सोनौली-नेपाल बार्डर पर दिखा सी 5 टैग लगा गिद्ध, बना चर्चा का विषय
बुधवार की दोपहर एक गिद्ध इलाके में चर्चा का विषय बन गया। इस गिद्ध के पंख में पीले रंग की प्लेट बांधी गयी थी, जिस पर सी 5 लिखा हुआ था।
सोनौली (महराजगंज): डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक यह गिद्ध भारत नेपाल सीमा स्थित नो-मेंस लैंड के पास सोनौली के वार्ड नंबर 12 घनश्याम नगर मुहल्ले में जगन्नाथ स्कूल के पीछे एक व्यक्ति की छत पर बैठा दिखा।
एसएसबी के जवानों ने डंडे और रस्सी के सहारे इसे पकड़ने की कोशिश की लेकिन कामयाब नहीं हो पाये और फिर गिद्ध उड़कर नेपाल सीमा में चला गया।
गिद्ध के पंख में बंधी पीले रंग की प्लेट को लेकर तरह-तरह की चर्चाएं क्षेत्र में हो रही हैं कि कहीं इसके पीछे कोई जासूसी तो नहीं।
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जब इसकी पड़ताल डाइनामाइट न्यूज़ ने कि तो कुछ लोगों ने बताया कि ऐसे पीले रंग की प्लेट लगे गिद्ध कई दिनों से आसपास के जिलों में दिखाई दे रहे हैं। एक सप्ताह पहले कुशीनगर के बरवापट्टी थाना क्षेत्र के रामपुर पट्टी में एक गिद्ध गिरा हुआ पाया गया। उसके दोनों पंखों में सी 3 टैग और जीपीएफ लगा था।
वहां के वन विभाग के अधिकारियों के मुताबिक नेपाल के चितवन में बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी (बीएनएचएस) के कोलैबोरेशन से वल्चर ब्रीडिंग पर रिसर्च चल रहा है। यह व्हाइट रंम्प्ड (जिप्स बेंगेंसिस) प्रजाति का है। मुंबई की यह संस्था कई वर्षों से इस पर रिसर्च कर रही है। डीएफओ ने बताया कि गिद्ध या तो लंबी उड़ान से थक गया होगा या बीमार होगा। इसलिए यहां गिर गया था। रिसर्च के लिए संरक्षित प्रजाति इन गिद्धों को छोड़ा जाता है और ट्रैकिंग की जाती है।
पिछले साल वन विभाग ने महराजगंज जिले में गिद्धों की गिनती और टैगिंग कराई थी। फरेंदा तहसील के भारी-बैसी गांव में ‘जटायु संरक्षण और प्रजनन केंद्र’ भी स्थापित किया जा रहा है।
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कुशीनगर में जासूसी की फैल गयी थी अफवाह
जीपीएस ट्रैकर लगा गिद्ध पाए पाए जाने के बाद जिले में सोशल मीडिया पर तेजी से अफवाह फैल गयी थी कि गिद्ध को किसी देश ने जासूसी के लिए छोड़ा है, फिर एसपी ने तस्वीर साफ की कि पीले रंग का यह टैग/ट्रैकिंग सिस्टम किसी जासूसी आदि से सबंधित नहीं है। यह गिद्ध रिसर्च का हिस्सा है।