

72 घंटे की हड़ताल के चलते विद्युत व्यवस्था पूरी तरह से चरमराई हुई है। इस बीच अधिकारियों की लापरवाही ने आम जनता की परेशानियों को और बढ़ा दिया है। मामले की पूरी जानकारी के लिए पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की रिपोर्ट
विद्युत आपूर्ति में लापरवाही को लेकर महिलाओं का प्रदर्शन ( रिपोर्टर )
अमेठी: जिले में संविदाकर्मियों की 72 घंटे की हड़ताल के चलते विद्युत व्यवस्था पूरी तरह से चरमराई हुई है। इस बीच अधिकारियों की लापरवाही ने आम जनता की परेशानियों को और बढ़ा दिया है। भीषण गर्मी और लंबे समय से चल रही बिजली कटौती से त्रस्त महिलाओं का गुस्सा बुधवार को फूट पड़ा, जब बड़ी संख्या में महिलाएं किसान नेत्री रीता सिंह के नेतृत्व में लाठी-डंडों से लैस होकर अधीक्षण अभियंता कार्यालय पहुँच गईं।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, महिलाओं ने कार्यालय पर जमकर नारेबाजी की और अधीक्षण अभियंता को एक ज्ञापन सौंपते हुए एसडीओ पर लापरवाही और गुमराह करने का आरोप लगाते हुए जांच की मांग की। प्रदर्शनकारी महिलाओं का कहना है कि मंगलवार की सुबह से रामनगर फीडर पर बिजली आपूर्ति पूरी तरह से ठप है। जब इस संबंध में एसडीओ से संपर्क किया गया तो उन्होंने स्थिति स्पष्ट करने की बजाय टालमटोल और भ्रम फैलाने का काम किया।
किसान नेत्री रीता सिंह ने बताया कि मंगलवार सुबह 11 बजे से रामनगर फीडर पर बिजली नहीं है। जब उन्होंने बिजली बहाली के लिए एसडीओ से संपर्क किया तो उन्होंने कहा कि वह कार्यालय में मौजूद हैं, जबकि मौके पर पहुंचने पर वह वहां नहीं मिले। बाद में उन्हें सीओ कार्यालय में बैठे देखा गया। रीता सिंह ने आरोप लगाया कि एसडीओ ने पूरे दिन और रातभर गुमराह किया, लेकिन समस्या का समाधान नहीं किया गया।
महिलाओं ने बताया कि जब वे आज अधीक्षण अभियंता कार्यालय पहुँचीं, तब जाकर जानकारी मिली कि बिजली सप्लाई आ गई है, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि बिजली कब तक बनी रहेगी। इस अनिश्चितता और अधिकारियों के गैरजिम्मेदाराना रवैये ने लोगों की समस्याओं को और बढ़ा दिया है।
प्रदर्शनकारियों ने चेतावनी दी है कि यदि विद्युत आपूर्ति को लेकर तत्काल प्रभाव से सुधार नहीं हुआ और एसडीओ के खिलाफ जांच की कार्रवाई नहीं की गई, तो आंदोलन को और उग्र किया जाएगा। इस पूरे घटनाक्रम से जिले में बिजली व्यवस्था और प्रशासनिक कार्यशैली पर सवाल खड़े हो गए हैं।