दंगों से किसी खास समुदाय का नहीं, बल्कि देश का नुकसान होता है
जमीयत उलेमा-ए-हिंद (एएम समूह) के प्रमुख मौलाना अरशद मदनी ने शुक्रवार को कहा कि कुछ ताकतें हिंदुओं और मुसलमानों को एक-दूसरे से अलग करने के लिए दंगा कराती हैं और इससे किसी खास समुदाय का नहीं, बल्कि देश का नुकसान होता है। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर
फिरोज़पुर झिरका: जमीयत उलेमा-ए-हिंद (एएम समूह) के प्रमुख मौलाना अरशद मदनी ने शुक्रवार को कहा कि कुछ ताकतें हिंदुओं और मुसलमानों को एक-दूसरे से अलग करने के लिए दंगा कराती हैं और इससे किसी खास समुदाय का नहीं, बल्कि देश का नुकसान होता है।
मौलाना मदनी ने यह भी कहा कि आज़ादी के बाद हुए दंगों के असली दोषी को सज़ा दिलाने की कभी कोशिश नहीं की गई है।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार जमीयत प्रमुख ने यहां एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए यह टिप्पणी की। इस कार्यक्रम में उन कुछ लोगों को 100-100 गज़ के प्लॉट और एक-एक लाख रुपये की रकम दी गई है, जिनके घर जुलाई में यहां भड़की हिंसा के बाद प्रशासन ने तोड़ दिए थे।
इस मुस्लिम संगठन ने उन तीन हिंदू परिवारों को भी एक-एक लाख रुपये की मदद की है, जिन्हें दंगों के समय नुकसान झेलना पड़ा था।
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कार्यक्रम में मौलाना मदनी से एक लाख रुपये की राशि का चेक लेने के बाद रामपाल (42) ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि वह अपनी पत्नी और पांच बच्चों के साथ दूध की घाटी में एक पहाड़ी की तलहटी पर रहते थे, लेकिन जुलाई में हुई हिंसा के बाद प्रशासन ने उनका घर तोड़ दिया।
दिहाड़ी मजदूरी करने वाले रामपाल ने कहा कि उनका कोई कसूर नहीं था, फिर भी प्रशासन ने उन्हें बेघर कर दिया और उन्हें काफी परेशानी का सामना करना पड़ा।
वहीं, 28 वर्षीय जोगिंदर ने कहा कि कुछ महीने पहले हुई हिंसा के बाद उनका घर प्रशासन ने बिना नोटिस दिए तोड़ दिया था और आज उन्हें एक लाख रुपये मिले हैं।
‘मुस्लिम वर्ल्ड लीग’ के सदस्य मदनी ने कहा, “दुनिया का हर मज़हब इंसानियत, सहिष्णुता और भाईचारे का पैगाम देता है, इसलिए जो लोग धर्म का इस्तेमाल नफरत और हिंसा के लिए करते हैं, उन्हें अपने धर्म का सच्चा अनुयायी नहीं कहा जा सकता।”
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उन्होंने आरोप लगाया, “संवेदनशील मुद्दे पर शासकों को गंभीरता से विचार करना चाहिए, मगर दुखद बात यह है कि राजनीतिक नेता सत्ता के लिए देश और जनता की समस्याओं के बजाय धर्म के आधार पर नफरत की राजनीति कर रहे हैं, जो देश के लिए बहुत घातक है।”
मदनी ने कहा, “दंगे होते नहीं हैं, बल्कि कराए जाते हैं और इसके पीछे उन ताक़तों का हाथ होता है, जो नफ़रत के आधार पर हिंदुओं और मुसलमानों को एक दूसरे से अलग कर देना चाहती हैं। आज़ादी के बाद से देश भर में हज़ारों की संख्या में दंगे हो चुके हैं, मगर निराशाजनक बात यह है कि किसी एक दंगे में भी असली दोषी को सज़ा दिलाने की कोशिश नहीं की गई।’’
जमीयत के एक प्रवक्ता ने बताया कि फिरोज़पुर झिरका में दंगे के बाद प्रशासन ने यह कहते हुए अनेक घरों को बुलडोज़र से तोड़ दिया था कि ये वन विभाग की भूमि पर बने हैं, उनमें से 17 मुस्लिमों को पुनर्वास के लिए 100-100 गज के प्लॉट और एक-एक लाख रुपये दिए गए हैं, जबकि तीन हिंदुओं को एक-एक लाख रुपये दिए गए हैं।