School Education: स्कूल ड्रेस में बच्चों का पढ़ाती है इस सरकारी स्कूल की टीचर्स, जानें इसके बारे में
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के एक सरकारी प्राथमिक स्कूल के बच्चों को ठीक तरह से स्कूल ड्रेस पहनने की सीख देने के लिए एक शिक्षिका ही स्कूल ड्रेस विद्यालय आने लगी। पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर
रायपुर: छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के एक सरकारी प्राथमिक स्कूल के बच्चों को ठीक तरह से स्कूल ड्रेस पहनने की सीख देने के लिए एक शिक्षिका ही स्कूल ड्रेस विद्यालय आने लगी। फलस्वरूप विद्यार्थी अपनी साफ सुथरी वर्दी को लेकर जागरूक तो हुए ही, साथ ही वे शिक्षिका के पढ़ाए हुए पाठ को भी तेजी से सीखने लगे हैं।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, राजधानी रायपुर के गुढ़ियारी इलाके में स्थित शासकीय गोकुलराम वर्मा प्राथमिक शाला में यदि आप शनिवार को पहुंचे तब आपकी मुलाकात विद्यार्थियों के बीच गाढ़ी नीली फ्रॉक और आसमानी शर्ट पहनी तथा दो चोटी लगाई 30 वर्षीय शिक्षिका जान्हवी यदु से होगी। स्कूल ड्रेस पहनी यदु कक्षा में बच्चों को पढ़ाते और उनके साथ खेलते नजर आती हैं तथा बच्चे भी तन्मयता से उनकी बातों पर अमल करते मिलते हैं।
यदु के मुताबिक स्कूल की वर्दी पहनने का यह विचार इसलिए आया क्योंकि वह बच्चों को उचित और साफ-सुथरे तरीके से स्कूल ड्रेस पहनने के लिए प्रेरित करना चाहती थीं। इस स्कूल में आने वाले अधिकतर बच्चे गरीब तबके से हैं।
वह कहती हैं, ''ज्यादातर विद्यार्थी गरीब तबके से हैं। उनमें से कई बगैर भोजन के ही स्कूल आते हैं, ऐसे में उनके स्कूल ड्रेस के प्रति जागरूकता को समझा जा सकता है। मुझे लगा कि यदि उन्हें स्कूल ड्रेस पहनकर दिखाया जाए कि तब वे इससे बेहतर तरीके से समझेंगे। तब मैंने शनिवार को स्कूल ड्रेस पहनना शुरू कर दिया।''
पहली बार एक शिक्षिका का स्कूल ड्रेस पहनकर स्कूल आना और बच्चों की प्रतिक्रिया को लेकर यदु कहती हैं, ''मैं इसे भूल नहीं सकती। जब उन्होंने मुझे पहली बार स्कूल ड्रेस में देखा तो वे खुश भी हुए और हैरान भी। कुछ ने मुझे गले भी लगाया। फिर मैंने उनसे पूछा कि क्या वे अच्छे से स्कूल ड्रेस पहनकर स्कूल आएंगे तब उन्होंने ‘हां’ कहा।''
वह कहती हैं कि उनके स्कूल ड्रेस पहनकर स्कूल आने से बच्चों के व्यवहार में उल्लेखनीय बदलाव आया है।
यदु कहती हैं, ''छात्र पहले मुझे अपने अभिभावक या मां के रूप में देखते थे। लेकिन अब वे मुझे अपना दोस्त मानते हैं।''
उन्होंने कहा कि शिक्षकों के परिवार से आने के कारण वह विद्यार्थियों के प्रति अपनी जिम्मेदारी को बेहतर तरीके से महसूस करती हैं तथा इस निर्णय का सभी ने स्वागत भी किया।
यदु ने बताया, ''शुरुआत में मुझे डर था कि मेरा परिवार स्कूल में स्कूल ड्रेस पहनने के मेरे फैसले को अस्वीकार कर देगा। लेकिन उन्होंने बहुत सकारात्मक तरीके से मेरा समर्थन किया। स्कूल में शिक्षकों ने भी मेरा सहयोग किया।''
क्षेत्र के पार्षद भोलाराम साहू ने बताया कि स्कूल में शिक्षा के स्तर में सुधार हुआ है।
साहू ने कहा, ''यदु मैडम (जान्हवी यदु) का प्रयास सराहनीय है। यदि आप उनकी कक्षा के किसी छात्र से प्रश्न पूछते हैं तो वे बहुत जल्द उत्तर देते हैं।''
क्षेत्र की निवासी उषा साहू के बच्चे जान्हवी यदु की कक्षा में पढ़ते हैं। साहू कहती हैं कि उनके बच्चे अपनी शिक्षिका को स्कूल ड्रेस पहने देखकर बहुत खुश हुए तथा वे अपने स्कूल ड्रेस के प्रति जागरूक हो गए हैं। उन्होंने कहा कि वे पढ़ाई में भी बेहतर करने लगे हैं।
स्कूल के प्रधान पाठक एम गुरुनाथ ने कहा कि जब जान्हवी यदु ने कक्षा में स्कूल ड्रेस पहनने का विचार साझा किया तो उन्हें यह वास्तव में नया लगा और उन्होंने तुरंत इसे मंजूरी दे दी।
उन्होंने कहा कि यदु के इस कदम से उनकी कक्षा के बच्चों का आत्मविश्वास बढ़ा है और वे जवाब देने में नहीं हिचकिचाते हैं।