एसबीआई ने चुनावी बांड का ब्योरा बंद लिफाफों में चुनाव आयोग को सौंपा
भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने उच्चतम नयायालय के आदेश का अनुपालन करते हुये चुनावी बांडों को खरीदने और भुनाने वाले दलों के पूरे विवरण दो मुहर बंद लिफाफों में निर्वाचन आयोग को सौप दिये हैं। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
नयी दिल्ली: भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने उच्चतम नयायालय के आदेश का अनुपालन करते हुये चुनावी बांडों को खरीदने और भुनाने वाले दलों के पूरे विवरण दो मुहर बंद लिफाफों में निर्वाचन आयोग को सौप दिये हैं।
डाइनामाइट न्यूज संवाददाता के अनुसार एसबीआई के अध्यक्ष दिनेश कुमार खारा की ओर से उच्चतम न्यायाय में गुरुवार को दाखिल एक शपथपत्र में इस बात की जानकारी दी गयी।
शपथपत्र के अनुसार एसबीआई अध्यक्ष ने हलफनामे में न्यायालय को बताया है कि उसने चुनावी बांड से संपूर्ण विवरण चुनाव आयोग को दे दिये हैं।
इस विवरण में बांड खरीदने वाले के नाम , निर्गम करने वाली शाखा का कोड, मियाद पूरी होने की तिथि बांड नंबर , नंबर से पहले का अक्षर, उसकी रकम और स्थिति के साथ ही बांडों को भुनाने वाले राजनीतिक दलों के नाम, उनके खातों के अंतिम चार अंक, बांड का नंबर और उससे पहले लगने वाले अक्षर, बांड का मूल्य , भुगतान करने वाली शाखा का पूरा विवरण दिया गया है। बांड नंबर अल्फा न्यूमरिक (अक्षर और अंकों का मिश्रण) हैं।
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एसबीआई के एक उप प्रबंध निदेशक ने बुधवार, 20 मार्च को मुख्य निर्वाचन आयुक्त को पत्र भेज उच्चतम न्यायालय के 15 फरवरी 2024 और 18 मार्च 2024 के आदेशों के अनुसार कर चुनावी बांडों का ब्योरा दो बंद बंद लिफाफों (लिफाफा 1 और लिफाफा 2) में प्रस्तुत किये जाने की जानकारी दी गयी है, ताकि आयोग इन्हें अपनी वेबसाइट पर अपलोड कर सके।
पहले लिफाफे में बांड की सूचनाओं वाली पेन ड्राइव है, तथा दूसरे फाइल में पेन ड्राइव के पीडीएफ फाइल के पासवर्ड सौंपे गये हैं।
बैंक ने कहा है कि जब भी जरूरत होगी, वह आयोग को यह हार्ड कॉपी के रूप में भी देगा।
उल्लेखनीय है कि चुनावी चंदे में नकदी के चलन को रोकने के लिये संसद में पारित कानून को तहत चुनावी बांड की व्यवस्था शुरू की गयी थी। एसबीआई को इन बांडों बेचने और भुनाने का दायित्व दिया गया था। बैंक इन बांडों को कुछ चुनिंदा शाखाओं के माध्यम से बेचता और उनका भुगतान करता आ रहा था।
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उच्चतम न्यायालय ने बांड को संविधान के तहत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रा के प्रावधान 19 (1) ए के प्रावधान और सूचना के अधिकार के कानून के खिलाफ करार दिया है।