प्रसाद योजना की प्रगति पर संसदीय समिति ने कही ये बात, जानिए पूरी रिपोर्ट

डीएन ब्यूरो

पर्यटन मंत्रालय की प्रसाद योजना के तहत कुल 45 स्वीकृत परियोजनाओं में से केवल 20 परियोजनाओं के ही अब तक पूरी होने पर क्षोभ व्यक्त करते हुए संसद की एक स्थायी समिति ने कहा है कि इस योजना की ‘‘प्रगति बेहद धीमी’’ है। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

संसदीय समिति
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नयी दिल्ली: पर्यटन मंत्रालय की ‘प्रसाद’ योजना के तहत कुल 45 स्वीकृत परियोजनाओं में से केवल 20 परियोजनाओं के ही अब तक पूरी होने पर क्षोभ व्यक्त करते हुए संसद की एक स्थायी समिति ने कहा है कि इस योजना की ‘‘प्रगति बेहद धीमी’’ है।

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समिति ने यह सिफारिश भी की है कि पर्यटन मंत्रालय विदेशी और घरेलू पर्यटकों के आगमन और पर्यटन क्षेत्र से संबंधित अन्य सभी आंकड़े एकत्र करने के लिए ‘अपना खुद का एक तंत्र विकसित कर सकता है।’’

डाइनामाइट न्यूज संवाददाता के अनुसार समिति की रिपोर्ट, उसके निष्कर्षों पर सरकार द्वारा उठाए गए कदमों पर एक कार्रवाई रिपोर्ट बृहस्पतिवार को राज्यसभा में पर्यटन मंत्रालय की अनुदान मांगों (2023-24) के साथ पेश की गई।

पर्यटन मंत्रालय ने देश भर में धार्मिक स्थलों सहित पर्यटन स्थलों पर बुनियादी ढांचे के विकास के लिए 2014-15 में ‘तीर्थयात्रा कायाकल्प और आध्यात्मिक विरासत संवर्धन अभियान’ (प्रसाद) और स्वदेश दर्शन योजनाएं शुरू की थीं।

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समिति ने प्रसाद योजना पर अपनी रिपोर्ट में कहा ‘‘इस योजना के तहत कुल 45 स्वीकृत परियोजनाएं हैं, जिनमें से केवल 20 पूरी हुई हैं। इस योजना के तहत नौ परियोजनाएं अभी अधूरी हैं जिनमें 60 प्रतिशत तक प्रगति हुई है। अन्य 16 परियोजनाएं विकसित की जानी हैं।’’

समिति ने कहा कि यह योजना 2014-15 में शुरू की गई थी जिसे देखते हुए इसकी ‘‘प्रगति बहुत धीमी है।’’

संसदीय समिति ने यह भी पाया कि प्रसाद के तहत पूरी हो चुकी और चालू सभी परियोजनाओं में ‘‘कम से कम एक वर्ष की देरी हुई है।’’

रिपोर्ट में कहा गया है ‘‘उत्तर प्रदेश की मथुरा-वृंदावन परियोजना को मेगा टूरिस्ट सर्किट (पीएच-दो) के रूप में विकसित करने और बिहार स्थित गया के विष्णुपद मंदिर में बुनियादी सुविधाओं के विकास जैसी कुछ परियोजनाओं में चार साल की देरी हुई है। समिति ने यह भी पाया कि योजना से संबंधित, अक्टूबर 2021 के ईएफसी प्रस्ताव के कुछ लक्ष्य हासिल नहीं किये जा सके हैं।’’

समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि पर्यटन मंत्रालय के प्रकाशनों में प्रकाशित आंकड़ों की प्रामाणिकता जिम्मेदारी पर्यटन मंत्रालय की ही है, चाहे उनके संग्रह स्रोत जो भी हों।

रिपोर्ट में कहा गया है कि आंकड़ों की सत्यता की संतुष्टि न होने तक मंत्रालय को इसे सार्वजनिक डोमेन में प्रकाशित नहीं करना चाहिए।

समिति ने सिफारिश की है कि पर्यटन मंत्रालय विदेशी और घरेलू पर्यटकों के आगमन और पर्यटन क्षेत्र से संबंधित अन्य सभी आंकड़े एकत्र करने के लिए ‘‘अपना स्वयं का एक तंत्र विकसित कर सकता है।’’

रिपोर्ट में समिति ने यह भी सिफारिश की है कि पर्यटन मंत्रालय को यह सुनिश्चित करने के लिए सभी उपाय करने चाहिए कि एएसआई और राज्य सरकारों से प्राप्त आंकड़े सटीक हों

समिति ने इस बात पर हैरत जताई है कि पर्यटन मंत्रालय ने 17 स्थलों को प्रतिष्ठित स्थलों के रूप में प्रस्तावित किया लेकिन सरकार ने प्रस्तावों को मंजूरी नहीं दी। समिति ने सिफारिश की कि सरकार प्रस्तावों पर ‘‘जल्द से जल्द’’ निर्णय ले सकती है।

रिपोर्ट में, समिति ने कहा कि मंत्रालय ने सभी जिलों से पर्यटन आंकड़ों के व्यापक और समान संग्रह के लिए ‘यूएनडब्ल्यूटीओ’ के अनुरूप एक मानक पर्यटन पद्धति विकसित किए जाने के बारे में बताया है।

इसमें यह भी कहा गया है कि जी20 जैसे साल भर चलने वाले बड़े आयोजन के लिए ‘‘अलग बजट आवंटन’’ रखा जाना चाहिए था, जिसका भारतीय पर्यटन पर बहुत अधिक प्रभाव पड़ने की उम्मीद है।

समिति के अनुसार, पर्यटन मंत्रालय इस साल घरेलू और विदेशी पर्यटन दोनों को बढ़ावा देने के लिए भारत की जी20 की अध्यक्षता का लाभ उठाने की योजना बना रहा है जिसके लिए विदेशी प्रचार और प्रसार योजना को अभी तक मंजूरी नहीं मिली है और मंत्रालय इस स्तर पर केवल महत्वपूर्ण और अपरिहार्य गतिविधियाँ ही संचालित कर सकता है।

समिति के अनुसार, यह मंत्रालय की प्रचार प्रसार के वैश्विक अभियानों की योजनाओं के लिए एक झटका होगा। समिति का कहना है कि सभी आठ कार्यरत विदेशी प्रचार-प्रसार कार्यालय बंद किए जा रहे हैं और प्रचार-प्रसार के वैकल्पिक तरीकों का इस्तेमाल किया जा रहा है, लेकिन कोई खास तरीका तय नहीं किया गया है।

समिति ने पाया कि पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से विदेश में भारतीय मिशनों में पर्यटन अधिकारी नियुक्त किये गये हैं।

समिति ने सुझाव दिया कि मंत्रालय को जी20 बैठकों और ‘विजिट इंडिया’ प्रचार अभियान से मिले अवसर नहीं खोना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि अगले वित्तीय वर्ष की शुरुआत से पहले विदेशों में प्रचार के लिए एक रोडमैप तैयार किया जाए ताकि बजट उपयोग किया जा सके।

समिति ने इस बात पर प्रसन्नता जताई कि राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में एक अलग पुलिस इकाई के गठन के लिए प्रायोगिक परियोजना के रूप में 25 पर्यटक स्थलों का चयन करने के मामले को उठाने के लिए मंत्रालय ने पहल की।

समिति ने कहा कि अभी तक केवल 14 राज्यों ने किसी न किसी रूप में पर्यटक पुलिस तैनात की है। समिति ने मंत्रालय से इस पर काम जारी रखने का आग्रह भी किया।










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