

हरदोई के कीर्ति कृष्णा नर्सिंग होम, नघेटा मार्ग में बुधवार शाम अचानक आग लग गई। नर्सिंग होम में आग की सूचना से जिला और पुलिस प्रशासन में खलबली मच गई।
कीर्ति कृष्णा नर्सिंग होम में लगी आग
Hardoi: हरदोई के कीर्ति कृष्णा नर्सिंग होम, नघेटा मार्ग में बुधवार शाम अचानक आग लग गई। नर्सिंग होम में आग की सूचना से जिला और पुलिस प्रशासन में खलबली मच गई।
स्पताल में भर्ती मरीजों और उनके परिजनों को सीढ़ी के सहारे छत से नीचे उतरना पड़ा। घटना की गंभीरता के बावजूद लंबे समय तक न तो फायर ब्रिगेड की टीम पहुंची और न ही पुलिस के जवान मौके पर आए।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार हादसे के समय अस्पताल में 18 बच्चे भर्ती थे। साथ में उनके परिजन थे। अस्पताल स्टाफ ने सभी सुरक्षित बाहर निकाल लिया है। कुछ देर फायर ब्रिगेड मौके पर पहुंची। अस्पताल परिसर में धुआं भरा होने के कारण दमकल कर्मियों को अंदर जाने में दिक्कत हो रही है।
आग नर्सिंग होम की ऊपरी मंजिल पर लगने का कारण शार्ट सर्किट बताया जा रहा है। आग की खबर से मरीज और तीमारदार काफी परेशान हो गए और अस्पताल में अफरातफरी मच गई। अस्पताल बच्चों का है, जिसमें बच्चे ज्यादा भर्ती थे, उनके स्वजन किसी तरह बाहर निकाल कर लाए।
हुसैनपुर सहोरा की रहने वाली पीड़िता नन्हीं देवी ने बताया- वह डेढ़ बजे एक माह के बच्चे को लेकर अस्पताल आई थीं। जब उन्हें आग लगने की जानकारी हुई तो उन्होंने तुरंत बच्चे को गोद में लिया और फर्स्ट फ्लोर से नीचे लगी सीढ़ी के जरिए बाहर निकलीं।
अस्पताल संचालक डॉ. सीके गुप्ता की पत्नी अपर्णा ने बताया- वह अपने कार्यालय में कार्य कर रही थीं, तभी अचानक पूरे परिसर में धुआं भर गया। सूचना मिली कि आग बेसमेंट में लगी है। उन्होंने बताया संभवतः बैटरी ब्लास्ट या शॉर्ट सर्किट के कारण आग लगी, हालांकि सटीक कारण की पुष्टि नहीं हो सकी है।
मौके पर फायर ब्रिगेड और पुलिस की टीम लगभग आधे घंटे बाद पहुंची। फायर ब्रिगेड की दो गाड़ियां आग बुझाने में लगीं और आग पर काबू पा लिया गया है। सभी मरीजों को नजदीकी अन्य अस्पतालों में शिफ्ट किया गया है। राहत की बात यह है कि फिलहाल किसी के हताहत होने की सूचना नहीं है।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार आग लगने के वक्त अस्पताल में करीब 17 से 18 बच्चे भर्ती थे। 100 लोग अस्पताल के अंदर मौजूद थे। स्थिति बिगड़ती देख मरीजों को फर्स्ट फ्लोर से सीढ़ी लगाकर बाहर निकाला गया। नवजात शिशुओं को गठरी की तरह कपड़े और साड़ी में बांधकर नीचे फेंका या उतारा गया। सड़क पर खड़े लोग, अस्पताल प्रशासन और स्टाफ मिलकर रेस्क्यू अभियान में जुट गए।