कॉलेज के प्रिंसिपल और एसएफआई नेता ने पुलिस के सामने किया आत्मसमर्पण, जानिये पूरा मामला

एक सहायता प्राप्त कॉलेज के प्रभारी प्रधानाचार्य और स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) के एक नेता ने स्वयं को यूनिवर्सिटी यूनियन काउंसलर (यूयूसी) के तौर पर पेश करने के मामले में मंगलवार को पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर

Post Published By: डीएन ब्यूरो
Updated : 4 July 2023, 4:32 PM IST
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तिरुवनंतपुरम:  शहर के एक सहायता प्राप्त कॉलेज के प्रभारी प्रधानाचार्य और स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) के एक नेता ने स्वयं को यूनिवर्सिटी यूनियन काउंसलर (यूयूसी) के तौर पर पेश करने के मामले में मंगलवार को पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया।

एक अधिकारी ने बताया कि प्रभारी प्रधानाचार्य जी.जे. शैजू और एसएफआई नेता ए. विशाख ने सुबह कट्टाकड़ा पुलिस थाने में आत्मसमर्पण कर दिया और फिलहाल उनसे पूछताछ कर बयान दर्ज किये जा रहे हैं। इस मामले में दोनों ही आरोपी हैं।

अधिकारी ने कहा कि इस बात की संभावना है कि पूछताछ पूरी होने के बाद दोनों को गिरफ्तार किया जाएगा।

मामले में उनकी अग्रिम जमानत याचिका खारिज करने के केरल उच्च न्यायालय के आदेश का पालन करते हुए दोनों ने पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया।

अदालत ने भी यह देखते हुए उन्हें चार जुलाई या उससे पहले जांच अधिकारी के सामने आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया था कि आरोपियों के खिलाफ लगाए गए आरोप गंभीर प्रकृति के हैं।

अदालत ने कहा था कि आरोपियों द्वारा बेईमानी और धोखाधड़ी वाला आचरण प्रथम दृष्टया स्पष्ट है और हिरासत में पूछताछ आवश्यक है।

मामला पांच दिसंबर, 2022 को तिरुवनंतपुरम के कट्टाकड़ा स्थित क्रिश्चियन कॉलेज में हुए चुनावों से संबंधित है, जहां दो उम्मीदवारों - अनखा ए. एस. और अरोमल वी. एल. - को सर्वसम्मति से यूनिवर्सिटी यूनियन काउंसलर के पद के लिए चुना गया था।

जब कॉलेज से चुने गए यूनिवर्सिटी यूनियन काउंसलर का विवरण प्रस्तुत करने का प्रपत्र केरल विश्वविद्यालय को प्रस्तुत किया गया, तो उसमें अनखा के स्थान पर कॉलेज से चुने गए यूनिवर्सिटी यूनियन काउंसलर के रूप में विशाख का नाम दिखाया गया।

विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार की शिकायत पर पुलिस कार्रवाई की गई।

अदालत ने कहा था कि किसी कॉलेज के प्राचार्य को कानून के तहत विश्वविद्यालय संघ के प्रतिनिधि के पद पर किसी भी व्यक्ति को नामित करने का अधिकार नहीं है, भले ही यह पद इस्तीफे या किसी अन्य वजह से खाली हो।

पुलिस ने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 419 (प्रतिरूपण द्वारा धोखाधड़ी के लिए सजा), 409 (आपराधिक विश्वासघात) और 420 (धोखाधड़ी) के तहत प्राथमिकी दर्ज की है।

विशाख के खिलाफ एसएफआई की ओर से और शैजू के खिलाफ विश्वविद्यालय की ओर से अनुशासनात्मक कार्रवाई की गई है।

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