ऑनलाइन ‘डार्क पैटर्न’ के खतरे से निपटने के लिए जानिये सरकार की इस खास योजना के बारे में
ऑनलाइन ‘डार्क पैटर्न’ के खतरे से निपटने के तरीके सुझाने के लिए गठित कार्यबल ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। उपभोक्ता मामलों का मंत्रालय इस पर विचार कर रहा है। पढ़िए पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर:
नयी दिल्ली: ऑनलाइन ‘डार्क पैटर्न’ के खतरे से निपटने के तरीके सुझाने के लिए गठित कार्यबल ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। उपभोक्ता मामलों का मंत्रालय इस पर विचार कर रहा है। ‘डार्क पैटर्न’ लोगों को ऑनलाइन धोखा देने या उनकी पसंद में हेरफेर करने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली रणनीति है।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार इस कार्यबल का गठन 28 जून को किया गया था। उसने 14 अगस्त को नोडल उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय को दिशानिर्देशों का मसौदा सौंपा। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘ मंत्रालय दिशानिर्देशों के मसौदे पर गौर कर रहा है और जल्द ही इस संबंध में जानकारी दी जाएगी।’’
मसौदे में कार्यबल ने स्पष्ट रूप से ‘डार्क पैटर्न’ को परिभाषित किया है कि यह उपभोक्ता हितों के खिलाफ है और ऑनलाइन मंचों द्वारा इसका इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए। इसमें ‘डार्क पैटर्न’ के विभिन्न प्रकार को भी वर्गीकृत किया गया है जिनका विभिन्न ई-मंच पर इस्तेमाल किया जाता है।
अमेजन, फ्लिपकार्ट, गूगल, मेटा, ओला कैब्स, स्विगी, ज़ोमैटो, शिप रॉकेट, गो-एमएमटी और नैसकॉम के प्रतिनिधि कार्यबल का हिस्सा हैं। सभी ने विस्तृत चर्चा के बाद मसौदे को अंतिम रूप दिया है।
अधिकारी ने कहा, ‘‘ इस समस्या से निपटने के लिए पूरा उद्योग एकसाथ है।’’ अभी ‘डार्क पैटर्न’ भ्रामक विज्ञापनों के तौर पर नजर आते हैं।