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D2D यानी डिवाइस-टू-डिवाइस सेवा, भारत में मोबाइल नेटवर्क की तस्वीर बदल सकती है। इस तकनीक से दो फ़ोन सीधे जुड़ सकेंगे और बिना इंटरनेट, टावर या सिम कार्ड के कॉल और मैसेज का आदान-प्रदान कर सकेंगे। जानें कि यह तकनीक कैसे काम करेगी और इसे कब लॉन्च किया जा सकता है।
भारत में जल्द शुरू होगी D2D सर्विस (img source: Google)
New Delhi: भारत मोबाइल कनेक्टिविटी के एक नए युग में प्रवेश करने वाला है। सरकार डिवाइस-टू-डिवाइस या D2D सेवा पर काम कर रही है। यह तकनीक मोबाइल फ़ोनों को बिना किसी नेटवर्क टावर, वाई-फ़ाई या मोबाइल इंटरनेट के सीधे एक-दूसरे से कनेक्ट करने में सक्षम बनाएगी। अगर यह लागू हो जाती है, तो भारत नेटवर्क-मुक्त मोबाइल संचार में अग्रणी देशों की सूची में शामिल हो जाएगा।
D2D या डिवाइस-टू-डिवाइस संचार, एक ऐसी तकनीक है जो दो मोबाइल फ़ोनों को सीधे एक-दूसरे से कनेक्ट करके कॉल, संदेश या डेटा साझा करने की अनुमति देती है। यह प्रक्रिया नेटवर्क टावर की आवश्यकता को समाप्त कर देती है, जिससे सिग्नल न होने पर भी संचार संभव हो जाता है। यह सुविधा रेडियो फ़्रीक्वेंसी, कम दूरी के वायरलेस और उन्नत सिग्नलिंग तकनीक पर आधारित होगी।
आजकल, कोई कॉल या संदेश पहले मोबाइल टावर पर जाता है, फिर वहाँ से फ़ोन पर। हालाँकि, D2D सेवा इस प्रक्रिया को बायपास कर देती है। फ़ोन सीधे दूसरे फ़ोन से जुड़ जाता है। इससे नेटवर्क लोड कम होगा और कमज़ोर सिग्नल वाले क्षेत्रों में भी निरंतर संचार सुनिश्चित होगा। यह तकनीक ब्लूटूथ की तरह कम दूरी के संचार से शुरू होगी, लेकिन भविष्य में इसका दायरा बढ़ाया जा सकता है।
D2D टेक्नोलॉजी (Img source: Google)
भारत के कई इलाके अभी भी नेटवर्क कनेक्टिविटी से वंचित हैं। पहाड़ी इलाकों, ग्रामीण इलाकों, सुरंगों, जंगलों और आपदा-प्रवण इलाकों में टावरों में खराबी आती रहती है, जिससे लोग मदद नहीं ले पाते। सरकार का लक्ष्य है कि आपातकालीन स्थितियों में डी2डी सेवा जीवन रक्षक साबित हो। यह तकनीक आपदा प्रबंधन, राष्ट्रीय सुरक्षा, सेना और नागरिकों के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।
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सूत्रों के अनुसार, सरकार शुरुआती चरण में एक पायलट प्रोजेक्ट शुरू करने की तैयारी कर रही है। प्रौद्योगिकी कंपनियाँ, दूरसंचार ऑपरेटर और सुरक्षा एजेंसियाँ इसे लागू करने के लिए मिलकर काम कर रही हैं। आने वाले वर्षों में इसका बड़े पैमाने पर क्रियान्वयन शुरू हो सकता है।
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अगर सब कुछ ठीक रहा, तो यह भारत की डिजिटल क्रांति में 4G और UPI के लॉन्च जितना ही बड़ा कदम होगा।
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