Love Jihad: लव जिहाद को लेकर इलाहाबाद हाइकोर्ट से लगा भाजपा सरकारों को तगड़ा झटका

कथित लव जिहाद के एक मामले को लेकर इलाहाबाद हाइकोर्ट ने एक अहम फैसला दिया है। उच्च न्यायालय के इस फैसले को यूपी की भाजपा सरकार के लिये तगड़ा झटका माना जा रहा है। पढिये, डाइनामाइट न्यूज की पूरी रिपोर्ट

Post Published By: डीएन ब्यूरो
Updated : 24 November 2020, 3:42 PM IST
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प्रयागराज: देश में कथित लव जिहाद को लेकर जारी चर्चा और कुछ यूपी समेत कुछ भाजपा शासित राज्यों द्वारा इसके खिलाफ कानून बनाने की कवायद शुरू करने के बीच इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला दिया है। कुशीनगर के रहने वाले दो अलग-अलग धर्मों की पृष्ठभूमि से जुड़े युवक-युवती द्वारा शादी करने के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय ने कहा कि किसी भी व्यक्ति को अपनी पसंद का जीवन साथी चुनने का पूरा अधिकार है। कोर्ट ने यह भी टिप्पणी की कि अदालत पेश मामले को हिंदू और मुस्लिम के रूप में नहीं देखती है।

पेश मामले में कुशीनगर के रहने वाले सलामत अंसारी और प्रियंका खरवार ने अपनी परिवार की मर्जी के खिलाफ 19 अगस्त 2019 को शादी की। यह शादी मुस्लिम रीति रिवाज के साथ हुई। शादी के बाद प्रियंका खरवार आलिया बन गई, जिससे उसके परिजन नाराज थे।

इस मामले में प्रियंका खरवार के परिजनों ने सलामत अंसारी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई और उस पर उनकी बेटी को बहला-फुसलाकर भगा ले जाने का आरोप लगाया। एफआईआर में सलामत के खिलाफ पोक्सो एक्ट भी लगाया गया है। कथित आरोपों और एफआईआर के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गयी। 

पेश मामले की सुनावई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस पंकज नकवी और जस्टिस विवेक अग्रवाल की डिवीजन बेंच ने कहा कि प्रियंका खरवार उर्फ आलिया की उम्र का विवाद नहीं है। प्रियंका खरवार उर्फ आलिया की उम्र 21 वर्ष है। अदालत ने कहा कि कानून हर किसी बालिग स्त्री या पुरुष को अपना जीवन साथी चुनने का पूरा अधिकार देता है। कोर्ट ने कहा है कि उनके शांतिपूर्ण जीवन में कोई व्यक्ति या परिवार दखल नहीं दे सकता है। 

कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि कानून दो बालिग व्यक्तियों को एक साथ रहने की है, चाहे वे समान या विपरीत सेक्स के ही क्यों न हों और अदालत इस मामले को हिंदु-मुस्लिम के रूप में नही देखती। कोर्ट ने प्रियंका खरवार उर्फ आलिया को अपने पति के साथ रहने की छूट देने के साथ ही इस मामले में दर्ज एफआईआर को रद्द करने का फैसला सुनाया। कोर्ट ने यह भी कहा कि इस मामले में पोक्सो एक्ट लागू नहीं होता है। 
 

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