जेल में रहकर चुनाव जीतने वाले नेता बोले- विधायक बनकर खुश नहीं, पढ़िये पूरा बयान
जेल में रहते हुए 2021 में विधानसभा चुनाव जीतकर राजनीतिक पंडितों को चौंकाने वाले असम के विधायक अखिल गोगोई ने रविवार को कहा कि वह विधायक बनकर खुश नहीं हैं क्योंकि उन्हें कार्यकर्ता के तौर पर बिताए गए दिनों की कमी खलती है। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर
गुवाहाटी: जेल में रहते हुए 2021 में विधानसभा चुनाव जीतकर राजनीतिक पंडितों को चौंकाने वाले असम के विधायक अखिल गोगोई ने रविवार को कहा कि वह विधायक बनकर खुश नहीं हैं क्योंकि उन्हें कार्यकर्ता के तौर पर बिताए गए दिनों की कमी खलती है।
वह वक्त ऐसा था जब पूर्व किसान नेता ‘‘लोगों के मुद्दों’’ को ‘‘सीधे और दृढ़ता से’’ कहीं अधिक उठा सकते थे।
शिवसागर निर्वाचन क्षेत्र से पहली बार विधायक बने सिंह ने यह भी दावा किया कि वह अकेले सरकार के सभी ‘‘जनविरोधी’’ फैसलों की आलोचना और विरोध करके विपक्ष की भूमिका निभा रहे हैं क्योंकि अन्य विपक्षी दल ‘‘चुप’’ हैं।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार गोगोई ने कहा, ‘‘मैं विधायक के इस पद से खुश नहीं हूं। मैं एक कार्यकर्ता हूं। मैं केंद्र और राज्य सरकार की सभी जनविरोधी गतिविधियों के खिलाफ लड़ता हूं।’’
गोगोई की राजनीतिक पार्टी रायजोर दल, भारत के संसाधनों के निगमीकरण, ‘‘फासीवादी’’ माहौल और सरकार की ‘‘सांप्रदायिक और अलोकतांत्रिक भावना’’ जैसे विभिन्न मुद्दों के खिलाफ लड़ रही है।
विशेष रूप से यह पूछे जाने पर कि क्या एक कार्यकर्ता के रूप में लोगों के हितों के लिए लड़ने की अधिक गुंजाइश थी और वह अपने पहले के कार्य के दौरान अधिक खुश थे, गोगोई ने कहा, ‘‘हां, निश्चित रूप से। मैं अपने आंदोलन के दिनों में अधिक खुश था। अब, मैं एक विधायक हूं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘असम विधानसभा में मैं एकमात्र विपक्ष हूं जो इस सांप्रदायिक भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली सरकार के खिलाफ लड़ रहा है। विपक्ष के हम 51 विधायक हैं। लेकिन कई विपक्षी विधायकों ने राज्यसभा और राष्ट्रपति चुनावों में भाजपा के पक्ष में मतदान किया।’’
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ये आरोप उन पर भी लगे थे कि उन्होंने राष्ट्रपति चुनाव के दौरान भाजपा को वोट दिया था। इस पर निर्दलीय विधायक ने इन आरोपों से इनकार किया और दावा किया कि वह ‘‘भाजपा की सांप्रदायिक और जातिवादी राजनीति’’ के खिलाफ लड़ रहे हैं।
गोगोई ने अपने सामाजिक जीवन की शुरुआत किसान संगठन ‘कृषक मुक्ति संग्राम समिति’ (केएमएसएस) बनाकर की थी और इस सदी के लगभग दो दशकों तक किसानों की आजीविका और रिहाइश से जुड़े कई मुद्दों को उठाया।
उन्होंने भूमि अधिकारों सहित कई मुद्दों पर कई सूचना का अधिकार (आरटीआई) आवेदन और अदालती मामले दायर किए थे और असम में कई घोटालों का पर्दाफाश किया था।
केएमएसएस के पूर्व नेता और संगठन ने एनएचपीसी की 2,000 मेगावाट की सुबनसिरी जलविद्युत परियोजना, संशोधित नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (सीएए) और राज्य भर में राष्ट्रीय राजमार्गों पर टोल गेटों सहित कई विरोध प्रदर्शन और आंदोलन का नेतृत्व किया था।
गोगोई ने कहा, ‘‘मैंने केंद्र सरकार और भाजपा की सभी अवधारणाओं के खिलाफ लड़ाई लड़ी। मुझे लगता है कि विपक्ष के सभी विधायक इस सरकार के खिलाफ मजबूती से नहीं लड़ रहे हैं। मैं अकेला इस सरकार के खिलाफ साहसपूर्वक लड़ रहा हूं।’’
गोगोई ने आरोप लगाया, ‘‘सभी सत्रों में मैं हमेशा सांप्रदायिक भावना के खिलाफ लड़ता हूं। असम में कुछ संविधान-विरोधी, लोकतंत्र-विरोधी काम होते हैं ... जैसे ‘फर्जी मुठभेड़’ और अल्पसंख्यक लोगों को बेदखल (उन बस्तियों से जिन्हें राज्य में अवैध घोषित किया गया है) करना।’’
यह पूछे जाने पर कि क्या वह 2026 में फिर से चुनाव लड़ेंगे, इस पर रायजोर दल के प्रमुख ने कहा कि चुनाव एक ऐसा माध्यम है जिसके जरिए वह अपनी विचारधारा का प्रसार कर सकते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘यह लोकतंत्र का सवाल है और मैं निश्चित रूप से इस सरकार के खिलाफ 2026 का चुनाव लड़ूंगा।’’
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गोगोई ने 2026 में अपने जीतने की संभावना पर एक प्रश्न का सीधे-सीधे जवाब नहीं देते हुए कहा, ‘‘देखिए, मैं कोई पेशेवर राजनेता नहीं हूं... मैं एक साधारण आदमी हूं और मैं हमेशा सांप्रदायिकता और फासीवाद के खिलाफ लड़ता हूं। हम भारतीय संविधान और लोकतंत्र के मूल्यों को बहाल करने की कोशिश कर रहे हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए जीतना या नहीं जीतना मेरे लिए कोई सवाल नहीं है।’’
गोगोई को राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) ने दिसंबर 2019 में राज्य भर में हिंसक सीएए विरोध प्रदर्शनों में उनकी भूमिका के आरोप में गिरफ्तार किया था। एनआईए गोगोई और उनके तीन सहयोगियों के खिलाफ सीएए विरोधी हिंसा से जुड़े दो मामलों की जांच कर रही है।
जेल में रहते हुए उन्होंने रायजोर दल का गठन किया और शिवसागर सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में 2021 का विधानसभा चुनाव लड़ा तथा जीत हासिल की। उन्होंने भाजपा की सुरभि राजकोनवारी को निर्णायक 11,875 मतों से हराया।
गोगोई बिना किसी भौतिक प्रचार के सलाखों के पीछे रहते हुए चुनाव जीतने वाले पहले असमी नागरिक बन गए। वह एक कैदी के रूप में विधायक के रूप में शपथ लेने वाले असम विधानसभा के पहले सदस्य बने।