उत्तर प्रदेश: कतर्नियाघाट जंगल में बाघ के हमले में 10 साल के बच्चे की मौत

डीएन ब्यूरो

उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले में कतर्नियाघाट वन्यजीव अभ्यारण के पास जंगल में मवेशी चरा रहे 10 साल के एक लड़के की बाघ के हमले में मौत हो गई। अधिकारियों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।

बाघ  (फाइल)
बाघ (फाइल)


बहराइच: उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले में कतर्नियाघाट वन्यजीव अभ्यारण के पास जंगल में मवेशी चरा रहे 10 साल के एक लड़के की बाघ के हमले में मौत हो गई। अधिकारियों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।

वहीं, ग्रामीणों के मुताबिक, कतर्नियाघाट जंगल के किनारे स्थित आम्बा गांव में बृहस्पतिवार शाम कुछ लोग मवेशी चरा रहे थे, तभी उन्हें जंगल में बाघ के दहाड़ने की आवाज सुनाई दी।

ग्रामीणों ने बताया कि बाघ की दहाड़ सुन ग्रामीण वहां से भागने लगे, लेकिन 10 वर्षीय महफूज नहीं भाग सका और बाघ ने उसे दबोच लिया।

ग्रामीणों के अनुसार, जब वे समूह में मौके पर लौटे और शोर मचाया तो बाघ जंगल की ओर लौट गया, लेकिन तब तक महफूज की मौत हो चुकी थी। उन्होंने बताया कि ग्रामीणों को महफूज का क्षत विक्षत शव बरामद हुआ।

वन विभाग के सूत्रों ने बताया कि महफूज का पोस्टमार्टम कराया जा रहा है, जिसके बाद उसका शव परिजनों को सौंप दिया जाएगा।

सूत्रों के मुताबिक, बच्चे के अंतिम संस्कार के लिए उसके परिजनों को पांच हजार रुपये की आर्थिक सहायता दी गई है।

वहीं, प्रभागीय वनाधिकारी आकाशदीप बधावन ने बताया कि बाघ के हमले से 10 साल के बच्चे की मौत के बाद वन विभाग की कई टीम क्षेत्र में गश्त लगा रही हैं। उन्होंने बताया कि ग्रामीणों को घर से बाहर नहीं निकलने की हिदायत दी गई है।

आकाशदीप बधावन ने शुक्रवार को बताया कि 'अप्रैल 2022 से 8 जून 2023 तक करीब 14 महीनों के दरमियान कतर्नियाघाट अभयारण्य में मानव वन्यजीव संघर्ष के चलते महिलाओं व बच्चों समेत कुल 19 लोगों की मृत्यु हुई है तथा इन हमलों में 70 लोग घायल हुए हैं।'

उन्होंने बताया कि 'संघर्ष को रोकने की दिशा में विभाग द्वारा बड़े पैमाने पर प्रयास किए जा रहे हैं।

जानवरों व इंसानों को नुकसान पहुंचाए बगैर आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस व सुरक्षित रसायनों का इस्तेमाल कर रिहायशी इलाकों से जानवरों को दूर रखने की कोशिश की जा रही हैं।''

डीएफओ ने कहा कि ''स्वैच्छिक सामाजिक संगठनों व स्थानीय नागरिक समूहों के माध्यम से ग्रामीणों का वन्यजीवों के प्रति लगाव को बरकरार रखने और उनकी जागरुकता के लिए हम लगातार प्रयासरत हैं। इसके लिए विभाग द्वारा जंगल से सटे गांवों में कार्यशालाएं व मॉक ड्रिल आयोजित की जाती हैं।''

गौरतलब है कि बहराइच जिले की मोतीपुर तहसील में स्थित कतर्नियाघाट वन्यजीव अभ्यारण्य सीमावर्ती नेपाल के तराई क्षेत्र के करीब 400 वर्ग किलोमीटर (154.7 वर्ग मील) क्षेत्रफल में फैला है।

अभयारण्य की स्थापना वर्ष 1975 में हुई और वर्ष 1987 में इसे बाघ संरक्षण के लिए प्रोजेक्ट टाइगर के अधीन लाया गया। बहराइच के कतर्नियाघाट वन्यजीव अभ्यारण्य तथा लखीमपुर जिले के दुधवा नेशनल पार्क व किशनपुर वन्यजीव अभयारण्य को मिलाकर ‘दुधवा बाघ अभयारण्य’ का नाम दिया गया है।

‘वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर’ (डब्ल्यूडब्ल्यूएफ) के परियोजना अधिकारी दबीर हसन के अनुसार बहराइच जनपद के कतर्नियाघाट डिवीजन में 37 तेंदुआ और 35 से अधिक बाघ मौजूद हैं।

 










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