प्रो सरोज व्यास

लॉकडाउन में शिक्षकों की ऐसी अनदेखी क्यों?
लॉकडाउन में शिक्षकों की ऐसी अनदेखी क्यों?

दिल्ली में 5 मार्च से 31 मार्च तक सभी प्राथमिक विद्यालयों और बाद में 13 मार्च से 31 मार्च तक सभी स्कूल-कॉलेजों को बंद किए जाने के सरकारी आदेश उचित थे। यह कदम कोरोना वायरस के बढ़ते खतरे को देखते हुए सुरक्षा की दृष्टि से उठाए गए थे। शिक्षक समुदाय और शिक्षा क्षेत्र से जुड़े प्रशासनिक अधिकारी एवं कर्मचारी विद्यालय/कॉलेज जायेंगे अथवा घर पर रहेंगे इस विषय में कोई स्पष्ट निर्देश नहीं दिये गए। स्वपोषित विद्यालयों एवं कॉलेजों के कर्मचारियों के लिए सरकार ही उनका शीर्ष मैनेजमेंट ही होता है, इसलिए उनके लिए यह कहना ही उचित होगा कि “जिसकी खाय बाजरी उसकी बजाय हाजरी”।

कोरोना लॉकडाउन: निराशा से आशा की ओर बढ़ते कदम
कोरोना लॉकडाउन: निराशा से आशा की ओर बढ़ते कदम

करीब तीन महीने पहले एक ओर जहां विश्व नव वर्ष 2020 का स्वागत करने को आतुर था वही दूसरी ओर चीन चुपचाप कोरोना वायरस से संघर्ष कर था। चीन के वुहान में जन्म लेने वाले इस नवजात वायरस के समाचार तत्काल संसार के राष्ट्रों को नहीं मिलें, यह कहना अंतर्राष्ट्रीय मीडिया की नीयत पर संदेह और उसकी तत्परता एवं सजगता पर प्रश्नचिन्ह लगाना होगा। उस समय विश्व के छोटे-बड़े, विकसित-विकासशील एवं चीन से मित्रता और शत्रुता रखने वाले तमाम राष्ट्रों के लिए यह खबर ‘एक कान से सुनकर दूसरे से निकालने’ जैसी थी। इसका एक कारण यह भी था कि चीन ने कोरोना वायरस से फैली बीमारी की गंभीरता पर पर्दा डाला।

Opinion on Nizamuddin Markaz: इंसानियत के लिए खुद को फना करने से बड़ा कोई धर्म नहीं
Opinion on Nizamuddin Markaz: इंसानियत के लिए खुद को फना करने से बड़ा कोई धर्म नहीं

इस समय वाकई मूसा और फकीर के चरित्र, ईमान और मानसिकता को समझे जाने की नितांत आवश्यकता है| आवश्यक नहीं कि नियमित इबादत/प्रार्थना करने वाला, सुबह-शाम पूजा/अर्चना करने वाला एवं दिन में 5 बार नमाज पढ़ने वाला व्यक्ति धर्म-धर्म चिल्लाते हुए नियमित रूप से धार्मिक स्थलों पर जाएगा तभी वह ईश्वर का दूत और खुदा का बंदा होगा| हो सकता है, सांसारिक मोहमाया से दूर दीन-हीन, फटे-हाल मांगकर खाने वाला फकीर-साधु ऊपर वाले के ज्यादा करीब हो| धर्म की रक्षा के लिए चिल्लाने और बरगलाने की आवश्यकता नहीं पड़ती है| मानवता और इंसानियत के लिए खुद को फना (कुर्बान) करने वाले से बड़ा धार्मिक कोई नहीं हो सकता|