Shambhu Border: किसानों की शिकायतों पर सुप्रीम कोर्ट ने दिये ये निर्देश

सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने पंजाब और हरियाणा सरकारों से कहा कि वो एक समिति गठित करेगा। वहीं दोनों सरकारों से समिति को किसानों से संबंधित संभावित मुद्दे बताने को भी कहा। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

Post Published By: डीएन ब्यूरो
Updated : 22 August 2024, 4:25 PM IST
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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने गुरुवार को कहा कि वह किसानों (farmers) की शिकायतों का सौहार्दपूर्ण समाधान करने के लिए जल्द ही एक बहु-सदस्यीय समिति गठित करेगा।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार न्यायमूर्ति सूर्यकांत, न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने मामले की अगली सुनवाई 2 सितंबर के लिए तय की।

आंशिक रूप से खोलने पर सहमत 

पीठ ने पंजाब (Punjab) और हरियाणा (Haryana) सरकारों से कहा कि वे समिति को किसानों से संबंधित संभावित मुद्दे बताएं। पंजाब सरकार ने शीर्ष अदालत को सूचित किया कि शीर्ष अदालत के 12 अगस्त के आदेश का अनुपालन करते हुए उन्होंने प्रदर्शनकारी किसानों के साथ बैठक की, जिसमें वे अवरुद्ध राजमार्ग को आंशिक रूप से खोलने पर सहमत हुए।

बॉर्डर खाली करवाने को राजी करे सरकारः SC

पीठ ने पंजाब और हरियाणा सरकारों से कहा कि वे प्रदर्शनकारी किसानों से बातचीत करते रहें और उन्हें राजमार्ग से अपने ट्रैक्टर और ट्रॉलियां हटाने के लिए राजी करें।

राजमार्ग पार्किंग स्थल नहीं 

12 अगस्त को शीर्ष अदालत ने पंजाब सरकार से कहा था कि वह 13 फरवरी से शंभू सीमा पर प्रदर्शन कर रहे किसानों को सड़क से ट्रैक्टर और ट्रॉलियां हटाने के लिए राजी करे। कोर्ट ने कहा कि "राजमार्ग पार्किंग स्थल नहीं हैं।"

शंभू सीमा पर बैरिकेड्स हटाने को चुनौती

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट हरियाणा सरकार की उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें उच्च न्यायालय के उस आदेश को चुनौती दी गई है, जिसमें उसे एक सप्ताह के भीतर अंबाला के पास शंभू सीमा पर लगाए गए बैरिकेड्स हटाने के लिए कहा गया था, जहां प्रदर्शनकारी किसान 13 फरवरी से डेरा डाले हुए हैं।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार हरियाणा सरकार ने फरवरी में अंबाला-नई दिल्ली राष्ट्रीय राजमार्ग पर बैरिकेड्स लगा दिए थे, जब 'संयुक्त किसान मोर्चा' (गैर-राजनीतिक) और 'किसान मजदूर मोर्चा' ने घोषणा की थी कि किसान अपनी मांगों के समर्थन में दिल्ली तक मार्च करेंगे, जिसमें उनकी उपज के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी भी शामिल है।