अस्पताल कर्मचारियां के लिए एमसीडी की ऐप़ आधारित हाजिरी प्रणाली की वैधता बरकरार

डीएन ब्यूरो

दिल्ली उच्च न्यायालय ने नगर निकाय के दो अस्पतालों के सभी कर्मचारियों के लिए एक मोबाइल ऐप के जरिये उपस्थिति दर्ज करना अनिवार्य करने के निगम के फैसले की वैधता को बरकरार रखते हुए कहा है कि यह कदम स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली में सुधार और अपने कर्मचारियों में अनुशासन और जवाबदेही का भाव पैदा करने के लिए उठाया गया है। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

एमसीडी की ऐप़ आधारित हाजिरी प्रणाली की वैधता बरकरार
एमसीडी की ऐप़ आधारित हाजिरी प्रणाली की वैधता बरकरार


नयी दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने नगर निकाय के दो अस्पतालों के सभी कर्मचारियों के लिए एक मोबाइल ऐप के जरिये उपस्थिति दर्ज करना अनिवार्य करने के निगम के फैसले की वैधता को बरकरार रखते हुए कहा है कि यह कदम स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली में सुधार और अपने कर्मचारियों में अनुशासन और जवाबदेही का भाव पैदा करने के लिए उठाया गया है।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक न्यायमूर्ति चंद्रधारी सिंह ने इस नीति को चुनौती देने वाली दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के ‘पैरामेडिकल टेक्निकल स्टाफ वेलफेयर एसोसिएशन’ की याचिका खारिज कर दी और कहा कि उपस्थिति और जवाबदेही सुनिश्चित करने के उपायों के बिना ‘स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में प्रणालीगत विफलता का काफी जोखिम’ है।

उन्होंने याचिकाकर्ता की इस दलील को खारिज कर दिया कि उपस्थिति दर्ज करने की नयी प्रणाली कर्मचारियों की निजता के अधिकार का उल्लंघन है।

न्यायमूर्ति सिंह ने एक हालिया आदेश में कहा, ‘‘मौजूदा मामले में, ऐप का इस्तेमाल कर्मचारियों के बीच, खासकर उपस्थिति के मामले में, अनुशासन और जवाबदेही सुनिश्चित करने की पहल से जुड़ा हुआ है। इस निर्णय को स्पष्ट रूप से स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली में सुधार के लिए उठाए गए एक उपाय के रूप में वर्णित किया जा सकता है।

अदालत ने कहा, ‘‘ऐप शुरू करने का निर्णय स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली को मजबूत करने और कर्मचारियों के महत्वपूर्ण योगदान को बनाए रखने की दिशा में एक रणनीतिक और आवश्यक कदम है और इसलिए, इसमें अदालत द्वारा हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता, क्योंकि यह अवैध नहीं है।’’

याचिकाकर्ता ने एमसीडी के अगस्त 2022 के आदेश को रद्द करने का निर्देश देने की अपील की थी, जिसमें कहा गया था कि राजन बाबू इंस्टीट्यूट ऑफ पल्मोनरी मेडिसिन एंड ट्यूबरक्लोसिस (आरबीआईपीएमटी) और महर्षि वाल्मीकि संक्रामक रोग अस्पताल (एमवीआईडी) के सभी कर्मचारियों का वेतन तभी जारी किया जाएगा जब वे एमसीडी स्मार्ट ऐप के माध्यम से अपनी दैनिक उपस्थिति दर्ज कराएंगे। इन कर्मचारियों में एसोसिएशन के सदस्य भी शामिल थे।

याचिकाकर्ता ने दलील दी कि मोबाइल ऐप आधारित उपस्थिति प्रणाली को कायम नहीं रखा जा सकता, क्योंकि यह गरीब कर्मचारियों को स्मार्ट फोन खरीदने के लिए मजबूर करता है और उनके निजता के अधिकार का भी उल्लंघन करती है।

अदालत ने कहा कि स्मार्ट फोन खरीदना या रखना कोई बाध्यता नहीं है, क्योंकि कर्मचारियों के पास पर्यवेक्षक या किसी अन्य कर्मचारी के फोन के माध्यम से अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के वैकल्पिक तरीके मौजूद हैं।

अदालत ने कहा कि प्रौद्योगिकी की प्रगति ने सार्वजनिक क्षेत्र को कई तरह से मदद की है और इस तरह की प्रगति का विरोध करना केवल एमसीडी के आदेशों का पालन न करने के कर्मचारियों के इरादे को दर्शाता है।

इसने यह भी रेखांकित किया कि सरकारी कर्मचारी नियुक्ति का प्रस्ताव स्वीकार करते समय यह घोषणा करते हैं कि वे बेहतर प्रशासन के लिए सरकार द्वारा लगाए गए सेवा नियमों और अन्य शर्तों का पालन करेंगे।

 










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