राजनाथ सिंह ने पहले बालिका सैनिक स्कूल का उद्घाटन किया

डीएन ब्यूरो

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को वृंदावन में पहले बालिका सैनिक स्कूल का उद्घाटन करने के बाद कहा कि यह स्कूल निश्चित रूप से आसपास के क्षेत्र में सेना में शामिल होने की इच्छा रखने वाली यहां की बालिकाओं के लिए प्रकाश स्तंभ के रूप में कार्य करेगा। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

पहले बालिका सैनिक स्कूल का उद्घाटन
पहले बालिका सैनिक स्कूल का उद्घाटन


मथुरा: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को वृंदावन में पहले बालिका सैनिक स्कूल का उद्घाटन करने के बाद कहा कि यह स्कूल निश्चित रूप से आसपास के क्षेत्र में सेना में शामिल होने की इच्छा रखने वाली यहां की बालिकाओं के लिए प्रकाश स्तंभ के रूप में कार्य करेगा।

रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, संविद गुरुकुलम सैनिक स्कूल में 870 छात्राओं को शिक्षा एवं प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा।

मंत्रालय ने बताया कि इस स्कूल का उद्घाटन सभी राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों में गैर सरकारी संगठनों/निजी/राज्य सरकारी विद्यालयों के साथ साझेदारी के अंतर्गत 100 नए सैनिक स्कूलों की स्थापना की पहल के तहत किया गया है जिनमें से 42 विद्यालय स्थापित किए जा चुके हैं।

उसने बताया कि ये मौजूदा 33 सैनिक स्कूलों के अतिरिक्त बनने वाले विद्यालय हैं, जो पहले से ही पूर्ववर्ती पैटर्न के तहत कार्यक्रम संचालित कर रहे हैं।

रक्षा मंत्री सिंह ने सोशल मीडिया मंच 'एक्स' पर अपने संदेश में कहा , ''मथुरा-वृंदावन में स्थित वात्सल्य ग्राम में आयोजित दीदी मां साध्वी ऋतंभरा के षष्टिपूर्ति महोत्सव में (मैं) सम्मिलित हुआ। इस अवसर पर छात्राओं के लिए बने 'संविद गुरुकुलम, सैनिक स्कूल' का उद्घाटन किया।''

इस मौके पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समेत कई प्रमुख लोग मौजूद थे।

सिंह ने कहा, ''संविद गुरुकुल गर्ल्स सैनिक स्कूल उन लड़कियों के लिए प्रकाश की किरण है जो सशस्त्र बलों में शामिल होने और मातृभूमि की सेवा करने की इच्छा रखती हैं।''

उन्होंने कहा, ''मैं इस क्षेत्र के लोगों को बालिका सैनिक स्कूल की स्थापना होने पर भी बधाई देता हू। प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में, जब हमारी सरकार ने, सैनिक स्कूल में बालिकाओं के दाखिले को मंजूरी दी तो वह समय नारी उत्थान के इतिहास के स्वर्णिम क्षणों में से एक था।''

उन्होंने कहा, ''वह समय यह स्वीकार करने का था कि इस देश की सुरक्षा करने का अधिकार जितना पुरुषों को है, उतना ही इस देश की नारी शक्ति को भी है। आज यहां पर बालिका सैनिक स्कूल की शुरुआत हो रही है।''

रक्षामंत्री ने बालिका सैनिक स्कूल का उद्घाटन किए जाने का जिक्र करते हुए कहा, “मुझे खुशी है कि इस अवसर पर गोरक्ष पीठाधीश्वर के संत-महंत योगी आदित्यनाथ ने विद्यालय के उद्घाटन अवसर पर मेरा साथ दिया। उन्होंने मुख्यमंत्री के रूप में तो जनता के मन में सुरक्षा, समृद्धि और गौरव पैदा किया ही है।”

सिंह ने कहा, ''साल के पहले दिन साधु संतों का आशीर्वाद मिलना बड़े सौभाग्य की बात है। राम मंदिर आंदोलन में दीदी मां साध्वी ऋतंभरा का अहम योगदान था। समाज को ही दीदी ने परिवार मान लिया है। हमारे देश के ऋषियों ने पूरी धरा पर रहने वाले समाज को परिवार माना है। जिस क्षेत्र में कान्हा रहते हैं वहां तो दिव्यता रहेगी ही रहेगी।''

रक्षा मंत्री ने कहा , '' कृष्ण वह हैं जो आपको आकर्षित करते हैं, कृष्ण के नाम में ही सुख है। इसलिए कृष्ण की इस नगरी में मेरा मन प्रसन्न है। ’’

उन्होंने कहा कि वृंदावन में विदेशी भगवान के दर्शन करते हैं और रम जाते हैं, अधिकांश यहां बस जाते हैं। उन्होंने कहा कि यहां शांति की अनुभूति होती है, उन्हें भगवान कृष्ण और राधा रानी की भक्ति करके वृंदावन में शांति मिलती है।

मथुरा का वर्णन करते हुए सिंह ने कहा, '' यहां रिक्शा वाला भी राधे- राधे बोलता है। राधे- राधे बोलने वाले लोग मिलेंगे तो वह वृंदावन में ही मिलेंगे। यहां चाय पीना हो, पान खाना हो, कचौड़ी खानी हो सब जगह राधे- राधे बोलते यहां के निवासी मिलेंगे। राधे-राधे उनके जीवन में बसा है। यह यहीं संभव है। यहां सैन्य स्कूल मैंने नहीं, राधा- कृष्ण के आदेश से खुला है। दीदी मां से अनुरोध है कि जो स्वामी परमानंद आदेश दिया है, उसको पूरा करें।''

एक बयान के अनुसार रक्षा मंत्री ने साध्वी ऋतम्भरा को षष्टिपूर्ति दिवस की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि वह भगवान योगेश्वर श्रीकृष्ण की लीला भूमि पर सेवा के अनेक कार्य संचालित कर रही हैं, जो राष्ट्र निर्माण के लिए उनका अनुपम योगदान है।

उन्होंने कहा, ''आज यहां आने पर भक्ति भाव प्रबल हो उठा है, जिनके जीवन की साधना राधा हैं, जिनके जीवन का सब कुछ राधा हैं, ऐसे मनुष्यों के जीवन में पाने के लिए और कुछ शेष नहीं रह जाता है। हमारी पूज्या दीदी माँ की सम्पूर्ण वृत्ति ही राधामय हो गई है।''

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार सिंह ने कहा कि देश के ऋषियों और महर्षियों ने भारत की सीमाओं पर रहने वाले लोगों को न केवल अपना परिवार माना, बल्कि उन्होंने वसुधैव कुटुम्बकम के माध्यम से अपने और पराए के भेद को समाप्त किया। उन्होंने दावा किया कि दुनिया के किसी देश ने ऐसा संदेश नहीं दिया।










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