महराजगंज: आरा मशीन छापेमारी मामले में भाजपा नेता ने गढ़ी डीएफओ को फंसाने की कहानी!

डीएन संवाददाता

महराजगंज में भाजपा के एक चर्चित नेता के आरा मशीन छापेमारी प्रकरण में गजब का खेल खेला जा रहा है। पहले जब नेता की चोरी पकड़ी गयी तो लेन-देन कर मामले को निपटाने की कोशिश हुई जब इसमें असफलता हाथ लगी तो फिर डीएफओ को बीबी सहित लूट के फर्जी मामले में फंसाने की कहानी शुरु कर दी गयी। इसे लेकर जिले भर में चर्चाओं और अफवाहों का दौर जारी है। डाइनामाइट न्यूज़ की इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्ट..



महराजगंज: सत्ता की धौंस दिखाकर किसी नेता द्वारा अधिकारी को किस तरह परेशान किया जा सकता है, इसका बड़ा उदाहरण आजकल जिले में देखने को मिल रहा है। नेता के गलत कामों के खिलाफ अधिकारी और उनकी टीम द्वारा की गयी छापेमारी का मामला अब आपसी रंजिश और बदले की कार्यवाही में तब्दील होता जा रहा है। रसूख के बूते पर नेता द्वारा हर वह कदम उठाया जा रहा है, जिससे अधिकारी का मनोबल कमजोर हो और  वह मामले को रफा-दफा करने को विवश हो जाये। अब अधिकारी की पत्नी को भी विवादों में घसीटने की चाल भी नेता द्वारा चली गयी है जिसने इस मामले को नया मोड़ दे दिया है।

यह भी पढ़ें: महराजगंज में भाजपा नेता के घर वन विभाग की छापेमारी, साखू-सागौन की कीमती लकड़ियां बरामद

भारी मात्रा में बरामद हुई थी लकड़ियां

इस मामले की नींव 15 जून को उस समय पड़ गयी थी, जब डीएफओ मनीष कुमार सिंह ने अपनी टीम और पुलिस बल की मौजूदगी में बीजेपी नेता और पूर्व ब्लॉक प्रमुख रामहरख प्रसाद के आरा मशीन पर छापेमारी कर लाखों रूपये मूल्य की अवैध लकड़ियां बरामद की। इस छापेमारी में आरा मशीन को भी सील कर दिया गया था। जब यह खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर प्रकाशित हुई तो चारो तरफ हड़कंप मच गया था।

मैनेज के खेल में असफल होने पर चली फंसाने की चाल

उक्त छापेमारी के बाद से नेता द्वारा सत्ता का दुरूपयोग करते हुए डीएफओ पर मामले को रफा-दफा करने का लगातार दबाव बनाया जा रहा था लेकिन डीएफओ अपने इरादों को लेकर टस से मस नहीं हुए। नेता को जब लगने लगा कि मामला मैनेज नहीं हो रहा तो उन्होंने एक नयी चाल चली। अधिकारी के खिलाफ सत्ता का दुरुपयोग शुरू किया गया। 

जिले भर में चर्चाओं का बाजार गर्म

जिले भर में फैली चर्चाओं के मुताबिक एक बीजेपी विधायक की शह पर आरा मशीन मालिक रामहरख अपने छोटे भाई लक्ष्मण की पत्नी सरिता देवी के नाम से डीएफओ की पत्नी वैशाली के ख़िलाफ़ सदर कोतवाली में लूटपाट का मुकदमा दर्ज कराने की कोशिश कर रहे हैं हालांकि इस तहरीर के बारे में कोई पुलिस अफसर अपना मुंह खोलने को तैयार नही है। पुलिस द्वारा यह तक नही बताया जा रहा है कि क्या इस तरह की कोई तहरीर नेता की तरफ से दी गयी है या नही? चर्चा यह भी है कि नेता ने आनलाइन तहरीर दर्ज करायी है ताकि डीएफओ पर दबाव बनाया जा सके।

कैसे गढ़ी लूट की कहानी

ऐसा बताया जा रहा है कि लूटपाट की इस तहरीर में कहा गया है कि 15 जून 2018 की सुबह डीएफओ मनीष कुमार अपनी पत्नी वैशाली तथा रेंजर, चौकी इंचार्ज सिन्दुरिया के साथ छापेमारी के नाम पर उनके घर पहुंचे। इस दौरान डीएफओ की पत्नी वैशाली ने आरा मशीन मालिक के घर पर बिना सर्च वारंट के कई कमरों को चेक किया और इस दौरान डीएफओ की पत्नी वैशाली ने उनके घर में रखे 1 लाख 50 हजार की नगदी,  70 हजार की सोने की चेन, 12 हजार की अंगूठी चोरी कर ली। 

डीएफओ की सरकारी तहरीर पर कोतवाली पुलिस ने क्यों नही की कोई कार्यवाही

बीजेपी नेता द्वारा डीएफओ की पत्नी के खिलाफ दी गयी तहरीर पर महराजगंज के डीएफओ मनीष कुमार सिंह ने डाइनामाइट न्यूज़ से बातचीत में कहा कि ऐसी किसी तहरीर की जानकारी उनको नहीं है। पत्नी के ऊपर लगाये गये सभी आरोप निराधार है। डीएफओ ने कहा कि जहां तक छापेमारी की बात है, वह पुलिस की मौजूदगी में हुई थी और इसकी विभागीय तहरीर कोतवाली में दी गई है, जिस पर अभी कोई कार्यवाही नहीं हुई है। इससे कोतवाली पुलिस की कार्यप्रणाली पूरी तरह संदिग्ध हो गयी है।

पहले भी पड़ चुका है छापा

डाइनामाइट न्यूज़ को सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक यह पहली मर्तबा नहीं है, जब सिन्दुरिया में बीजेपी नेता के आरा मशीन पर डीएफओ की छापेमारी हुई हो। इससे पहले भी सितम्बर 2017 में नेता के यहां छापेमारी की गयी थी लेकिन उस समय 4 लाख पेनाल्टी देकर मामला मैनेज कर लिया गया था। इस बार डीएफओ के कड़े तेवरों से अंदाजा लगाया जा सकता यह मामला रफा-दफा होने वाला नहीं है। 
 










संबंधित समाचार