DN Exclusive: उत्तर प्रदेश में बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान की पोल खोलती ये रिपोर्ट

डीएन ब्यूरो

उत्तर प्रदेश के महराजगंज जिले की निवासी शीला की दर्द भरी कहानी समाज के मुंह पर एक जोरदार तमाचा है। शीला की यह कहानी हर किसी को नारी सशक्तिकरण जैसे स्लोगनों पर मजबूर कर देगी। डाइनामाइट न्यूज की इस स्पेशल रिपोर्ट में पढिये और देखिये कैसे यूपी में चल रहा है बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान



महराजगंज: सरकार और हमारा समाज बेटियों को लेकर बड़े-बड़े दावे करता है। नेता और सरकारें भी नारी सशक्तिकरण की लंबी-चौड़ी बातें करती रहती हैं लेकिन निचलौल ब्लॉक की शीला की दर्द भरी कहानी इन सभी दावों और बातों को कटघरे में खड़ा करती है। सामाजिक सरोकारों से जुड़ी खबरों के लिये लोकप्रिय डाइनामाइट न्यूज आपको आज शीला की उस दर्द भरी दास्तां से रूबरू करवा रहा है, जो एक मजबूर और गरीब स्त्री की स्थिति पर हर किसी को सोचने को विवश कर दे।   

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निचलौल ब्लॉक के ग्राम सभा भजही निवासी शीला को उसके पति ने महज इसलिये छोड़ दिया कि शीला ने शादी के बाद एक बेटी को जन्म दिया था। मां बनने के बाद बच्ची की पढ़ाई-लिखाई और शादी के खर्चे को लेकर शीला लंबे समये तक अपने बेदर्द पति के हाथों भी पिटती रही। लेकिन मासूम और नवजात बेटी की ममता से बंधी शीला विवश होकर यह सब जुर्म सहती रही। पति की बेदर्दी की इंतहा यह कि बेरहम पति ने एक रोज लाचार शीला को उसकी मासूम बेटी के साथ हमेशा के लिये घर से निकाल दिया। शीला अब इंसाफ के लिये दर-दर की ठोकरें खा रही है।  

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डाइनामाइट न्यूज़ से बातचीत के दौरान शीला कई बार रुआंसी हुई लेकिन उसने अपने आसुंओं को अंदर ही अंदर पी डाला। ग्राम सभा भजही में जन्मी शीला की शादी उसके घरवालों ने बड़ी धूमधाम से की थी। शीला के पिता ने अपनी बेटी को अपने घर से डोले में बैठाकर सिसवा ब्लॉक के खरचौली स्थित उसके ससुराल के लिये हंसी-खुशी बिदा किया था। तब कोई नहीं जानता था कि शीला पर एक दिन दुखों का ऐसा पहाड़ टूट पड़ेगा, जिसके नीचे उसे जिंदगी बोझिल लगने लगेगी।

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डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक शादीशुदा जिंदगी के कुछ साल बीतने के बाद शीला ने एक सुंदर बच्ची को जन्म दिया। इस बच्ची को जन्म देना मानो शीला के लिये अभिशाप बन गया। बेटे की चाह रखने वाले घटिया पति और ससुरालियों ने इसके बाद शीला के साथ मारपीट और गाली गलौज करनी शुरू कर दी। बेटी के जन्म पर उसका पति भी शीला पर तंज कसने लगा और उसे दिनों-दिन प्रताड़ित करने लगा। पति ने तो एक दिन शीला से यह भी कह दिया कि तुमने बच्ची को जन्म दिया है, इसकी पढ़ाई और शादी का खर्च कौन उठाएगा? 

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मासूम बच्ची की ममता से बंधी शीला हर पति और ससुरालियों की हर प्रताड़ना को सहती रही। लेकिन उसकी सहनशीलता के कारण उसके पति व ससुरालियों का उस पर जुल्म बढ़ता गया। आखिरकार एक रोज सास और पति ने मिलकर शीला को घर से बेघर कर दिया। लेकिन नीच सोच वाले पति की गंदी करतूतें यहीं खत्म नहीं हुई। 

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एक दिन शीला पर तब नया पहाड़ टूट पड़ा, जब उसके पति ने एक रोज शीला को एक लड़के से मिलाया। पति ने शीला को उस लड़के के साथ शादी करने को कहा। पति ने लड़के को बताया कि शीला मेरी पत्नी है और तुम इससे शादी कर लो। मैं शीला को छोड़ दिया हूं। लेकिन शीला ने इस शादी का विरोध किया। उसके बाद पति ने शीला और उसकी बच्ची को हमेशा के लिये दर-दर की ठोकरें खाने के लिये छोड़ दिया।

शीला ने कुछ लोगों के कहने पर पुलिस और थानों के चक्कर भी काटे लेकिन उसे अब तक कुछ हासिल नहीं हुआ। शीला को जीविकोपार्जन तक के लिये भी उसके पति से खर्च नहीं मिलला है। पति ने शीला से बिना तलाक लिये ही दूसरी शादी भी कर ली है। 

शीला अब यहां-वहां काम करके खुद और अपनी 12 साल की लड़की का मुश्किल से भरण-पोषण कर रही है। उसका संसार केवल खुद और उसकी बेटी तक ही सिमटा हुआ है। समाज के कुछ लोगों से शीला को सहानुभूति तो मिलती है लेकिन उससे जीवन यापन और नहीं होता। निसंदेह शीला की यह दर्द भरी कहानी सरकार के ‘बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ’ अभियान को भी कटघरे में खड़ा करती है।   










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