जिला महिला अस्पताल की करतूत, SNCU वार्ड में इलाज के नाम पर पैसे की मांग, नवजातों का उपचार हुआ महंगा

बदायूं के जिला महिला अस्पताल के एसएनसीयू वार्ड में नवजातों का इलाज पैसों के बिना संभव नहीं हो रहा है। परिजनों से हर शिफ्ट में पैसे की डिमांड की जा रही है, जिससे इलाज महंगा हो गया है। सरकार द्वारा मुफ्त दी जाने वाली सुविधाओं के बावजूद, यहां पैसों की जबरन डिमांड हो रही है।

Post Published By: ईशा त्यागी
Updated : 12 December 2025, 4:46 PM IST

Badaun: उत्तर प्रदेश के बदायूं जिले के जिला महिला अस्पताल में स्थित एसएनसीयू वार्ड में नवजातों का इलाज अब पैसों के बिना संभव नहीं रह गया है। यहां के स्टाफ द्वारा हर शिफ्ट में नवजात के परिजनों से पैसे की डिमांड की जाती है। यह घटनाएं तब सामने आईं जब नवजातों के इलाज के लिए परिवारवालों को मजबूर किया गया कि वे इलाज की शुरुआत के लिए चढ़ावा दें। सरकारी अस्पताल के इस वार्ड में, जहां परिजनों को मुफ्त में इलाज मिलना चाहिए था, अब उन्हें हर चीज के लिए पैसे देने की मांग की जाती है।

चढ़ावे के बिना नहीं मिलती इलाज की सुविधा

एसएनसीयू वार्ड में इलाज शुरू करने के लिए लगभग 2,000 रुपये की डिमांड की जाती है। यह रकम दिए बिना नवजात का इलाज नहीं शुरू किया जाता, और परिजनों को यह कहकर टाल दिया जाता है कि बेड फुल हैं। इसके बाद भी यदि पैसे दिए जाते हैं तो इलाज शुरू होता है। इसके बाद, परिजनों से अलग-अलग चीजों की खरीदारी का दबाव डाला जाता है, जैसे कि दूध, चाय, नाश्ता और अन्य वस्तुएं, जिनका खर्च हर शिफ्ट में उन्हें उठाना पड़ता है।

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प्राइवेट अस्पताल से भी महंगा इलाज

रिपोर्ट के अनुसार, एसएनसीयू वार्ड में नवजातों का इलाज प्राइवेट अस्पतालों से भी महंगा हो गया है। जहां एक तरफ सरकारी अस्पतालों में इलाज मुफ्त होता है, वहीं यहां पैसों की डिमांड की जा रही है। एसएनसीयू वार्ड में बच्चों के इलाज के नाम पर परिजनों से 600 रुपये का दूध, चाय, कॉफी और अन्य चीजें मंगवाने का मामला सामने आया है, जबकि सरकारी तौर पर यह सब मुफ्त मिलना चाहिए।

स्टाफ के सामने गिड़गिड़ाती रही नानी

मुजरिया थाना क्षेत्र के गांव समसपुर के निवासी हरवीर ने अपने नवजात को 9 दिसंबर को एसएनसीयू वार्ड में भर्ती कराया। नवजात की हालत बहुत नाजुक थी और डॉक्टर की सलाह पर उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया। नवजात की नानी मुन्नी देवी, जो कि गांव सिसौरा की रहने वाली हैं, स्टाफ के सामने गिड़गिड़ाती रही, लेकिन स्टाफ ने पैसों की डिमांड की और इलाज में देरी की। अंततः जब परिजनों ने पैसे दिए, तब इलाज शुरू किया गया।

रोती हुई नवजात की नानी (फोटो सोर्स- डाइनामाइट न्यूज़)

मामला गंभीर, इलाज की प्रक्रिया पर सवाल

9 दिसंबर को एक ऐसा ही वाकया सामने आया, जब एक नवजात के परिजनों से 1500 रुपये की डिमांड की गई। परिवार वालों ने जब पैसे देने में असमर्थता जताई, तो नवजात का इलाज नहीं किया गया। नवजात के मुंह से खून निकलने लगा, लेकिन स्टाफ ने इलाज शुरू नहीं किया। ऐसे में नवजात की जान को खतरा हुआ और अस्पताल के इलाज की व्यवस्था पर सवाल खड़े हो गए।

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कागजों में भरे दिखाए जाते हैं बेड

एसएनसीयू वार्ड में कागजों में हमेशा यह दिखाया जाता है कि सभी बेड भरे हुए हैं, लेकिन असल में स्टाफ इन बेड्स को खाली रखता है और पैसों की डिमांड करता है। यदि किसी नवजात के परिजन पैसे देने में असमर्थ होते हैं, तो उन्हें यह कहकर टाल दिया जाता है कि बेड उपलब्ध नहीं हैं। इस दौरान नवजात की हालत बिगड़ सकती है, लेकिन स्टाफ की तरफ से कोई तात्कालिक मदद नहीं दी जाती है।

Location : 
  • Badaun

Published : 
  • 12 December 2025, 4:46 PM IST