

2018 की शुरुआत से अब तक जो आंकड़े नजर आ रहे हैं उससे खाकी वर्दी पहने उत्तर प्रदेश के जवानों की भयावह स्थिति नजर आ रही है। डाइनामाइट न्यूज़ की विशेष रिपोर्ट में यह सच बेपर्दा हुआ है कि बड़ी संख्या में यूपी में बड़े से लेकर छोटे पुलिस कर्मी आत्महत्या कर रहे हैं। पूरा खुलासा..
लखनऊः सदैव सेवा में तत्पर और मित्रता का मान रखने वाली उत्तर प्रदेश पुलिस के कर्मी अब अपनी जिंदगी से हाथ धो रहे हैं। इसकी वजह कुछ और नहीं बल्कि कार्यस्थल पर तनाव और पुलिसकर्मियों को तय समय पर अधिकारियों की तरफ से छुट्टी देने से इंकार करना भी है। प्रदेश के 75 जिलों में अपनी सुरक्षा दे रहे पुलिस जवानों की स्थिति आज इतनी बदतर होकर रह गई है कि न तो वो अपने परिवार को समय दे पा रहे हैं और न हीं उन्हें खुद भी सुदबुध है।
यह भी पढ़ेंः IPS अफसर सुरेन्द्र दास हारे जीवन की जंग, पारिवारिक कलह के कारण खाया था जहर
बाद अगर खाकी वर्दी के आत्महत्या की करें तो पिछले छह महीनों में दो आईपीएस अधिकारियों समेत कई पुलिसकर्मी अपनी जान गंवा चुके हैं। इसके पीछे वजह कुछ और नहीं बल्कि कार्यालयी तनाव और लंबी ड्यूटी है।
2018 में अब तक प्रदेश में कहां- कहां पुलिसवालों ने की आत्महत्या
1. पुलिस महकमे में तब माहौल गमगीन हो गया था जब 29 मई को एसपी राजेश साहनी ने खुद को गोली मार ली थी। इसकी वजह तनाव बताया गया था।
2. खाकी वर्दी की आत्महत्या का यह सिलसिला यहां भी नहीं थमा। राजरतन वर्मा जो हरदोई में दारोगा के पद पर कार्यरत थे उन्होंने तनाव में 8 जून को खुद को गोली मारकर आत्महत्या की थी।
3. मुरादाबाद में सिपाही के पद पर तैनात सोमराज दिवाकर ने 19 जून को जिंदगी से तंग आकर खुद को फांसी के फंदे पर चढ़ा लिया और अपनी जान दे दी।
यह भी पढ़ेंः DN Exclusive: जानिये.. यूपी पुलिस ने कब-कब किए फर्जी एनकाउंटर और खाकी हुई दागदार
4. तनाव के कारण 4 सितंबर को बांदा में एक महिला सिपाही जिंदगी से हार गई और उसने आत्महत्या को गले लगा लिया।
5. उत्तर प्रदेश पुलिस में आत्महत्या का यह सिलसिला थमा नहीं बल्कि इसमें और तेजी आई। इस बार किसी सिपाही ने नहीं बल्कि कानपुर में एसपी सिटी सुरेंद्रदास ने 5 सितंबर को जहरीला पर्दाथ खाकर अपनी जान दे दी।
6. गोरखपुर में दारोगा पद पर तैनात शिवकुमार ने 12 सितबंर को फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। इसके पीछे भी कार्यालयी तनाव और लंबी ड्यूटी का दबाव था
7. लखीमपुर खीरी में सिपाही पद पर तैनात रवि तोमर ने 18 सितंबर को फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली।
8. पुलिसकर्मियों की मौत का यह सिलसिला यहां भी नहीं थमा। सितंबर में ही 26 तारीख को मुजफ्फनगर में तैनात महिला सिपाही ने खुदकुशी कर ली।
9. श्रावस्ती में इस बार किसी सिपाही ने नहीं बल्कि उप निरीक्षक मनोज यादव ने खुद को मौत के गले लगा लिया।
यह भी पढ़ेंः विवेक तिवारी हत्याकांडः एसआईटी ने घटनास्थल से जुटाए साक्ष्य
10. बाराबंकी के हैदरगढ़ थाने में तैनात महिला सिपाही ने ड्यूटी से तंग आकर और छुट्टी नहीं मिलने के कारण खुदकुशी कर ली।
11. इसी महीने की पहली तारीख यानी 1 अक्टूबर को फर्रूखाबाद में तैनात एक दारोगा ने खुद को तीन गोलियां मारकर आत्महत्या कर ली।
12. दारोगा की मौत के मामले में जांच चल ही रही थी कि 2 अक्टूबर को कानपुर देहात में तैनात सिपाही नरेश यादव ने भी खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली।
2018 की शुरुआत से अब तक जिस तरह से पुलिस की आत्महत्या के ये आंकड़े हमें दिख रहे हैं इससे साफ झलक रहा है कि जनता की सेवा में सदैव तत्पर यूपी पुलिस खुद की जान बचाने में नाकाम दिख रही है।
इससे उन युवाओं को बड़ा झटका लग सकता है जो यूपी पुलिस में भर्ती होकर प्रदेश की सेवा करना चाहते हैं। क्योंकि यूपी पुलिस में भर्ती होने का मतलब है 24 घंटे काम और तनाव को झेलना। अब इन भयावह आंकड़ों से खाकी की पीड़ा का फिलहाल कोई समाधान होता नजर नहीं आ रहा है।
No related posts found.