Navratri Kanya Pujan: जानिए कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और लाभ

नवरात्रि के दिन कन्याओं की पूजा करके हम मां दुर्गा के आशीर्वाद से जीवन में सुख, समृद्धि और सफलता प्राप्त कर सकते हैं। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की रिपोर्ट

Updated : 2 April 2025, 11:14 AM IST
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नई दिल्ली: हिंदू धर्म में नवरात्रि के दिनों का विशेष महत्व होता है, खासकर अष्टमी और नवमी तिथि को। इस दौरान कन्या पूजन का विशेष महत्व है, जिसे कुमारी पूजा और कंजक पूजा भी कहा जाता है। यह पूजा मां दुर्गा के स्वरूप में कन्याओं की पूजा करने के रूप में होती है, जिन्हें देवी के रूप में पूजा जाता है।

इस वर्ष चैत्र नवरात्रि की अष्टमी तिथि 5 अप्रैल 2025, शनिवार को और नवमी तिथि 6 अप्रैल 2025, रविवार को है। इन तिथियों पर कन्या पूजन का विशेष महत्व है और यह समय विशेष रूप से मां दुर्गा के आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए उपयुक्त माना जाता है। आइए जानें कन्या पूजन के शुभ मुहूर्त, कन्या की संख्या और इससे जुड़े विशेष तथ्य।

कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त

अभिजित मुहूर्त (महाष्टमी): 11:59 एएम से 12:49 पीएम तक
विजय मुहूर्त (महाष्टमी): 02:30 पीएम से 03:20 पीएम तक

राम नवमी के दिन कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त

अभिजित मुहूर्त (राम नवमी): 11:58 एएम से 12:49 पीएम तक
चर मुहूर्त (राम नवमी): 07:40 एएम से 09:15 एएम तक
लाभ मुहूर्त (राम नवमी): 09:15 एएम से 10:49 एएम तक
अमृत मुहूर्त (राम नवमी): 10:49 एएम से 12:24 पीएम तक

कन्या पूजन में कितनी कन्याओं को शामिल करें?

नवरात्रि के नौ दिन मां दुर्गा की पूजा का विशेष महत्व होता है, और इस दौरान कन्या पूजन को भी बेहद महत्व दिया जाता है। हालांकि नवरात्रि के हर दिन में कन्या पूजन किया जा सकता है, लेकिन अष्टमी और नवमी तिथि को इसका विशेष महत्व है। कन्या पूजन में 1 से 9 तक की कन्याओं को पूजा जा सकता है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार जितनी कन्याओं की पूजा की जाती है, उस संख्या के अनुसार फल की प्राप्ति होती है।

कन्या पूजन के फल

ऐश्वर्य की प्राप्ति
भोग की प्राप्ति
पुरुषार्थ की प्राप्ति
बुद्धि और विद्या की प्राप्ति
सफलता की प्राप्ति
परमपद की प्राप्ति
अष्टलक्ष्मी का आशीर्वाद
सभी ऐश्वर्य का मिलना

कन्या की आयु सीमा

कन्या पूजन में उन कन्याओं को शामिल किया जाता है, जिनकी आयु 2 से 10 वर्ष के बीच हो। हिंदू धर्म में माना जाता है कि हर आयु की कन्या मां दुर्गा के अलग-अलग रूप को दर्शाती है। इस पूजा में कन्याओं की पवित्रता और सरलता को सम्मानित किया जाता है, जो समाज में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती है।

Published : 
  • 2 April 2025, 11:14 AM IST