उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने लोकतंत्र के मंदिरों में व्यवधान को लेकर कही ये बड़ी बात

डीएन ब्यूरो

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने रविवार को कहा कि लोकतंत्र के मंदिरों में व्यवधान और हंगामे को राजनीतिक रणनीति के तौर पर हथियार नहीं बनाया जा सकता। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़


नयी दिल्ली: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने रविवार को कहा कि लोकतंत्र के मंदिरों में व्यवधान और हंगामे को राजनीतिक रणनीति के तौर पर हथियार नहीं बनाया जा सकता।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार उन्होंने यहां जामिया मिलिया इस्लामिया के दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि समाज के विकास के लिए शिक्षा महत्वपूर्ण है। उन्होंने युवाओं से खुद को सशक्त बनाने की अपील की।

धनखड़ ने कहा, “लोकतंत्र जनता की भलाई के लिए संवाद, चर्चा, विचार-विमर्श और बहस को कहा जाता है। निश्चित रूप से व्यवधान और हंगामा लोकतंत्र नहीं हो सकता।”

उन्होंने कहा, “मुझे आपको यह बताते हुए दुख और पीड़ा हो रही है कि लोकतंत्र के मंदिरों की छवि धूमिल करने के लिए व्यवधान और हंगामे को रणनीतिक साधन रूपी हथियार बनाया जा चुका है।”

उपराष्ट्रपति ने कहा कि राष्ट्र निर्माण में मानव संसाधनों का सशक्तीकरण एक महत्वपूर्ण घटक है। उन्होंने छात्रों से कहा, “युवाओं को खुद को सशक्त बनाना चाहिए- राजनीतिक नशे से नहीं, बल्कि स्वस्थ वातावरण और समाज की भलाई, क्षमता निर्माण और व्यक्तित्व विकास के माध्यम से।”

राष्ट्रीय शिक्षा नीति के बारे में उन्होंने कहा कि देश के कुछ हिस्सों में इस नीति को अपनाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा, “मुझे यकीन है कि वे इसका पालन करेंगे और इस महान नीति का लाभ उठाएंगे। यह कौशल-आधारित पाठ्यक्रमों, व्यावसायिक प्रशिक्षण और हमारी शिक्षा को एक नया आयाम देने पर आधारित है।”










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