जन्माष्टमी विशेष: भगवान कृष्ण से जुड़ी ऐसी चीजें जिसे जानकर हैरान हो जाएंगे आप

भगवान कृष्ण के स्वरूप और महिमा का वर्णन करना हर वक्त में मुश्किल रहा है। भगवान कृष्ण का जीवन दुनिया के हर भाव को समेट हुए है। श्री कृष्ण जन्माष्टमी के मौके पर डाइनामाइट न्यूज़ की इस स्पेशल रिपोर्ट में पढ़ें कृष्ण जीवन से जुड़ी कुछ रोचक जानकारियां..

Updated : 1 September 2018, 2:10 PM IST
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नई दिल्लीः श्री कृष्ण जन्माष्टमी को लेकर तैयारियां जोरों पर है। कृष्ण के जहां अनके रूप बताए गए हैं, वहीं उन्हें रास-रसिया, नंदलाल, नटखट कन्हैया भी कहा जाता है। आइए जानते हैं कृष्ण को लेकर कुछ ऐसी रोचक जानकारी.. जिसे जानकर दंग रह जाएंगे आप।

महाभारत में अर्जुन को धर्मयुद्ध करने के लिए प्रेरित कर श्रीमद्भागवत गीता का उपदेश देने वाले श्री कृष्ण को लेकर कहा जाता है कि इनके 108 नाम है। कृष्ण जी के इन 108 नामों का जाप करने से भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है।  इनमें से कुछ नाम इस प्रकार हैः गोपाल, ऋषिकेश, जगन्नाथ, मुरली, मधुसूदन, मयुर, सनातन, सत्यव्त, सुर्दशन और योगी के अलावा कई अन्य नामों से भी जाना जाता है।

कृष्ण का नाम लेते ही मस्तिष्क में उनकी एक अलग ही छवि आती है। हाथों में मुरली और उनके सिर पर शोभा बढ़ाता मोर पंख। कृष्ण मोर को धारण करने को लेकर जानकार बताते हैं कि इस ब्रह्मांड में मोर एकमात्र ऐसा प्राणी है जो सम्पूर्ण जीवन में ब्रह्मचर्य का पालन करता है। मोरनी का गर्भ भी मोर के आंसुओं को पीकर ही धारण होता है। इसलिए इस पवित्र पक्षी के पंख को भगवान कृष्ण अपने सिर पर सजाते थे।

 

भगवान कृष्ण की बांसुरी को लेकर भी कई कहानियां है। उनमें से एक यह हैं कि जब कृष्ण ने द्वापर युग में जन्म लिया तो तब देवी- देवता उनसे मिलने गोकुल आए थे। तब भगवान शिव ने दधीच ऋषि की एक महाशक्तिशाली हड्डी के टुकड़े को घिसकर एक मनोहर बांसुरी बनाई थी, जिसे उन्होंने कृष्ण को भेट के तौर पर दी ताकी वह इसे बचपन से लेकर अपने पूरे जीवन मे अपने पास रख सके।

इंद्र देव ने जब ब्रज भूमि पर भीषण वर्षा की तो ब्रजवासियों को इस बारिश से बचाने के लिए तब श्री कृष्ण ने अपनी हाथ की सबसे छोटी अंगुली से गोवर्धन पर्वत को उठाया था। इससे अहंकार में चूर इंद्रदेव का घमंड भी चूर- चूर हो गया था।

श्री राधे कृष्ण दो नाम नहीं बल्कि यह एक ही है। शरीर यदि कृष्ण है तो राधा आत्मा है। राधा ही एकमात्र ऐसा नाम है जो कृष्ण से पहले लिया जाता है। राधा कृष्ण से खूबसूरत प्रेम इस धरती पर किसी ने नहीं किया। क्योंकि आत्मा और परमात्मा से गहरा प्रेम इस धरती पर और कोई हो भी नहीं सकता।

कृष्ण भगवान को लेकर कहा जाता है कि कृष्ण यदुवंशी थे यादव थे। जबकि आम धारणा यह है कि वसुदेव का पुत्र होने के कारण  वह क्षत्रिय थे। परंतु नन्द परिवार में पालन- पोषण होने के कारण उन्हें यादव भी माना जाता है।

भागवत पुराण में कृष्ण की आठ पत्नियों का वर्णन है। जो इस अनुक्रम में है( रुक्मिणी, सत्यभामा, जबावती, कालिंदी, मित्रवृंदा, नाग्नजिती( जिसे सत्य भी कहा जाता है) भद्रा और लक्ष्मण (जिसे मद्रा भी कहते हैं) प्रकट होती हैं। इसे एक रूपक भी कहा जाता है, ये आठों पत्नियां कृष्ण के अलग- अलग पहलू को दर्शाती हैं।

Published : 
  • 1 September 2018, 2:10 PM IST

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