अब देश के लाखों WhatsApp अकाउंट हो जाएंगे बंद, जानें सरकार ने क्यों लिया इतना बड़ा फैसला?

केंद्र सरकार ने वॉट्सऐप, टेलीग्राम, सिग्नल सहित सभी मैसेजिंग एप्स के लिए ‘सिम-बाइंडिंग’ नियम लागू कर दिया है। अब एप तभी चलेंगे जब फोन में सक्रिय सिम लगी हो। वेब लॉगिन हर छह घंटे में ऑटोमेटिक लॉगआउट होगा। साइबर सुरक्षा मजबूत करने के उद्देश्य से जारी आदेश का पालन कंपनियों को 90 दिन में करना होगा।

Post Published By: Mayank Tawer
Updated : 30 November 2025, 11:54 AM IST
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New Delhi: केंद्र सरकार ने शनिवार को देश में उपयोग होने वाले सभी प्रमुख मैसेजिंग प्लेटफॉर्म्स के लिए नया और कड़ा साइबर सुरक्षा आदेश जारी किया है। इसके तहत वॉट्सऐप, टेलीग्राम, सिग्नल, स्नैपचैट, शेयरचैट, जियोचैट, अराटाई और जोश जैसे एप अब मोबाइल में तभी काम करेंगे जब उस फोन में यूजर का रजिस्टर्ड और सक्रिय सिम कार्ड मौजूद होगा। सरकार का कहना है कि यह नियम साइबर अपराधियों की पहचान सुनिश्चित करने और अंतरराष्ट्रीय फ्रॉड की घटनाओं पर लगाम लगाने के लिए जरूरी है।

आपको बता दें कि देश के लाखों लोग ऐसे हैं, जो बिना सिम के व्हाट्सअप अकाउंट चला रहे है। लोग एक बार व्हाट्सअप अकाउंट बनाते है और फिर किसी कारण से वह सिम बंद हो जाती है। दूरसंचार विभाग द्वारा जारी आदेश के अनुसार, अब मैसेजिंग प्लेटफॉर्म को ‘सिम-टु-डिवाइस बाइंडिंग’ लागू करनी होगी।

इसका मतलब है कि जिस मोबाइल नंबर से एप रजिस्टर्ड है, वही नंबर उस डिवाइस में सक्रिय होना चाहिए। यदि यूजर मोबाइल से सिम कार्ड निकाल देता है या सिम बंद हो जाती है, तो वॉट्सऐप सहित सभी मैसेजिंग एप तुरंत बंद हो जाएंगे।

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वेब लॉगिन के नियमों में भी बड़ा बदलाव

लैपटॉप या डेस्कटॉप पर वेब वर्ज़न के उपयोग के लिए भी सरकार ने नई शर्तें लागू की हैं। अभी तक यूजर एक बार फोन से QR कोड स्कैन करके वेब पर लॉगिन करता था और इसके बाद फोन में सिम मौजूद न होने पर भी एप सुचारू रूप से चलता रहता था। लेकिन नए नियम के तहत सभी प्लेटफॉर्म्स को हर छह घंटे में यूजर को वेब से लॉगआउट करना होगा। यूजर चाहे तो दोबारा QR कोड स्कैन करके लॉगिन कर सकता है, लेकिन एप तभी चलेगा जब फोन में सक्रिय सिम लगी हुई हो।

अभी एप्स कैसे चलते हैं?

वर्तमान व्यवस्था में अधिकांश मैसेजिंग एप केवल इंस्टॉलेशन के समय मोबाइल नंबर का वेरिफिकेशन मांगते हैं। वेरिफिकेशन के बाद सिम हटा देने या नंबर बंद होने पर भी एप इंटरनेट कनेक्शन के आधार पर चलता रहता है। यही कारण है कि कुछ मामले ऐसे सामने आए हैं, जहां विदेश से साइबर-फ्रॉड करने वालों ने फर्जी नंबरों का उपयोग करके भारत में ठगी को अंजाम दिया। सरकार का दावा है कि नई व्यवस्था से ऐसे मामलों पर रोक लगाई जा सकेगी।

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क्या असर पड़ेगा आम यूजर पर?

नए नियम लागू होने के बाद यूजर को यह सुनिश्चित करना होगा कि उनकी सिम बंद न हो। यदि नंबर बंद हुआ तो एप भी बंद हो जाएगा और फिर दोबारा उसी नंबर से रजिस्ट्रेशन करना होगा। यह नियम सिर्फ वॉट्सऐप-टेलीग्राम तक सीमित नहीं है बल्कि सभी ओटीपी बेस्ड मैसेजिंग, कॉलिंग और सोशल एप्स पर लागू होगा। इसमें सिग्नल, आईमैसेज, ट्रूकॉलर, फेसबुक और इंस्टाग्राम का नंबर-बेस्ड लॉगिन, गूगल/एपल आईडी की नंबर रिकवरी तथा यूपीआई एप भी शामिल हैं।

लागू करने की समय सीमा और कार्रवाई

केंद्र सरकार ने इन नियमों को तत्काल प्रभाव से लागू घोषित कर दिया है, लेकिन कंपनियों को इन्हें तकनीकी रूप से लागू करने के लिए 90 दिन का समय दिया गया है। इसके बाद 120 दिन के भीतर उन्हें सरकार को अनुपालन रिपोर्ट भेजनी होगी। यदि कोई कंपनी नियमों का पालन नहीं करती है, तो उस पर टेलीकॉम एक्ट 2023 और टेलीकॉम साइबर सिक्योरिटी रूल्स के तहत कार्रवाई की जा सकती है।

सरकार का मानना है कि सिम-बाइंडिंग सिस्टम लागू होने से स्पैम, फर्जी कॉल और साइबर ठगी पर प्रभावी रोक लगेगी। हालांकि, डिजिटल एक्सपर्ट्स का कहना है कि इससे गोपनीयता और सुविधा दोनों पर असर पड़ सकता है, क्योंकि कई यूजर्स बिना सिम वाले डिवाइस जैसे टैबलेट या वाई-फाई बेस्ड सिस्टम पर भी मैसेजिंग एप्स चलाते हैं। आने वाले दिनों में इसका असर और प्रतिक्रियाएं सामने आएंगी।

Location : 
  • New Delhi

Published : 
  • 30 November 2025, 11:54 AM IST