National Medical Commission: स्नातकोत्तर छात्रों को छात्रावास में रहने को मजबूर न करें चिकित्सा महाविद्यालय

डीएन ब्यूरो

राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग (एनएमसी) ने चिकित्सा महाविद्यालयों एवं संस्थानों को चेतावनी देते हुए कहा कि वे स्नातकोत्तर (पीजी) छात्रों को उनकी ओर से मुहैया किये गए छात्रावासों में रहने और इसके एवज में मोटी रकम चुकाने के लिए मजबूर नहीं करें। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग
राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग


नयी दिल्ली:  राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग (एनएमसी) ने चिकित्सा महाविद्यालयों एवं संस्थानों को चेतावनी देते हुए कहा कि वे स्नातकोत्तर (पीजी) छात्रों को उनकी ओर से मुहैया किये गए छात्रावासों में रहने और इसके एवज में मोटी रकम चुकाने के लिए मजबूर नहीं करें।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक एनएमसी ने कहा कि निर्देशों का अनुपालन नहीं करने वाले संस्थानों के खिलाफ जुर्माना लगाने, सीट की संख्या में कमी करने और दाखिले पर रोक लगाने जैसे कड़े कदम उठाए जा सकते हैं।

आयोग ने आठ फरवरी को जारी सार्वजनिक परिपत्र में स्नातकोत्तर चिकित्सा शिक्षा विनियमन (पीजीएमईआर)-2023 का संदर्भ दिया जिसके मुताबिक, ‘‘महाविद्यालयों के लिए अनिवार्य है कि वे स्नातकोत्तर छात्रों को उचित आवसीय सुविधा प्रदान करें। हालांकि, स्नातकोत्तर छात्रों के लिए छात्रावास में रहना अनिवार्य नहीं है।’’

एनएमसी ने कहा कि उसे स्नातकोत्तर छात्रों से कई शिकायतें मिली हैं, जिसमें आरोप लगाया गया है कि चिकित्सा महाविद्यालय उन्हें अपने छात्रावासों में रहने के लिए मजबूर कर रहे हैं और इसके लिए मोटी रकम वसूली जा रही है।

परिपत्र में कहा गया है, ‘‘सभी चिकित्सा महाविद्यालयों और संस्थानों को उपरोक्त विनियमन का संज्ञान लेने का निर्देश दिया जाता है, ऐसा नहीं करने पर एनएमसी पीजीएमईआर, 2023 के नियम 9.1 और 9.2 के अनुसार कार्रवाई कर सकता है, जिसमें जुर्माना लगाना, सीट की संख्या में कटौती, दाखिले पर रोक लगाना आदि शामिल हैं।’’

 










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