यूपी में आईपीएस अफसरों की लड़ाई और बढ़ी, डीजीपी ने छोड़ा ग्रुप, मचा हड़कंप

मनोज टिबड़ेवाल आकाश

पिछले 36 घंटे से आईपीएस दीपक कुमार और जय नारायण सिंह की आपसी लड़ाई WhatsApp ग्रुप में चल रही है। इसी बीच पुलिस महकमे के सेनापति ओपी सिंह ने अपने मातहतों के आगे हथियार डाल दिया है। सवाल यह है कि क्या सूबे के आईपीएस.. डीजीपी के कंट्रोल से बाहर हो गये हैं या वे खुद इन्हें कंट्रोल नही करना चाहते हैं। अंदर की खबर ये है कि सारा झगड़ा अब सीएम तक पहुंच चुका है। डाइनामाइट न्यूज़ एक्सक्लूसिव..

यूपी के पुलिस महानिदेशक ओपी सिंह
यूपी के पुलिस महानिदेशक ओपी सिंह


नई दिल्ली: यूपी डायल-100 के एडीजी आदित्य मिश्रा ने सूबे के प्रमुख सचिव गृह अरविंद कुमार द्वारा लिखे गये दो पन्ने के गोपनीय सरकारी दस्तावेज को यूपी के आईपीएस अफसरों के WhatsApp ग्रुप में क्या डाला, हंगामा बरप उठा। पिछले 36 घंटे से मची रार थमने का नाम नही ले रही है। 

लखनऊ के एसएसपी रहे दीपक कुमार की ACR को लखनऊ रेंज के तत्कालीन आईजी जय नारायण सिंह ने अपने रंग में लिख डाला। भन्नाये दीपक ने इसके काउंटर में प्रमुख सचिव गृह के दरबार में हाजिरी लगायी औऱ फिर वहां से अभयदान पा बैठे। इसी अभयदान के दो पन्ने के गोपनीय दस्तावेज (ACR) को न जाने क्या समझ आदित्य ने अपने साथियों के बीच ग्रुप में शेयर कर डाला। तबसे लेकर अब तक तमाम आईपीएस अपनी-अपनी बात ग्रुपों में लिख रहे हैं। इस बारे में डाइनामाइट न्यूज़ ने विस्तार से इस खबर चुनावी साल में एसएसपी दीपक कुमार के ACR के बहाने आपस में भिड़े यूपी के आईपीएस को प्रकाशित किया था।

इस खबर के बाद आज दो डेवलपमेंट हुए। पहला.. ACR लिखने के बाद भी अपनी बातों के समर्थन में मजबूत तर्क न रख पाने वाले गोरखपुर रेंज के आईजी जयनारायण सिंह बैकफुट पर आ गये और ग्रुप में शेयर किये गये कंटेट के कारण अपने साथी से माफी मांगी। दूसरा.. और बेहद चौंकाने वाला वाकया आज दोपहर घटित हुआ। महकमे के जिस विभागाध्यक्ष पर मातहत आईपीएस अफसरों के मतभेद को सुलझाने की जिम्मेदारी है.. जिस सेनापति पर जिम्मेदारी है कि फोर्स का मनोबल ऊंचा रख टीम को दो महीने बाद चुनावी अग्निपरीक्षा में भेज सफल हो.. उसी अफसर ने मातहतों के आगे सरेंडर बोल दिया और आईपीएस अफसरों के WhstsApp ग्रुप से खुद को अलग कर लिया।

डीजीपी का यह कदम कई सवालों को जन्म दे रहा है.. क्या उनका मातहतों पर कोई नियंत्रण नही है या फिर वे खुद इन पर नियंत्रण नही रखना चाहते? क्या यह बेहतर नही होता कि WhatsApp ग्रुप में एक दूसरे पर कीचड़ उछालने वाले आईपीएस अफसरों पर कायदे से अनुशासन का चाबुक चलाया जाय? ताकि वे अपनी लड़ाईयों को चौराहे पर लेकर न आय़ें। 

जानकारों का कहना है कि अफसरों के ग्रुप में चर्चा बुरी बात नही है लेकिन बीच के जो विभीषण स्क्रीनशाट्स को सोशल मीडिया में वायरल करा आईपीएस कम्युनिटी को कमजोर करने पर तुले हैं वह बेहद चिंताजनक है।

यह आपसी लड़ाई, गुटबाजी, खेमेबंदी.. नौजवान आईपीएस अफसरों के मनोबल पर काफी बुरा असर डाल रही है। क्या इन हरकतों से जनियर के मन में सीनियर के प्रति अविश्वास का भाव जागृत नही होगा? डीजीपी के ग्रुप छो़ने से पहले दोनों तरफ से यह जताने की कोशिश की जा रही थी कि अब विवाद समाप्त है औऱ हम सब एक हैं लेकिन अचानक डीजीपी के ग्रुप से निकलने से ऊपर से शांत दिख रहे पानी में फिर हलचल पैदा हो गयी। 

डाइनामाइट न्यूज़ को मिली जानकारी के मुताबिक पिछले 36 घंटों से जारी उठापटक सीएम के संज्ञान में ला दी गयी है। अब देखना दिलचस्प होगा कि आईपीएस अफसरों की इस लड़ाई में ऊंट किस करवट बैठता है और कौन-कौन हिट विकेट होता है?

क्या कहना है प्रकाश सिंह का

आईपीएस अफसरों के बीच मची इस रार के बारे में डाइनामाइट न्यूज़ ने राज्य के पूर्व पुलिस महानिदेशक प्रकाश सिंह से बातचीत की तो उन्होंने कहा कि "डीजीपी को तो किसी ग्रुप में होना ही नही चाहिये, य़दि उन्होंने WhatsApp ग्रुप छोड़ा है तो अच्छा किया है।" प्रकाश सिंह ने अफसरों की आपसी लड़ाई के सवाल पर कहा कि "यदि आपस में लड़ाई या मनमुटाव होगा तो मनोबल तो गिरेगा ही, साथ ही पुलिस फोर्स की प्रभावशीलता भी कम होगी, जो बेहद चिंताजनक है।" 

 










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