हार्ट अटैक आने पर पहले 47 लोगों की जान बचाई, सलाम है चमन कुमार को

डीएन ब्यूरो

यूपी के गाजियाबाद में एक बस ड्राइवर को हार्ट अटैक आया, लेकिन ड्राइवर ने अपनी जान की परवाह किये बिना पहले यात्रियों को सुरक्षित किया। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज की ये रिपोर्ट।

प्रतीकात्मक छवि
प्रतीकात्मक छवि


गाजियाबाद: जिले में रोडवेज की चलती बस में हार्ट अटैक आने के बाद भी ड्राइवर ने अपनी जान की परवाह न करते हुए 47 सवारियों की जान बचाई है। ड्राइवर ने सबसे पहले बस को साइड में लगाया और बाद में एंबुलेंस को फोन किया। इसके बाद एंबुलेस ड्राइवर को पीएचसी भोजपुर (PHC Bhojpur) ले गई। यहां से उशे कंबाइंड अस्पताल भेज दिया गया। बाद में ड्राइवर को रात में ही दिल्ली के पंत अस्पताल रेफर कर दिया गया। 

ड्राइवर को छाने लगी बेहोशी
डाइनामाइट न्यूज संवाददाता के मुताबिक ऋषिकेश डिपो की बस सोमवार रात लगभग 10:30 बजे दिल्ली से चली थी। इस बस में 34 वर्षीय ड्राइवर चमन कुमार (Chaman Kumar) व कंडक्टर कमल कुमार मौजूद थे। रात में लगभग 12 बजे बस भोजपुर क्षेत्र में पहुंची। इस दौरान चमन कुमार के सीने में तेज दर्द उठा और बेहोशी छाने लगी। इसके बाद उन्होंने पहले बस साइड में खड़ी की और एंबुलेंस बुलाई। इसके बाद एंबुलेंस (Ambulance) चमन कुमार को लेकर भोजपुर पीएचसी पहुंची।

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जीबी पंत अस्पताल रेफर 
पीएचसी पहुंचने के बाद प्राथमिक जांच में डॉक्टरों ने सीवियर हार्ट अटैक बताया और उसे संजय नगर के कंबाइंड अस्पताल रेफर कर दिया। इमरजेंसी में तैनात डॉक्टर ने सीवियर हार्ट अटैक के चलते उन्हें प्राथमिक उपचार दिया और दिल्ली रेफर कर दिया। देर रात ड्राइवर चमन को जीबी पंत अस्पताल (GB Pant Hospital) में भर्ती कराया गया। कंडक्टर कमल कुमार ने बताया कि बस में 47 यात्री सवार थे। ड्राइवर सूझबूझ नहीं दिखाते तो हादसा भी हो सकता था। रात में ही सभी यात्रियों को रिफंड कर दूसरी बस से भेज दिया गया। इसके बाद भोजपुर में खड़ी बस को मंगलवार सुबह दूसरा ड्राइवर ले गया।

आपसी सहमति से लगाया इंजेक्शन 
बताया जा रहा है कि पंत अस्पताल में ड्राइवर के उपचार के दौरान इंजेक्शन लगाने के लिए कंडक्टर कमल को डॉक्टर ने कंसर्न फॉर्म (Concern Form) पर साइन करने के लिए कहा था। कमल ने फॉर्म पर साइन करने से मना कर दिया। इसके बाद डॉक्टरों ने आपसी सहमति से चमन को इंजेक्शन लगाया। इंजेक्शन नहीं लगता तो सीवियर हार्ट अटैक में चमन कुमार की जान बचना मुश्किल था।

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