सुप्रीम कोर्ट ने एनजीटी के इस आदेश पर लगाई रोक, जानिये दिल्ली के एलजी और यमुना की सफाई से जुड़ा मामला
उच्चतम न्यायालय ने राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के उस आदेश पर मंगलवार को रोक लगा दी, जिसमें दिल्ली के उपराज्यपाल से यमुना नदी की सफाई के लिये गठित उच्चस्तरीय समिति की अध्यक्षता करने को कहा गया था। पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर
नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के उस आदेश पर मंगलवार को रोक लगा दी, जिसमें दिल्ली के उपराज्यपाल से यमुना नदी की सफाई के लिये गठित उच्चस्तरीय समिति की अध्यक्षता करने को कहा गया था।
प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा तथा न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ अधिकरण के 19 जनवरी के आदेश के खिलाफ सुनवाई के लिए सहमत हो गई। साथ ही, याचिकाकर्ता को नोटिस जारी किया, जिनकी अर्जी पर अधिकरण ने आदेश जारी किया था।
यमुना नदी के पुनरुज्जीवन के लिए काफी कार्य लंबित रहने का उल्लेख करते हुए अधिकरण ने एक समिति गठित का गठन किया था और दिल्ली के उपराज्यपाल से इसकी अध्यक्षता करने का आग्रह किया था।
यह भी पढ़ें |
यमुना से 1,200 मीट्रिक टन कचरा हटाया गया: उपराज्यपाल
अधिकरण ने दिल्ली में संबंधित अधिकारियों की एक उच्च-स्तरीय समिति (एचएलसी) का गठन किया था, जहां अन्य नदी बेसिन राज्यों की तुलना में यमुना का प्रदूषण अधिक (लगभग 75 प्रतिशत) है। अधिकरण ने कहा था, ‘‘हम दिल्ली के उपराज्यपाल से समिति की अध्यक्षता करने का आग्रह करते हैं, जो डीडीए (दिल्ली विकास प्राधिकरण) के अध्यक्ष एवं संविधान के अनुच्छेद 239 के तहत दिल्ली के प्रशासक हैं।’’
दिल्ली सरकार की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी ने अधिकरण के आदेश के दो पैराग्राफ का उल्लेख किया।
शीर्ष न्यायालय ने कहा, ‘‘नोटिस जारी किया जाए...राष्ट्रीय हरित अधिकरण द्वारा जारी निर्देश के क्रियान्वयन पर इस संबंध में रोक रहेगी कि उपराज्यपाल को समिति का सदस्य होने और इसकी अध्यक्षता करने का निर्देश दिया गया है।’’
यह भी पढ़ें |
स्वच्छता को लेकर दिल्ली जल बोर्ड पर उपराज्यपाल सक्सेना का हमला, जानिये क्य कहा
शीर्ष न्यायालय में दायर दिल्ली सरकार की याचिका में, तीन विषयों--पुलिस, लोक व्यवस्था और भूमि-- को छोड़कर उपराज्यपाल के केवल नाममात्र का प्रमुख होने की दलील देते हुए अधिकरण के आदेश को निरस्त करने का अनुरोध किया गया है।