शहर में रहने वालों की रिपोर्ट बहुत अच्छी नहीं, ग्रामीण क्षेत्रों में बच्चों और किशोरों के स्वास्थ्य में सुधार, पढ़ें पूरा शोध
दुनिया भर में युवाओं के लिए स्वास्थ्य और विकास के लिहाज से शहरों में रहने के फायदे कम हो रहे हैं। लेकिन इसके साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में बच्चों और किशोरों के स्वास्थ्य में सुधार देखा जा रहा है। बच्चों और किशोरों की लंबाई और बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) के रुझानों के वैश्विक विश्लेषण से यह जानकारी सामने आई है।
नयी दिल्ली: दुनिया भर में युवाओं के लिए स्वास्थ्य और विकास के लिहाज से शहरों में रहने के फायदे कम हो रहे हैं। लेकिन इसके साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में बच्चों और किशोरों के स्वास्थ्य में सुधार देखा जा रहा है। बच्चों और किशोरों की लंबाई और बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) के रुझानों के वैश्विक विश्लेषण से यह जानकारी सामने आई है।
वैश्विक संघ के 1500 से अधिक शोधकर्ताओं और फिजिशियन (चिकित्सकों) द्वारा किए गए शोध में 1990 से 2020 तक 200 देशों के समूचे शहरी एवं ग्रामीण इलाकों के 7.1 करोड़ बच्चों और किशोरों (पांच से 19 साल उम्र) की लंबाई और वजन के आंकड़ों का विश्लेषण किया गया है।
अध्ययन हाल में ‘नेचर’ पत्रिका में प्रकाशित हुआ है जिसमें पता चला है कि 21वीं सदी में अधिकांश देशों के शहरी क्षेत्रों में बच्चों एवं किशोरों की लंबाई घटी है जबकि ग्रामीण इलाकों के बच्चों और किशोरों की लंबाई में सुधार देखा गया है।
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शोधकर्ताओं ने बच्चों के बीएमआई का भी अध्ययन किया जो उनकी लंबाई के अनुसार स्वस्थ वजन का संकेत है।
उन्होंने पाया कि 1990 में शहरों में रहने वाले बच्चों का औसत बीएमआई ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चों की तुलना में थोड़ा अधिक था। हालांकि 2020 तक उप-सहारा, अफ्रीका और दक्षिण एशिया, जहां बीएमआई ग्रामीण क्षेत्रों में तेजी से बढ़ी है, को छोड़कर अधिकांश देशों में शहरों में बीएमआई औसत घट गया।
इम्पीरियल कॉलेज लंदन के स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ से अध्ययन की मुख्य लेखक अनु मिश्रा ने कहा, ‘‘शहरों में बच्चों एवं किशोरों को स्वास्थ्य सुविधाओं के लाभ मिलते रहे हैं।’’
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उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन सौभाग्य से अब आधुनिक स्व्च्छता एवं पोषण तथा स्वास्थ्य देखभाल में सुधार की बदौलत अधिकांश क्षेत्रों में ग्रामीण इलाके शहरों की तरह बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं दे रहे हैं।’’