ठाणे की अदालत ने 2010 में यातायात पुलिस अधिकारी से मारपीट के आरोपी व्यक्ति बरी

डीएन ब्यूरो

महाराष्ट्र के ठाणे जिले की एक अदालत ने 2010 में एक यातायात पुलिस निरीक्षक के साथ मारपीट करने के आरोपी 41 वर्षीय व्यक्ति को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया है। पढ़िए डाईनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

2010 में यातायात पुलिस अधिकारी से मारपीट के आरोपी व्यक्ति को बरी किया
2010 में यातायात पुलिस अधिकारी से मारपीट के आरोपी व्यक्ति को बरी किया


ठाणे: महाराष्ट्र के ठाणे जिले की एक अदालत ने 2010 में एक यातायात पुलिस निरीक्षक के साथ मारपीट करने के आरोपी 41 वर्षीय व्यक्ति को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया है।

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश वीएल भोसले ने आठ नवंबर को पारित अपने आदेश में कहा कि अभियोजन पक्ष उचित संदेह से परे आरोपी के खिलाफ आरोपों को साबित करने में विफल रहा है और इसलिए उसे बरी किया जाना चाहिए।

आदेश की प्रति बुधवार को उपलब्ध करायी गयी।

अतिरिक्त लोक अभियोजक वर्षा चंदाने ने अदालत को बताया कि तीन नवंबर 2010 को यातायात पुलिस अधिकारी ठाणे शहर के नौपाड़ा इलाके में एक चौक पर ड्यूटी पर तैनात थे।

चंदाने ने बताया कि उस वक्त आरोपी की कार सड़क के किनारे पहले से खड़ी कार के बगल में खड़ी थी और पुलिस ने उस पर जुर्माना लगाया। उन्होंने बताया कि इससे आरोपी नाराज हो गया और दावा किया कि वह सीबीआई अधिकारी है। उसने कथित तौर पर कहा कि यातायात पुलिस अधिकारी को वह अनुशासन सिखाएगा और उसे बर्बाद कर देगा।

अभियोजन पक्ष ने अदालत को बताया कि आरोपी ने पुलिस अधिकारी की 'नेम प्लेट' खींचने की भी कोशिश की और उसे धक्का दिया।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार हालांकि, बचाव पक्ष के वकील सचिन वैशंपायन ने पुलिस जांच और अभियोजन पक्ष द्वारा कही गई बातों में खामियां निकालते हुए कहा कि उनका मुवक्किल अपराध में शामिल नहीं था।

न्यायाधीश ने आदेश में कहा कि आरोपियों के वकील द्वारा उठाए गए सवालों के संबंध में अभियोजन पक्ष की ओर से कोई संतोषजनक जवाब नहीं आया है।

अदालत ने कहा कि इस मामले में वाहन का स्वामित्व दिखाना उतना महत्वपूर्ण नहीं है क्योंकि अभियोजन पक्ष मौके पर आरोपी की मौजूदगी साबित करने में सक्षम नहीं है।

इसमें कहा गया है कि अभियोजन पक्ष द्वारा इस संबंध में कोई सबूत पेश नहीं किया गया है।

अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष यह साबित करने में विफल रहा है कि घटना तीन नवंबर 2010 को दोपहर बारह बज कर 45 मिनट पर बताए गए स्थान पर हुई थी, जब पुलिस अधिकारी अपनी ड्यूटी पर तैनात थे और आरोपी ने उसे अपना कर्तव्य निभाने से रोका था।










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