‘आज तक’ के सलाहकार संपादक सुधीर चौधरी की गिरफ्तारी की जरूरत नहीं: कर्नाटक उच्च न्यायालय
कर्नाटक उच्च न्यायालय ने एक हिंदी समाचार चैनल ‘आज तक’ के सलाहकार संपादक सुधीर चौधरी के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी के सिलसिले में पुलिस को त्वरित कार्रवाई नहीं करने का निर्देश दिया है। अदालत ने साथ ही कहा है कि उनके खिलाफ प्रथम दृष्टया मामला बनता है और इसकी जांच की जानी चाहिए। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
बेंगलुरु: कर्नाटक उच्च न्यायालय ने एक हिंदी समाचार चैनल ‘आज तक’ के सलाहकार संपादक सुधीर चौधरी के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी के सिलसिले में पुलिस को त्वरित कार्रवाई नहीं करने का निर्देश दिया है। अदालत ने साथ ही कहा है कि उनके खिलाफ प्रथम दृष्टया मामला बनता है और इसकी जांच की जानी चाहिए।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक अदालत ने यह भी कहा कि वह चौधरी की ओर से प्राथमिकी को चुनौती देने संबंधी याचिका का निपटारा कर देगी और तब तक उनसे हिरासत में पूछताछ की कोई जरूरत नहीं है।
अदालत ने चौधरी की याचिका पर अंतरिम आदेश देने से इनकार कर दिया और याचिका पर अगली सुनवाई की तिथि 20 सितंबर तय की गई है।
कर्नाटक अल्पसंख्यक विकास निगम (केएमडीसी) के सहायक प्रशासक शिवकुमार एस की शिकायत पर यहां शेषाद्रिपुरम थाने में चैनल और इसके सलाहकार संपादक के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धाराओं 505 (शरारतपूर्ण बयान) 153 ए (धर्म, जाति, जन्म स्थान, निवास के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देना) के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है। चौधरी ने प्राथमिकी को चुनौती दी थी।
याचिका पर सुनवाई करने वाले न्यायमूर्ति हेमंत चंदनगौदर की एकल पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा कि प्रथम दृष्टया जांच के लिए मामला बनता है।
उच्च न्यायालय ने कहा, ‘‘आरोप यह था कि सरकार केवल अल्पसंख्यकों और वंचित हिंदुओं को एक योजना प्रदान कर रही है। प्रथम दृष्टया जांच के लिए मामला बनता है।’’
प्राथमिकी के मुताबिक, 11 सितंबर को एक समाचार कार्यक्रम में सलाहकार संपादक ने दावा किया कि कर्नाटक सरकार ऐसी योजना चला रही है जिसका लाभ केवल अल्पसंख्यकों को मिलता है, गैर-अल्पसंख्यक हिंदुओं को नहीं और वह राज्य में अल्पसंख्यक तुष्टिकरण कर रही है।
वरिष्ठ वकील उदय होल्ला ने चौधरी की ओर से मामले में बहस की।
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उच्च न्यायालय ने कहा कि अल्पसंख्यक विकास निगम द्वारा अल्पसंख्यकों के लिए स्थापित योजना की मीडिया सहित कोई भी व्यक्ति आलोचना कर सकता है, लेकिन चौधरी के खिलाफ मामले की जांच की जानी चाहिए।
चौधरी को राहत देते हुए हालांकि उच्च न्यायालय ने कहा कि हिरासत में लेकर पूछताछ करने या गिरफ्तारी की कोई जरूरत नहीं है।
न्यायमूर्ति हेमंत चंदनगौदर ने सुनवाई स्थगित करते हुए कहा, ‘‘मंगलवार (19 सितंबर) तक कोई भी त्वरित कार्रवाई न करें। मैं मामले की सुनवाई करने जा रहा हूं। इस मामले का निपटारा किया जाना है। मैं इसे लंबित नहीं रख सकता। मुझे मामले की सुनवाई के लिए मंगलवार तक का समय चाहिए।’’
होल्ला ने दलील दी कि यह योजना केवल अल्पसंख्यकों के लिए थी।
उच्च न्यायालय ने कहा, 'एक व्यक्ति यह कहकर अल्पसंख्यकों के प्रति नफरत पैदा कर सकता है कि उन्हें दिया गया है, मुझे नहीं।'
उच्च न्यायालय ने समाचार रिपोर्ट में उस दावे की ओर भी इशारा किया जिसमें कहा गया था कि ‘‘84 प्रतिशत (लाभार्थी) एक विशिष्ट अल्पसंख्यक समुदाय से आते हैं।’’
चौधरी पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 153ए समेत अन्य धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है।
शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया था, ‘‘इस तरह की खबरें प्रकाशित करके हिंदुओं और अन्य धर्मों के बीच नफरत फैलाने का प्रयास किया जा रहा है। यह अशांति का माहौल बनाने और सांप्रदायिक दंगे भड़काने का भी प्रयास है। वह जो बात कह रहे हैं, उससे पूरी तरह वाकिफ होने के बावजूद ऐसी खबरें प्रकाशित कर वह राज्य में सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने की साजिश रच रहे हैं।”
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केएमडीसी के एक बयान के अनुसार, केएमडीसी बेरोजगार युवाओं को स्व-रोजगार के लिए ऑटोरिक्शा, सामान और टैक्सी खरीदने के लिए 50 प्रतिशत या तीन लाख रुपये तक की सब्सिडी दे रहा है।
बयान में कहा गया है, 'ये योजनाएं न केवल अल्पसंख्यक समुदाय के लिए बल्कि पिछड़े वर्गों, अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए भी हैं। यह हिंदू समुदाय के बेरोजगार युवाओं के लिए भी उपलब्ध हैं।’’
आरोप लगाया गया है कि चौधरी ने ‘आज तक’ चैनल पर एक समाचार कार्यक्रम में सरकार द्वारा अल्पसंख्यक तुष्टिकरण करने के बारे में गलत सूचना फैलाई।