उपराष्ट्रपति बोले भारत 2047 में दुनिया का नेतृत्व करेगा ,जानिये पूरा अपडेट

डीएन ब्यूरो

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने रविवार को कहा कि युवा पीढ़ी की ‘‘प्रतिबद्धता, दिशात्मक दृष्टिकोण और समाज के प्रति सेवा भाव’’ के परिणामस्वरूप भारत 2047 तक दुनिया में शीर्ष पर होगा। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़


जयपुर: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने रविवार को कहा कि युवा पीढ़ी की ‘‘प्रतिबद्धता, दिशात्मक दृष्टिकोण और समाज के प्रति सेवा भाव’’ के परिणामस्वरूप भारत 2047 तक दुनिया में शीर्ष पर होगा।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार झुंझुनू जिले के सैनिक स्कूल में एक कार्यक्रम में छात्रों को संबोधित करते हुए धनखड़ ने कहा कि भारत बहुत तेजी से आगे बढ़ रहा है और 2047 में जब देश स्वतंत्रता का शताब्दी वर्ष मनाएगा तो वह दुनिया का नेतृत्व कर रहा होगा।

धनखड़ ने कहा, ‘‘आप देश का भविष्य हैं, आप इस देश को आकार देंगे, लेकिन बच्चों आप भाग्यशाली हैं। आप भाग्यशाली हैं कि आप ऐसे समय में यहां हैं जब भारत अभूतपूर्व गति से आगे बढ़ रहा है, भारत का उत्थान अजेय है, जब हम 2047 में अपनी आजादी के सौ साल पूरे करेंगे तो हम दुनिया में पहले स्थान पर होंगे।’’

उपराष्ट्रपति ने कहा, ‘‘और यह संभव कैसे होगा? आप लोग इसे संभव बनाएंगे। आपकी प्रतिबद्धता, आपका दिशात्मक दृष्टिकोण, समाज के प्रति आपकी सेवा भारत को हमेशा गौरवान्वित करेगी।’’

चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग का हवाला देते हुए धनखड़ ने कहा कि ‘‘इतिहास रचा गया है।''

उन्होंने कहा, ‘‘चंद्रयान-3 की सॉफ्ट लैंडिंग हुई। सफल लैंडिंग। इतिहास रचा गया! भारत यह गौरव हासिल करने वाले दुनिया के चार देशों में से एक बन गया, लेकिन चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने का सम्मान पाने वाला दुनिया का एकमात्र देश है।’’

धनखड़ ने विद्यार्थियों से कहा कि वे असफलताओं से कभी न डरें।

पश्चिम बंगाल के राज्यपाल के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान चन्द्रयान-2 की विफलता का उदाहरण देते हुए धनखड़ ने कहा कि तब लैंडिंग सही नहीं थी, लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मिशन में 96 प्रतिशत सफलता के लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) को बधाई दी।

उन्होंने कहा, ‘‘असफलता से कभी न डरें। असफलता का डर आपकी ताकत को काफी कम कर देता है। कभी भी तनाव मत लो... तुम बहुत बेहतर प्रदर्शन कर पाओगे। सैनिक स्कूल में, मैं हमेशा कक्षा में अव्वल रहता था, लेकिन मुझे हमेशा डर लगा रहता था कि अगर मैं प्रथम नहीं आ सका तो क्या होगा? मैं स्कूल से टॉपर बनकर निकला।’’

उन्होंने कहा, ‘‘बाद में, मुझे एहसास हुआ कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप शीर्ष पर हैं या दूसरे स्थान पर हैं। इसलिए अपने व्यक्तित्व को अच्छे से विकसित करें।”

उपराष्ट्रपति ने सात बैच में सभी छात्रों को संसद के कामकाज की झलक देखने के लिए अपने अतिथि के रूप में दिल्ली आमंत्रित किया।

उपराष्ट्रपति ने अपनी पत्नी सुदेश धनखड़ के साथ दिन में लोहार्गल में श्री सूर्य मंदिर और झुंझुनू में रानी शक्ति मंदिर में पूजा-अर्चना की।

उपराष्ट्रपति ने बाद में यहां राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए लोगों से आयुर्वेद जैसी प्राचीन चिकित्सा पद्धतियों को अपनाने का आग्रह किया।

उन्होंने कहा कि यद्यपि एलोपैथिक दवाएं त्वरित लाभ देती हैं, लेकिन उनके कुछ दुष्प्रभाव भी होते हैं।

उन्होंने कोविड-19 महामारी के दौरान आयुर्वेद के योगदान की सराहना करते हुए कहा कि लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में आयुर्वेद की दवाएं बहुत उपयोगी हैं।

उन्होंने कहा कि योग विश्व को भारत का अद्वितीय उपहार है।










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