राज्यसभा चुनाव में “खुली मतदान प्रणाली” के खिलाफ दाखिल याचिका उच्चतम न्यायालय में खारिज

उच्चतम न्यायालय ने राज्यसभा और राज्य विधान परिषदों के चुनावों में गुप्त मतदान की अनुमति देने संबंधी एक जनहित याचिका सोमवार को खारिज कर दी और कहा कि ‘क्रॉस वोटिंग को रोकने और पार्टी में अनुशासन बनाए रखने’ के लिए खुली मतदान प्रणाली जरूरी है।

Post Published By: डीएन ब्यूरो
Updated : 28 March 2023, 8:42 AM IST
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नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने राज्यसभा और राज्य विधान परिषदों के चुनावों में गुप्त मतदान की अनुमति देने संबंधी एक जनहित याचिका सोमवार को खारिज कर दी और कहा कि ‘क्रॉस वोटिंग को रोकने और पार्टी में अनुशासन बनाए रखने’ के लिए खुली मतदान प्रणाली जरूरी है।

चुनाव संचालन नियम, 1961 के एक प्रावधान और जनप्रतिनिधित्व (आरपी) अधिनियम के एक हिस्से को चुनौती देने वाली एक गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) 'लोक प्रहरी' की याचिका पर यह महत्वपूर्ण फैसला आया।

चुनाव नियमों के संचालन का नियम 39एए राज्यसभा और राज्य विधान परिषदों के चुनावों में एक विधायक और एक सांसद के लिए एक राजनीतिक दल के मतदान एजेंट को चिह्नित मतपत्र दिखाना अनिवार्य बनाता है।

प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा तथा न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला की पीठ ने 'जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 33 की उपधारा-एक' की चुनौती को भी खारिज कर दिया।

पीठ ने अपने आदेश में कहा, 'यह विशुद्ध रूप से विधायी नीति के दायरे में है। संबंधित प्रावधानों में अपने आप में कुछ भी भेदभावपूर्ण नहीं है। इसके मद्देनजर, याचिका खारिज की जाती है।’’

एनजीओ ने चुनाव संचालन नियमों के नियम 39एए को इस आधार पर चुनौती दी थी कि अगर कोई विधायक या सांसद अपना चिह्नित मतपत्र पार्टी के मतदान एजेंट को नहीं दिखाता है तो उसका वोट रद्द कर दिया जाएगा।

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