला फिलहाल ट्रायल कोर्ट को लेकर विचारधीन करना अहम होता है। उक्त आदेश न्यायमूर्ति डॉ. गौतम चौधरी की खंडपीठ ने डॉ. जितेंद्र कुमार की याचिका को स्वीकार करने के बाद ही सशर्त जमानत देने के बाद ही पारित किया गया है। याची के खिलाफ अलीगढ़ के सिविल लाइंस थाने में आईपीसी की धारा 153ए, 295ए, 298 और 505(2) के तहत दर्ज एफआईआर दर्ज किया गया है।

अभियोजन पक्ष की तरफ से तर्क...

एफआईआर के तथ्यों के अनुसार व्याख्यान की बात करें तो बाबा साहेब डॉ. अंबेडकर संपूर्ण वांग्मय भाग-8 और गीता प्रेस, गोरखपुर द्वारा प्रकाशित ब्रह्म वैवर्त पुराण के अंश उद्धृत किए जा चुके हैं। अभियोजन पक्ष की तरफ से तर्क दिया जा चुका है कि पाठ्यक्रम में "बलात्कार" विषय को शामिल किया है, लेकिन ऐतिहासिक या धार्मिक संदर्भ शामिल नहीं हैं।

भावनाओं को ठेस पहुंचने देते...

उनके अनुसार प्रोफेसर द्वारा प्रयोग होने वाली सामग्री में धार्मिक अर्थ निहित हो चुका है, जो भावनाओं को ठेस पहुंचने देते हैं। हालांकि याची के अधिवक्ता ने कोर्ट को जानकारी दिया है कि व्याख्यान केवल कक्षा दिया जा चुका है। सार्वजनिक मंच पर देखा जाए तो छात्र ने शिकायत दर्ज नहीं करवाया गया है। इसके अलावा उद्धृत प्रकाशित पुस्तकों से लाया जा चुका है जिनमें एक सरकारी प्रकाशन भी शामिल ।

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