

मौलाना क़ारी इसहाक़ गोरा ने सूद (ब्याज) के कारण मुसलमानों की रोज़ी में बरकत न होने की वजह बताई। उन्होंने कहा कि सूद से बचकर हलाल कमाई अपनानी चाहिए। यह नसीहत आर्थिक और धार्मिक सुधार के लिए जरूरी है और सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही है।
मौलाना इसहाक़ गोरा
Saharanpur: देवबंद के मशहूर इस्लामी विद्वान और जमीयत दावतुल मुस्लिमीन के संरक्षक मौलाना क़ारी इसहाक़ गोरा का सूद (ब्याज) को लेकर दिया गया बयान सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। वे मुसलमानों को सूद से बचने और हलाल कमाई अपनाने की नसीहत दे रहे हैं।
मौलाना इसहाक़ गोरा ने कहा कि कई बार लोग शिकायत करते हैं कि उनकी नौकरी और कारोबार ठीक चल रहे हैं, लेकिन घर में बरकत और सुकून नहीं है। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या कभी इसकी वजह पर सोचा गया? उनका मानना है कि सूद के बढ़ते लेन-देन की वजह से घरों से बरकत खत्म हो रही है।
उन्होंने बताया कि आजकल गाड़ी, फ्रिज़ और मोबाइल तक लोग लोन पर लेते हैं, सोचते हैं कि इससे ज़िंदगी आसान हो जाएगी, लेकिन हकीकत में इससे घरों की खुशहाली कम हो रही है। मौलाना ने कुरआन की आयत का हवाला देते हुए कहा कि अल्लाह ने सौदा हलाल और सूद को हराम किया है।
सोशल मीडिया पर वायरल हुआ देवबंदी मौलाना इसहाक गोरा का फरमान का बयान: सूद से बचना है जरूरी, सूद की वजह से खत्म हुई बरकत...सुनिए।#Saharanpur #UttarPradesh #loan #Latest #VideoViral #MaulanaQariIshaqGora pic.twitter.com/cXEy0vuGaV
— डाइनामाइट न्यूज़ हिंदी (@DNHindi) September 21, 2025
मौलाना ने पैगंबर मोहम्मद की हदीस का ज़िक्र किया जिसमें सूद लेने वाला, देने वाला, लिखने वाला और गवाह सभी को बराबर का गुनहगार बताया गया है। उनका कहना है कि यह मामला सिर्फ धार्मिक नहीं, बल्कि रोज़मर्रा की ज़िंदगी और आर्थिक स्थिति से जुड़ा है।
मौलाना ने कहा कि बरकत का मतलब ज़्यादा पैसे नहीं, बल्कि कम में सुकून और रहमत है। उन्होंने मुसलमानों से अपील की कि वे अपने अंदर सुधार करें, कारोबार को साफ़-सुथरा रखें और अल्लाह से तौबा करें। सूद से बचकर हलाल कमाई अपनाने से ही रोज़ी में बरकत आती है।
मौलाना इसहाक़ गोरा का यह बयान एक सुधार और तौबा की दावत के रूप में देखा जा रहा है। सोशल मीडिया पर लोग इसे साझा कर मुसलमानों को जागरूक कर रहे हैं ताकि आर्थिक और सामाजिक स्तर पर सुधार हो सके।
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मौलाना इसहाक़ गोरा देवबंद के प्रमुख इस्लामी विद्वान और जमीयत दावतुल मुस्लिमीन के संरक्षक हैं। उनकी बेबाकी और सामाजिक-धार्मिक मुद्दों पर खुलकर राय देने की वजह से वे अक्सर चर्चा में रहते हैं। उनका यह बयान वर्तमान आर्थिक परिदृश्य में मुसलमानों के लिए महत्वपूर्ण मार्गदर्शन साबित हो रहा है।