नृपेन्द्र मिश्रा के हटने का असर दिखेगा यूपी के नये मुख्य सचिव की नियुक्ति में?
उत्तर प्रदेश के सत्ता प्रतिष्ठान में हर कोई एक दूसरे से सिर्फ एक ही सवाल पूछ रहा है कि क्या आज अनूप चंद्र पांडेय को एक और सेवा विस्तार मिलेगा? यदि नहीं तो फिर अगला मुख्य सचिव कौन बनेगा? क्या राज्य में काम कर रहे किसी अफसर को मौका मिलेगा या फिर दिल्ली से किसी को लखनऊ बुलाया जायेगा?
नई दिल्ली: कल देश की नौकरशाही से सबसे चौंकाने वाली खबर सामने आयी कि नृपेन्द्र मिश्रा ने पीएमओ छोड़ दिया है। इस बारे में किसी को पहले से रत्ती भर अंदाजा भी नही लग पाया।
संयोग से इसी के एक दिन बाद यानि आज उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव का कार्यकाल पूरा हो रहा है। ऐसे में हर कोई यह जानना चाह रहा है कि अब अगला मुख्य सचिव कौन होगा?
नृपेन्द्र मिश्रा यूपी कैडर के 1967 बैच के आईएएस अफसर हैं। यूपी के होने की वजह से स्वभाविक तौर पर मिश्रा की, कहीं न कहीं अप्रत्यक्ष तौर पर राज्य की शीर्ष नौकरशाही की नियुक्ति में अहम भूमिका होती थी।
यह भी पढ़ें |
#Exclusive वरिष्ठ आईएएस राजीव कुमार कल ज्वाइन करेंगे यूपी सरकार
2017 में राज्य में भाजपा की सरकार आने के बाद पहले मुख्य सचिव के रुप में 1981 बैच के वरिष्ठ आईएएस राजीव कुमार की नियुक्ति हुई। इनकी गिनती योग्य और काबिल अफसरों में होती है। उस समय ये भारत सरकार में जहाजरानी सचिव के रुप में तैनात थे और इनको लखनऊ की अहम बागडोर सौंपी गयी। उस समय ये माना गया कि ये दिल्ली की पसंद हैं।
राजीव कुमार का कार्यकाल समाप्त होने के बाद 1984 बैच के आईएएस अनूप चंद्र पांडेय को नया मुख्य सचिव बनाया गया। इसी साल फरवरी में इनको 6 महीने का सेवा विस्तार दिया गया। अब इनका कार्यकाल आज समाप्त हो रहा है।
कार्यकाल की अंतिम बेला पर नये मुख्य सचिव का निर्णय अब मुख्यमंत्री को करना है जो फिलहाल इस समय गोरखपुर के दौरे पर हैं। शाम तक लखनऊ पहुंच सीएम के इस पर अंतिम फैसला लेने की संभावना है। ऐसे में ब्यूरोक्रेसी से जुड़े लोग यह जानने को उत्सुक है कि उसका नया बॉस कौन होगा?
यह भी पढ़ें |
100 दिन बाद यूपी को मिला मुख्य सचिव, डाइनामाइट न्यूज़ की खबर पर मुहर, राजीव ही बने चीफ सेक्रेटरी
इस बारे में लखनऊ से लेकर दिल्ली तक में तैनात कई बेहद वरिष्ठ अफसरों से डाइनामाइट न्यूज़ ने बात की तो कमोबेश सभी ने माना कि कल के घटनाक्रम के बाद अब इस नियुक्ति में पूरी तरह से सीएम का स्टेक होगा। वे फ्री-हैंड होकर अपने मुख्य सचिव के बारे में निर्णय लेंगे। किसी तरह से दिल्ली का कोई दखल नहीं होगा।
ऐसे में जो दावेदार दिल्ली के भरोसे अपनी पैरवी करा रहे थे उनका दावा कमजोर पड़ जाये तो कोई आश्चर्य नहीं।
अंदर की खबर मानें तो वर्तमान मुख्य सचिव एक और सेवा विस्तार के लिए जबरदस्त बैटिंग कर रहे हैं। यदि इन्हें दूसरा सेवा विस्तार मिला तो सभी का पत्ता साफ होगा। यदि नहीं मिला तो यह देखना दिलचस्प होगा कि नया मुख्य सचिव राज्य में तैनात कोई अफसर होगा या फिर दिल्ली में प्रतिनियुक्ति पर तैनात कोई अफसर?