अप्रत्याशित लाभ कर: वेदांता ने सरकार के लाभांश से 9.1 करोड़ डॉलर काटे

दिग्गज उद्योगपति अनिल अग्रवाल की कंपनी वेदांता ने नौ महीने पहले अप्रत्याशित लाभ कर लगाए जाने को लेकर एक तरह से विरोध जताते हुए कर चुकाने के लिए अपने तेल और गैस संयंत्रों से सरकार के लाभांश में से लगभग 9.1 करोड़ डॉलर रोक लिया है। मामले से जुड़े सूत्रों ने यह जानकारी दी।

Updated : 24 March 2023, 8:07 PM IST
google-preferred

नई दिल्ली: दिग्गज उद्योगपति अनिल अग्रवाल की कंपनी वेदांता ने नौ महीने पहले अप्रत्याशित लाभ कर लगाए जाने को लेकर एक तरह से विरोध जताते हुए कर चुकाने के लिए अपने तेल और गैस संयंत्रों से सरकार के लाभांश में से लगभग 9.1 करोड़ डॉलर रोक लिया है। मामले से जुड़े सूत्रों ने यह जानकारी दी।

भारत ने एक जुलाई, 2022 को अप्रत्याशित लाभ पर कर लगाया। इसके साथ उन देशों में शामिल हो गया, जिन्होंने ऊर्जा कंपनियों को हो रहे अच्छे लाभ को देखते हुए कर लगाया था। इसके अलावा स्थानीय रूप से उत्पादित कच्चे तेल पर अतिरिक्त उत्पाद शुल्क भी लगाया गया। लेकिन स्थानीय रूप से उत्पादित कच्चे तेल पर विशेष अतिरिक्त उत्पाद शुल्क (एसएईडी) को उत्पादनकर्ता वित्तीय स्थिरता प्रदान करने वाले अनुबंध का उल्लंघन मानते हैं।

एसएईडी शुरू में 23,250 रुपये प्रति टन (40 डॉलर प्रति बैरल) की दर से लगाया गया। पंद्रह दिन पर होने वाले संशोधनों में इसे घटाकर 3,500 रुपये प्रति टन कर दिया गया।

यह तेल और गैस की कीमत पर 10-20 प्रतिशत रॉयल्टी और 20 प्रतिशत का तेल उपकर के अलावा है।

वेदांता ने 31 जनवरी को और 20 फरवरी को पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय को सूचित किया था कि उसने एसएईडी चुकाने के लिए राजस्थान ब्लॉक, आरजे-ओएन-90/1 पर 8.53 करोड़ डॉलर के अलावा कैम्बे बेसिन में ब्लॉक सीबी-ओएस/2 के लिए 55 लाख डॉलर की कटौती की है।

पीटीआई-भाषा को मिले पत्र के अनुसार, कंपनी ने कहा कि यह अनुबंधों में उल्लेखित आर्थिक लाभ को बरकरार रखने के दृष्टिकोण के साथ किया गया।

कंपनी ने तर्क देते हुए कहा कि उत्पादन साझेदारी अनुबंध (पीएससी) अनुबंधित पक्षों को वित्तीय स्थिरता प्रदान करता है। पीएससी में कहा गया है कि कानून या नियम या विनियमन में अगर परिवर्तन होता है और उससे आर्थिक लाभ पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की आशंका है, उस स्थिति में संबंधित पक्ष तुरंत परामर्श करेंगे और इस तरह प्रत्येक के लिए अपेक्षित लाभ बनाए रखने को लेकर अनुबंध को आवश्यक संशोधन और समायोजन करेंगी।

मंत्रालय ने हालांकि 22 फरवरी को एक पत्र में इसे ‘एकतरफा’ कटौती बताते हुए इसे गलत बताया और कंपनी को सात दिनों के भीतर ब्याज के साथ भुगतान करने के लिए कहा। हालांकि वेदांता ने दिशा का अनुपालन नहीं किया है।

इस बारे में दोनों ब्लॉक का परिचालन करने वाली वेदांता के कयर्न ऑयल एंड गैस को ई-मेल भेजकर प्रतिक्रिया मांगी गयी, लेकिन कोई जवाब नहीं आया। पेट्रोलियम मंत्रालय ने भी इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।

Published : 
  • 24 March 2023, 8:07 PM IST

Related News

No related posts found.