

उत्तर प्रदेश में फिर एक बार फर्जी एनकाउंटर में एक निर्दोष की जान चली गयी। इससे अब यूपी में फर्जी एनकाउंटर की बाढ़ सी आ गई है। इस मामले से पुलिस की कार्यशैली और प्रदेश की कानून व्यवस्था पर फिर सवाल खड़े हो गये है। यह पहला मामला नहीं है जब खाकी पर दाग लगे हों। डाइनामाइट न्यूज़ की रिपोर्ट में पढ़ें, कब-कब हुए फर्जी एनकाउंटर..
लखनऊः गोमतीनगर के पॉश इलाके में आईफोन बनाने वाली कंपनी एप्पल में बतौर सेल्स मैनेजर विवेक तिवारी को बीती रात लखनऊ पुलिस द्वारा एनकाउंटर में मारे जाने की घटना से हर कोई हैरान है। पुलिस की इस मामले में जहां बड़ी उजीहत हो रही है वहीं पुलिस की कार्यप्रणाली के प्रति लोगों में अविश्वास होना भी लाजमी है। इस घटना को लेकर पुलिस महकमे में हड़कंप मचा हुआ है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी डीजीपी ओपी सिंह से पूरे मामले की रिपोर्ट तलब की है। इस तरह के मामले पहले भी सामने आ चुके है। पढ़ें, डाइनामाइट न्यूज़ की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट..
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यूपी पुलिस के फर्जी एनकाउंटर का यह कोई पहला मामला नहीं है, इससे पहले भी कई निर्दोषों की पुलिस की गोली से जान जा चुकी हैं। पुलिस की गोली से मारे गए लोगों के परिजनों में न सिर्फ गुस्सा है बल्कि इससे यूपी पुलिस की खराब व शर्मनाक कार्रवाई सामने आई है।
डाइनामाइट न्यूज़ की इस विशेष रिपोर्ट में पढ़ें कब-कब यूपी में पुलिस ने किए फर्जी एकाउंटर, कैसे कानून व्यवस्था को किया तार-तारः
1. सिटीजन्स अगेंस्ट हेट नाम के एक संगठन ने अपनी रिपोर्ट में यूपी पुलिस के फर्जी एनकाउंटर को लेकर एक चौंकाने वाला खुलासा किया था। 2017-18 की इस रिपोर्ट में ये बात सामने आई थी कि यूपी पुलिस ने 16 से ज्यादा निर्दोष लोगों का फर्जी एनकाउंटर कर उन्हें मौत की नींद सुला दिया।
2. योगी सरकार के 12 महीने और योगी की पुलिस के करीब 12 सौ एनकाउंटर में हर महीने 100 और हर दिन 3 से 4 एनकाउंटर होते है, इससे यूपी पुलिस अब सवालों के घेरे में भी आ रही है।
3. आजमगढ़ में यूपी पुलिस ने 3 अगस्त 2017 को जयहिंद नाम के युवक को मुठभेड़ में मार गिराया था। युवक के परिजनों का आरोप था कि उनके घर पर सादे कपड़े में कुछ लोग आए और जयहिंद को अपने साथ ले गए। अगले दिन परिजनों को खबर मिली की पुलिस ने उसका एनकाउंटर कर दिया है। जबकि युवक के परिजनों ने एनकाउंटर को पूरी तरह से फर्जी करार दिया था।
4. बागपत में सुमित गुर्जर नाम के युवक को पुलिस ने मुठभेड़ में मार गिराया था। मामला 30 अक्टूबर 2017 का है। सुमित के पिता का आरोप है कि पुलिस ने उनके बेटे सुमित को जबरन घर से उठाया और उससे मारपीट की और उसका एनकाउंटर कर दिया।
5. इटावा में 18 अगस्त 2017 को पुलिस ने आदेश यादव का एनकाउंटर किया था। जबकि आदेश के परिजनों ने इसे फर्जी एनकाउंटर करार दिया था। उन्होंने राज्य मानवाधिकार आयोग से न्याय की गुहार लगाई थी।
6. मुकेश राजभर नाम के युवक को पुलिस ने 26 जनवरी 2018 को मुठभेड़ में मार गिराया था। मृतक के भाई ने पुलिस पर आरोप लगाया कि मुकेश को पुलिस कानपुर से उठाकर ले गई और अगले दिन उन्हें उसके मारे जाने की खबर आई।
7. अलीगढ़ में सितंबर में इसी महीने पुलिस के एनकाउंटर में दो युवकों को मार गिराया था। एनकाउंटर में मारे गए नौशाद के परिजनों का कहना है कि पुलिस जबरन उनके बेटे को घर से उठाकर ले गई जबकि उसने कोई जुर्म नहीं किया।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने यूपी सरकार को जारी किया था नोटिस
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने यूपी में लगातार हो रहे एनकाउंटर में मारे गए कुछ निर्दोष लोगों की जिंदगी लीलने वाले पुलिस कर्मियों और प्रदेश की सरकार की बर्रबरतापूर्ण कार्रवाई को लेकर योगी सरकार को नोटिस भी जारी किया था। बावजूद प्रदेश में एनकाउंटर पर रोक नहीं लग रही है।
हालांकि पुलिस की मुठभेड़ में कई बड़े अपराधी जरूर मारे गए हैं लेकिन तथ्यों की कमी और तालमेल में गड़बड़ी के चलते कई निर्दोष लोग भी पुलिस के एनकाउंटर में अपनी जान गंवा चुके हैं।
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