महराजगंज: भगवान बुद्ध के ननिहाल देवदह से डाइनामाइट न्यूज़ की ग्राउंड जीरो रिपोर्ट में देखिये वहां का ताजा हाल, जानिये कैसे बढ़ेंगे रोजगार के अवसर?

डीएन संवाददाता

उत्तर प्रदेश के महराजगंज जिले के नौतनवा तहसीह में देवदह नाम का स्थान है। ऐसा माना जाता है कि देवदह भगवान बुद्ध का ननिहाल है। देवदह से देखिये डाइनामाइट न्यूज़ की ये ग्राउंड जीरो रिपोर्ट



महराजगंज: जनपद के नौतनवा तहसील के बनरससिहा कला क्षेत्र में देवदह का विशेष स्थान है। पौराणिक कथाओं के मुताबिक ऐसा माना गया है कि देवदह भगवान बुद्ध का ननिहाल है। देवदह भारत-नेपाल सीमा से 35-40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। देवदह को लेकर शासन और सरकार द्वारा अब तक कई दावे-वादे किये गये। देवदह की वास्तविक स्थिति को जानने के लिये डाइनामाइट न्यूज़ मौके पर पहुंची और वहां की ताजी स्थिति जानी। 

डाइनामाइट न्यूज़ से बातचीत में लोगों ने कहा कि यदि देवदह पर्यटन के दृष्टिकोण से तैयार किया जाए तो यहां अच्छे रोजगार के अवसर पैदा किए जा सकते हैं। साथ ही इस स्थान को और अधिक ख्याति मिलने में भी मदद होगी।

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डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता की ग्राउंड रिपोर्ट के अनुसार सरकार की उपेक्षाओं के चलते देवदह में किसी भी प्रकार का कोई निर्माण कार्य अब तक शुरू नहीं हुआ है।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक 1978 में पुरातत्व विभाग ने यहां 88.8 एकड़ भूमि संरक्षित कर किसी भी प्रकार के निर्माण और खनन पर रोक लगा दी थी। इसके बाद 1991 में पुरातात्विक सर्वेक्षण विभाग की पटना इकाई ने इस जगह पर खनन कराया था।

देवदह है जन्मस्थली

स्थानीय लोगों से बातचीत के बाद यह भी पता चला है कि यह स्थान न सिर्फ गौतम बुद्ध का ननिहाल है बल्कि उनकी मां महामाया, मौसी महाप्रजापति गौतमी और पत्नी यशोधरा की जन्मस्थली भी है।

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देवदह आया था एक चीनी यात्री

कुछ इतिहासकारों के मुताबिक इस स्थान को सम्राट से जुड़ा हुआ बताया है। बता दें कि हर्ष के शासनकाल में एक चीनी यात्री ह्वेनसांग ने बौद्ध स्थलों का भ्रमण किया था। उस दौरान वह देवदह भी आए थे। इसके अलावा यहां स्थित स्तूप को गुप्त काल के पहले का बताया गया है।

राष्ट्रीय स्तर पर विकास

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता ने अपनी जीरो ग्राउंड रिपोर्ट के दौरान जब स्थानीय लोगों से बात की तो उन्होंने बताया कि ये क्षेत्र भगवान बुद्ध का ननिहाल है। इस पूरे क्षेत्र को पर्यटन क्षेत्र घोषित कर इसका राष्ट्रीय स्तर पर विकास होना चाहिए, ताकि इस स्थल को पूरे विश्व में एक अलग पहचान मिल  सके। अगर इस क्षेत्र का विकास पर्यटन स्थल के रूप में होता है तो रोजगार के भी कई अवसर पैदा होंगे।










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