उपहार अग्निकांड : मुझ पर सीधा हमला है वेब सीरीज ‘ट्रायल बाई फायर’

डीएन ब्यूरो

राष्ट्रीय राजधानी में 1997 में हुए उपहार सिनेमा अग्निकांड में दोषी पाए गए रियल एस्टेट कारोबारी सुशील अंसल ने बुधवार को दिल्ली उच्च न्यायालय के समक्ष कहा कि वेब सीरीज ‘ट्रायल बाई फायर’ सीधे तौर पर उनके व्यक्तित्व पर प्रहार करती है। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर

सुशील अंसल
सुशील अंसल


नयी दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी में 1997 में हुए उपहार सिनेमा अग्निकांड में दोषी पाए गए रियल एस्टेट कारोबारी सुशील अंसल ने बुधवार को दिल्ली उच्च न्यायालय के समक्ष कहा कि वेब सीरीज ‘ट्रायल बाई फायर’ सीधे तौर पर उनके व्यक्तित्व पर प्रहार करती है।

सुशील अंसल ने वेब सीरीज ‘ट्रायल बाई फायर’ की रिलीज पर रोक के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। नेटफ्लिक्स पर 13 जनवरी को रिलीज होने वाली यह शृंखला उपहार कांड पर आधारित बताई जाती है।

अंसल ने अदालत से वेब सीरीज की रिलीज के खिलाफ व्यवस्था देने का आग्रह किया है। वेब सीरीज के टीजर को चार दिनों के भीतर 15 लाख बार देखा जा चुका है।

रियल इस्टेट क्षेत्र के उद्यमी अंसल (83) ने यह मांग भी की है कि पुस्तक ‘ट्रायल बाई फायर-द ट्रैजिक टेल ऑफ द उपहार ट्रेजेडी’ के वितरण और प्रकाशन पर रोक लगाई जाए।

न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा ने डेढ़ घंटे से अधिक समय तक दलीलें सुनने के बाद इस मामले में आदेश सुरक्षित रख लिया।

सुशील अंसल के वकील ने कहा, ‘‘ वे सीधे तौर पर मेरे व्यक्तित्व पर हमला करते हैं / वे सीधे मेरा नाम ले रहे हैं। मुझ पर इससे ज्यादा सीधा हमला नहीं हो सकता। वेब सीरीज में मेरे नाम का इस्तेमाल किया गया है। ’’

सुशील अंसल की याचिका का वेब सीरीज के निर्माताओं, और पुस्तक के लेखकों - नीलम और शेखर कृष्णमूर्ति के वकील ने जोरदार विरोध किया।

इस अग्निकांड में नीलम और शेखर कृष्णमूर्ति के दो बच्चों की मौत हो गयी थी।

अंसल ने अपनी याचिका में कहा कि उन्हें ‘कानूनी और सामाजिक दोनों तरह से सजा दी गयी है’ और अग्निकांड में अपने दो बच्चों को खो देने वाले दंपति की लिखी किताब पर आधारित वेब सीरीज के रिलीज होने से उनकी साख को अपूरणीय क्षति पहुंचेगी तथा उनके निजता के अधिकार का हनन होगा।

उपहार सिनेमा में 13 जून, 1997 को हिंदी फिल्म ‘बॉर्डर’ के प्रदर्शन के दौरान भयावह आग लग गयी थी जिसमें 59 लोग मारे गये थे।

उच्चतम न्यायालय ने 2017 में मामले में अंतिम निर्णय करते हुए सुशील अंसल और उनके भाई गोपाल अंसल (74) को 30-30 करोड़ रुपये का जुर्माना भरने का निर्देश दिया था। शीर्ष अदालत ने सुशील अंसल के जेल में बिताये समय पर विचार करते हुए उन्हें रिहा कर दिया था।

बाद में अंसल बंधुओं और दो अन्य लोगों को उपहार सिनेमा अग्निकांड के मुकदमे के संबंध में साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ का दोषी ठहराया गया था।










संबंधित समाचार