Manipur Violence: मणिपुर के इस क्षेत्र से असम राइफल्स के जवानों को हटाया गया, जानिये ताजा स्थिति

मणिपुर के बिष्णुपुर जिले में मोइरांग लमखाई चौकी पर तैनात असम राइफल्स के जवानों को हटा लिया गया है और उनकी जगह केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) तथा राज्य पुलिस को तैनात कर दिया है। एक अधिसूचना में यह जानकारी दी गई। पढ़िए पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर:

Updated : 8 August 2023, 5:27 PM IST
google-preferred

इंफाल: मणिपुर के बिष्णुपुर जिले में मोइरांग लमखाई चौकी पर तैनात असम राइफल्स के जवानों को हटा लिया गया है और उनकी जगह केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) तथा राज्य पुलिस को तैनात कर दिया है। एक अधिसूचना में यह जानकारी दी गई।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार असम राइफल्स के जवानों को ऐसे समय में वापस बुलाया गया है जब घाटी के जिलों में महिलाओं के कई समूहों ने हिंसाग्रस्त पूर्वोत्तर राज्य से अर्धसैनिक बल को हटाने की मांग करते हुए सोमवार को प्रदर्शन किया था। बिष्णुपुर में पिछले सप्ताह फिर से हिंसा हुई थी।

अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (कानून एवं व्यवस्था) एल कैलुन द्वारा सोमवार को जारी अधिसूचना में कहा गया, ‘‘बिष्णुपुर के कांगवई रोड पर मोइरांग लमखाई चौकी पर तत्काल प्रभाव से और अगले आदेश तक असम राइफाल्स के स्थान पर राज्य पुलिस और सीआरपीएफ की 128 बटालियन को तैनात किया जाएगा।’’

असम राइफल्स से संपर्क किया गया है और उनकी प्रतिक्रिया का इंतजार है। महिला समूहों ने सोमवार को इंफाल वेस्ट जिले के होदाम लीराक तथा क्वाकीथेल और इंफाल ईस्ट के अंगोम लीकाई तथा खुरई इलाकों में एक सड़क को अवरुद्ध कर दिया था।

इस बीच इंफाल ईस्ट और वेस्ट जिलों के प्रशासन ने मंगलवार को कर्फ्यू में ढील दो घंटे बढ़ा दी। अधिकारियों ने बताया कि इंफाल ईस्ट और इंफाल वेस्ट में सुबह पांच बजे से दोपहर दो बजे तक कर्फ्यू में ढील दी गई है। थौबल जिले के लिए कर्फ्यू में सुबह पांच बजे से शाम चार बजे तक और काकचिंग के लिए सुबह पांच बजे से शाम पांच बजे तक छूट रहेगी।

मणिपुर में अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में पर्वतीय जिलों में तीन मई को ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद राज्य में भड़की जातीय हिंसा में अब तक 160 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। राज्य में मेइती समुदाय की आबादी करीब 53 प्रतिशत है और वे मुख्य रूप से इंफाल घाटी में रहते हैं। वहीं, नगा और कुकी जैसे आदिवासी समुदायों की आबादी 40 प्रतिशत है और वे अधिकतर पर्वतीय जिलों में रहते हैं।

Published : 
  • 8 August 2023, 5:27 PM IST

Related News

No related posts found.